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प्रोफेसर दिलीप मंडल के खिलाफ छात्रों का विरोध, MCNU में एंट्री बंद

प्रोफेसर दिलीप मंडल पर जातिगत भेदभाव का आरोप

Published
भारत
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भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल यूनवर्सिटी (MCNUJC) के छात्रों ने प्रोफेसर दिलीप सी मंडल और मुकेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. छात्रों ने दोनों प्रोफेसर पर यूनिवर्सिटी में जातिगत आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ तुरंत एक्शन लेते हुए एक समिति का गठन किया है और यूनिवर्सिटी में उनकी एंट्री बैन कर दी है.

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शुक्रवार को गुस्साए छात्रों ने कुलपति ऑफिस के बाहर खूब हंगामा किया और दोनों प्रोफेसरों के इस्तीफे की मांग की. गुस्साए छात्रों ने चेतावनी दी है कि जब तक दोनों प्रोफेसरों को बाहर नहीं किया जाता, तब तक विरोध करते रहेंगे.

MCNUJC के रजिस्ट्रार दीपेंद्र बघेल ने कहा कि प्रोफेसर दिलीप सी मंडल और मुकेश कुमार के खिलाफ जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया है. इस समिति में यूनिवर्सिटी के छात्र भी शामिल होंगे. जांच पूरी होने तक दिलीप मंडल और मुकेश कुमार यूनिवर्सिटी में एंट्री नहीं करेंगे.

प्रोफेसर दिलीप मंडल पर जातिगत भेदभाव का आरोप

वहीं एएसपी संजय साहू ने कहा, छात्रों ने कुलपति के चेंबर के बाहर काफी विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद रजिस्ट्रार ने छात्रों से बात की और उनकी शिकायतें सुनी. एएसपी ने कहा, छात्र दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चाहते हैं. इस मामले एक समिति बनाई गई है, जो 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देगी.

प्रोफेसर दिलीप मंडल पर क्या है आरोप

छात्रों ने कुलपति को लिखे आवेदन पत्र में कहा- "प्रोफेसर दिलीप मंडल सोशल मीडिया पर लगातार जातिवादी टिप्पणियां कर रहे हैं. ब्राह्मण (सवर्णों) को लेकर की गई टिप्पणी से यूनिवर्सिटी के छात्रों में गहरा असंतोष है. एक अध्यापक से ऐसी उम्मीद नहीं रहती कि वह पारस्परिक द्वेष भावना पैदा करने का कारण बने. इससे छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है."

छात्रों ने कुलपति से निवेदन किया कि ऐसे प्रोफेसर की इन गतिविधियों पर रोक लगाई जाए या यूनिवर्सिटी ने उन्हें हटा दिया जाए.

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"मैं किसी विचार से नहीं डरता"

छात्रों के विरोध के बीच प्रोफेसर दिलीप मंडल ने ट्वीट करके यूनिवर्सिटी सिस्टम का अर्थ बताया और ये भी कहा कि वह किसी भी विचार से डरते नहीं हैं. मंडल ने ट्वीट में लिखा, "यूनिवर्सिटी सिस्टम का अर्थ है दुनिया के हर विचार, चाहे वो आपकी नजर में बेतुके हों या जिनसे आपकी भावनाएं आहत होती हों, उन्हें सुनना और विचारधाराओं के अबाध प्रवाह के बीच सिंथेसिस तक पहुंचने की कोशिश करना. मैं किसी विचार से नहीं डरता. किसी को भी डरना नहीं चाहिए."

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