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...ताकि शादी के बाद न हो पति, पत्नी और पैसे का ‘लव ट्राएंगल’

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति और पत्नी दोनों का फाइनेंशियल नजरिया एक होना जरूरी है

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पहले रोमांस और फिर शादी, जिंदगी में इससे खूबसूरत चीज शायद और कुछ नहीं. अगर आप भी इस खूबसूरती को अपनी जिंदगी में उतारने जा रहे हैं, तो सबसे पहले हमारी मुबारकबाद कबूल कीजिए.

अमेरिका की मशहूर पत्रकार और लेखक मिगनन मैकलॉफलिन ने कहा है कि एक कामयाब शादी के लिए जरूरी है कि आप बार-बार प्यार करें, लेकिन हमेशा एक ही शख्स से. और, अगर आपको एक ही शख्स से बार-बार प्यार करना है, तो जरूरी है कि आपके और उसके बीच कोई चीज आड़े न आए और पैसा तो बिलकुल नहीं.

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अमेरिका की कैन्सस स्टेट यूनिवर्सिटी में साल 2013 में एक रिसर्च कराया गया था, जिसमें साढ़े चार हजार दंपतियों की स्टडी की गई थी. इस रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति और पत्नी, दोनों का फाइनेंशियल नजरिया एक होना जरूरी है. इसका मतलब ये है कि पति और पत्नी दोनों की पैसे, खर्च और कर्ज जैसी चीजों को लेकर सोच एक जैसी होनी चाहिए.

शादी से पहले ही मनी मैनेजमेंट का एक सिस्टम तैयार कर लेना आपके लिए उतना ही जरूरी है, जितना हनीमून का डेस्टिनेशन फाइनल करना. कैन्सस स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च में ये बात सामने आई कि पैसे को लेकर बहस पति-पत्नी के रिश्ते खराब करने की सबसे बड़ी वजह है.

इसलिए भले ही आप अरेंज मैरिज या लव मैरिज कर रहे हों, ये जरूरी है कि अपने पार्टनर को हां बोलने के पहले कम से कम इन 6 मुद्दों पर खुलकर बात करें.

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति और पत्नी दोनों का फाइनेंशियल नजरिया एक होना जरूरी है
शादी से पहले ही मनी मैनेजमेंट का एक सिस्टम तैयार कर लेना जरूरी है
(फोटो: iStock)
  1. खर्चों का बंटवाराः अक्सर ऐसा होता है कि शादी के बाद पति और पत्नी घर के रोजमर्रा के खर्चों को साझा करते हैं. लेकिन अगर शादी के पहले ही ये साफ कर लें कि किसके जिम्मे कौन सा खर्च आएगा, तो आगे की जिंदगी आसान हो जाएगी. मसलन, एक पार्टनर घर का किराया या बिजली बिल वगैरह दे सकता है, तो दूसरा घर की रोजमर्रा की शॉपिंग का खर्च उठा सकता है. अगर एक पार्टनर की इनकम दूसरे के मुकाबले ज्यादा है, तो वो थोड़ा ज्यादा खर्च उठाने का फैसला ले सकता है. याद रखिए कि ये फैसला आप दोनों को ही आपस में बात करके लेना है, इसका कोई तयशुदा फॉर्मूला नहीं है, जो पहले से बता दिया जाए.
  2. पहले से लिए कर्जः अपने पार्टनर को ये जरूर बताएं कि आप पर शादी से पहले जो कर्ज है, वो कितना बड़ा है और कब तक उसे चुकाया जाना है. ये भी साफ कर दें कि उस कर्ज का प्री-पेमेंट करने के लिए आप अपने पार्टनर से मदद चाहते हैं या नहीं. कर्ज का मतलब सिर्फ पर्सनल, ऑटो या होम लोन नहीं है. इसमें आपका क्रेडिट कार्ड का बकाया या किसी यार-दोस्त से लिया उधार भी शामिल है. शादी से पहले या रिलेशनशिप के दौरान ये बातें करने में लोग सहज नहीं रहते, लेकिन इन पर खुलकर बातें कर ली जाएं, तो इस वजह से आगे रिश्तों में कोई कड़वाहट नहीं रहेगी.
  3. बैंक अकाउंटः ये साफ कर लें कि शादी के बाद आपके बैंक अकाउंट्स अलग-अलग ही रहेंगे. उन्हें ‘ज्वॉइंट’ कराने या ज्वॉइंट बैंक अकाउंट खुलवाने से कोई फायदा नहीं होता. साथ ही अगर आप पहले से निवेश कर रहे हों, तो सिर्फ शादी की वजह से उनमें बड़े बदलाव करना समझदारी नहीं होगी. ये जरूर हो सकता है कि शादी के बाद आप दोनों के फाइनेंशियल गोल्स में बदलाव आए, तो उन बदलावों के मुताबिक फैसले लेने के लिए फाइनेंशियल प्लानर की मदद लें. याद रखें कि पर्सनल फाइनेंस वाकई में ‘पर्सनल’ होता है और आपको उसमें दखलंदाजी की इजाजत अपने पार्टनर को भी नहीं देनी चाहिए.
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सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति और पत्नी दोनों का फाइनेंशियल नजरिया एक होना जरूरी है
ये जरूर हो सकता है कि शादी के बाद आप दोनों के फाइनेंशियल गोल्स में बदलाव आए
(फोटो: PixaBay)

5. घर लेने का फैसलाः हो सकता है कि आप दोनों में से किसी ने अपना घर खरीद रखा हो और उसके लिए होम लोन लिया हो. ये भी हो सकता है कि आप दोनों शादी के बाद मिलकर घर खरीदने की योजना बना रहे हों. अगर होम लोन लिया है, तो उसे चुकाने की जिम्मेदारी को लेकर साफ बातें करें. घर किसके नाम पर है और क्या शादी के बाद उसमें बदलाव की जरूरत होगी, इन मुद्दों पर भी स्पष्टता होनी चाहिए. दोनों के ही पास घर हों, तो किस घर में शिफ्ट करेंगे, दूसरे घर का क्या करेंगे, जैसी बातें भी आपस में जरूर कर लें. और शादी के बाद घर लेने का प्लान है, तो आप दोनों के लिए क्या बेहतर होगा, इस बारे में सारी जानकारी जुटाने के बाद ही फैसला करें. यही छोटी-छोटी बातें अगर उलझी रहें, तो आगे जाकर गलतफहमियां पैदा करती हैं.

6. इंश्योरेंस और पारिवारिक जिम्मेदारियांः अगर शादी से पहले आपके पास कोई इंश्योरेंस पॉलिसी है, तो उसमें नॉमिनी या बेनेफिशियरी के तौर पर माता-पिता या भाई-बहन का ही नाम होगा. इस बारे में भी शादी से पहले अपने पार्टनर से बात कर लें. अक्सर इंश्योरेंस की रकम के हकदार को लेकर दंपतियों में विवाद हो जाते हैं. पहले से चर्चा कर लेने के बाद इस विवाद की गुंजाइश नहीं बचेगी.

शादी के बाद कई चीजें बदलती हैं, और कई नई जिम्मेदारियां भी जुड़ती हैं. इसलिए अगर अपने फाइनेंशियल प्लान्स को लेकर पहले से दोनों पार्टनर जागरूक रहेंगे, तो उन बदलावों को स्वीकार करना और जिम्मेदारियों को उठाना बेहद आसान हो जाएगा. आखिर हम भी नहीं चाहेंगे कि आप दोनों की लव स्टोरी के बीच ‘पैसा’ आकर उसे ‘लव ट्राएंगल’ का रूप दे दे.

(धीरज कुमार अग्रवाल जाने-माने जर्नलिस्‍ट हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

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