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पैसा भगवान नहीं, लेकिन उससे कम भी नहीं, ‘पंचतंत्र’ तो यही कहता है 

‘पंचतंत्र’ में ये भी बताया गया है कि धन किस तरह हमारे रिश्‍तों पर गहरा असर डालता है.

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सब पूछेंगे आप कैसे हैं, जब तक आपके पास पैसे हैं

देखो भाई ऐसा है... कि सबसे बड़ा पैसा है

पैसा खुदा तो नहीं, लेकिन खुदा कसम, खुदा से कम भी नहीं

बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया

भले ही ऊपर लिखी लाइनें आज के समाज का आईना मालूम पड़ती हों, लेकिन करीब 2000 साल पहले आचार्य विष्‍णु शर्मा पंचतंत्र में ये सारी बातें लिख चुके थे.

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‘पंचतंत्र’ में ये भी बताया गया है कि धन किस तरह हमारे रिश्‍तों पर  गहरा असर डालता है.
पंचतंत्र रोचक कहानियों का संग्रह है, जिसमें पशु-पक्ष‍ियों और आम लोगों को पात्र बनाकर नीति और ज्ञान की बातें बताई गई हैं. ये कहानियां मूल रूप से संस्‍कृत में हैं. इसका शुरुआती चैप्‍टर है मित्रभेद. इसमें विस्‍तार से बताया गया है कि धन का जीवन में कितना ज्‍यादा महत्‍व है, धन के अभाव में क्‍या-क्‍या मुश्किलें आती हैं.

साथ ही ये भी बताया गया है कि धन किस तरह हमारे रिश्‍तों पर भी गहरा असर डालता है. किसी के पास धन आने पर समाज में उसकी पूछ बढ़ जाती है, जबकि हाथ खाली होने पर अपने भी मुंह मोड़ने में देर नहीं लगाते.

‘पंचतंत्र’ में ये भी बताया गया है कि धन किस तरह हमारे रिश्‍तों पर  गहरा असर डालता है.

धन की महिमा पर दो सहस्राब्‍द‍ि पहले जो लिखा गया था, आज उसे पढ़कर कोई भी हैरत में पड़ जाए. ये एकदम आज के दौर की बात लगती है. आगे संस्‍कृत श्‍लोक का हिंदी अनुवाद दिया गया है:

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  • दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं, जिसको धन की बदौलत हासिल न किया जा सके. धन ही इस संसार में सब कुछ है. बुद्ध‍िमान व्‍यक्‍त‍ि को लगातार अधिक से अधिक धन पाने में जुटे रहना चाहिए.
  • धनवान लोगों के साथ सभी दोस्‍ती और भाईचारा बनाना चाहते हैं. धनहीन इंसान से लोग इस तरह दूर भागते हैं, मानो उसे कोई छूत की बीमारी हो.
  • इस संसार में धनवान को ही बुद्धि‍मान और विवेकशील समझा जाता है. धनहीन व्‍यक्‍त‍ि तो गुणों से संपन्‍न होने पर भी उपेक्षा का पात्र बन जाता है.
  • धन के बिना न तो कोई विद्या पाई जा सकती है, न कोई शिल्‍प सीखा जा सकता है, न किसी कला की साधना की जा सकती है.
  • दुनिया में पराये भी धनी लोगों से संबंध जोड़ने के लिए उत्‍सुक रहते हैं, लेकिन गरीबों के अपने सगे भी उन्‍हें अपना कहने में संकोच और लाज का अनुभव करते हैं.

इह लोके हि धनिनां परोSपि स्‍वजनायते ।

स्‍वजनोSपि दरिद्राणां सर्वदा दुर्जनायते ।।

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‘पंचतंत्र’ में ये भी बताया गया है कि धन किस तरह हमारे रिश्‍तों पर  गहरा असर डालता है.
  • जिस तरह पहाड़ों से निकलने वाली नदियों से धन और फसलों की वृद्ध‍ि होती है, लोगों का कल्‍याण होता है, उसी तरह धन बढ़ने से दुनिया के सारे योग (जो नहीं मिला है, उसे पाने की कोशिश) और क्षेम (जो मिल गया है, उसे बचाकर रखना) पूरे होते हैं.
  • यज्ञ हो, मंदिर का निर्माण हो, अन्‍न या कपड़े बांटना हो, रोगों से छुटकारा पाने का इंतजाम करना हो, सभी काम धन से ही पूरे होते हैं.
  • धन के अभाव में कल तक अपूज्‍य, अस्‍पृश्‍य, अग्राह्य और उपेक्ष‍ित व्‍यक्‍त‍ि भी धन के आ जाने पर अचानक पूज्‍य, महान, प्रशंसनीय, कुलीन बन जाता है.
  • धनहीन आदमी रोग, शोक, अभाव और चिंताओं के कारण जवानी में ही बूढ़ा हो जाता है. दूसरी ओर धन की गर्मी पाने वाला इंसान हमेशा युवा बना रहता है.

गतवसामपि पुंसां येषामर्था भवन्ति ते तरुणा: ।

अर्थेन तु ये हीना वृद्धास्‍ते यौवने पि स्‍यु: ।।

  • जैसे भोजन करने से शरीर के सभी अंगों में काम करने की क्षमता आ जाती है, उसी तरह धन पाने से संसार के सभी काम पूरा करना संभव हो जाता है‍.
  • धन पाने के लिए इंसान मौत को गले लगाने को भी तैयार हो जाता है, मतलब बेहद खतरनाक काम करने से भी नहीं चूकता है. दूसरी ओर धनहीन पिता को छोड़ने में उसके पुत्र भी देर नहीं लगाते.

अर्थार्थी जीवलोकोSयं श्‍मशानमपि सेवते ।

त्‍यक्‍त्‍वा जनयितारं स्‍वं नि:स्‍वं गच्‍छति दूरत: ।।

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मतलब ये कि बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया...

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