ADVERTISEMENTREMOVE AD

खुला खत | बि‍टि‍या के 16वें बर्थडे पर उससे ये चाहती है एक मां...

आज तुम्हारे 16वें जन्मदिन पर मैं अगर खुद से पूछूं कि मैं तुम्हारे लिए, तुम्हारी जिंदगी के लिए क्या चाहती हूं, तो...

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

(अपनी बेटी के 16वें जन्‍मदिन पर एक मां के मन में अपनी संतान के लिए किस तरह की भावनाएं उमड़ती हैं, इसे इस ओपन लेटर से साफ-साफ समझा जा सकता है. खासकर इस बदलते दौर में, जहां लड़कियां आत्‍मविश्‍वास से लबरेज हैं और अपने ज्‍यादातर फैसले खुद लेने में यकीन करती हैं. चिट्ठी पर डालिए एक नजर.)

आयशा….

16 साल पहले जब तुम्हारा जन्म हुआ, तो हमने तुम्हारा नाम इशिता रखा था….

3 साल पहले तुम्हारा मन हुआ कि तुम अपना नाम बदलकर आयशा रखना चाहती हो. घर-परिवार में ज्‍यादातर लोग खुश नहीं थे, पर मेरे सामने एक बड़ा सवाल था और वो महज एक नाम से बहुत बड़ा था कि क्या मैं तुम्हें अपनी जिंदगी के फैसले लेने का अधिकार और आत्मविश्वास दे सकती हूं…ये जानते हुए कि कभी वो फैसला सही होगा, कभी गलत.

मैंने कुछ दिन इस सवाल का जवाब ढूढा और जवाब यही मिला कि एक मां होने के नाते मेरा फर्ज यही है कि मेरी बेटी बड़े होकर अपने हर फैसले को मनवाने के लिए दूसरों की तरफ न देखे, बल्कि आत्मविश्वास के साथ अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले ले और उनके नतीजों की जिम्‍मेदारी भी.

आज तुम 16 साल की हो रही हो. नाजुक उम्र भी है और वक्त भी….हमारे समय से बहुत अलग.

मैं जानती हूं, मैंने तुम्हें बहुत भाषण दिए हैं- पैसों की कीमत समझने, गरीबों की सोचने, घर में काम करने वालों को सम्मान देने, अपने संस्कार याद रखने और न जाने क्या क्या. कई बार तुम्हें मेरे भाषणों से खीझ उठती है, ये बात भी मैं जानती हूं. लेकिन कहती हूं, क्योंकि जरूरी है. ये बातें जो शायद आज तुम्हें फालतू के लेक्चर लगती होंगी, यही बातें कुछ साल बाद तुम्हें समाज में अलग खड़ा करेंगी, अगर तुमने इन्हें याद रखा. और मैं जानती हूं कि तुम याद रखोगी.
आज तुम्हारे 16वें जन्मदिन पर मैं अगर खुद से पूछूं कि मैं तुम्हारे लिए, तुम्हारी जिंदगी के लिए क्या चाहती हूं, तो...
(फोटो: क्‍व‍िंट हिंदी)

आयशा, आज तुम्हारे 16वें जन्मदिन पर मैं अगर खुद से पूछूं कि मैं तुम्हारे लिए, तुम्हारी जिंदगी के लिए क्या चाहती हूं, तो:

मैं ये चाहूंगी कि अगर कल तुम बहुत पैसे कमाओ, तो भी ये मत भूलना कि तुम्हारे नाना कभी स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पढ़ते थे.

मैं ये चाहूंगी कि तुम न सिर्फ खुद के लिए, बल्कि हर लड़की, हर महिला के हक के लिए खड़ी नजर आओ. हमेशा.

मैं ये चाहूंगी कि तुम्हारी पहचान इससे न हो कि तुम्हारे पास क्या है, बल्कि इससे हो कि तुम क्या हो.

मैं ये चाहूंगी कि तुम अपने जीवन की हर खुशी में विनम्रता रखो और दुख में हौसला.

और चाहे कुछ हो जाए, सर हमेशा स्वाभिमान से ऊंचा रखना और सहजता से झुकाना.

कदम हमेशा उस रास्ते पर बढ़ाना, जिस पर सबका हित हो.

हाथ हमेशा देने के लिए आगे बढ़ाना, मांगने के लिए नहीं.

आंसुओं को बहने देना, मुस्कान को आने देना, किसी भाव को कभी रोकना नहीं.

और एक विश्वास हमेशा रखना—— अगर कभी तुम्हारे कदम लड़खड़ाए, कभी तुमसे कोई गलती हुई, तो भी तुम्हारे मम्मा-पापा हमेशा तुम्हारे ठीक पीछे खड़े होंगे, तुम्हें संभालने के लिए….

ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद

ऋचा अनिरुद्ध

13.11.2016

(ऋचा अनिरुद्ध जानी-मानी जर्नलिस्‍ट हैं. वे हिंदी न्‍यूज चैनल IBN7 में प्राइम टाइम एंकर रह चुकी हैं.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें