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COVID-19 लॉकडाउन के दौरान खुद का विकास, कैसे कर रहे हैं आप?

हमने भी कुछ चीजों को शुरू की थी मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.

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लॉकडाउन हमारे दिनचर्या का अब एक हिस्सा है, इस बीच समय का बेहतर उपयोग कैसे किया जाए इसके लिए कई लोगों ने ‘To Do’ list भी बनाई होगी. आप जानते हैं, हम हमेशा कहते है अगर मेरे पास टाइम होता तो मैं ये करता वो करता वगैरा वगैरा...लेकिन अगर आप भी हमारी तरह हैं, तो आपका ये प्लान फेल हो सकता है. हमने भी कुछ चीजों को शुरू किया था मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.

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मेरी कोंडो के बारे में हम सबने सुना है, चीजों को सहेज कर रखना, और जीवन में एक छोटे से बदलाव करना - आसान शब्दों में हम गंदगी में क्यों रहें अगर हम साफ रह सकते है.

हमने भी कुछ चीजों को शुरू की थी मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.
मैरी कांडो से लेकर कुर्सी पर कपड़ों के ढेर तक
(फोटो : इरम गौर / द क्विंट)

लॉकडाउन ने हमे अपने अंदर झांकने का अच्छा मौका दिया है. अपने और अपनो के लिए कुछ समय निकालिये, कोई बड़े लक्ष्य की ओर बढिए. कईयों ने शुरुआत अच्छी की मगर कुछ ही दिनों में उन्हें लगने लगा कि इस ब्रम्हांड में वो बस एक छोटे से कण हैं.

हमने भी कुछ चीजों को शुरू की थी मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.
कईयों ने शुरुआत अच्छी की मगर कुछ ही दिनों में उन्हें लगने लगा कि इस ब्रम्हांड में वो बस एक छोटे से कण हैं.
(फोटो : इरम गौर / द क्विंट)

कई लोगों ने शुरुआत तो अच्छी की, इस मुश्किल समय में उन्होंने अपने दोस्तों के साथ अपना अनुभव शेयर किया. मगर जल्द ही एक दूसरा विचार यानी की सेकंड थॉट उनके दिमाग में आया कि आखिर वो कैसी जन्दगी जी रहे हैं.

हमने भी कुछ चीजों को शुरू की थी मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.
कईयों ने शुरुआत तो अच्छी की, मगर सेकंड थॉट उनके दिमाग में आया कि आखिर वो किसी जन्दगी जी रहे हैं.
(फोटो : इरम गौर / द क्विंट)
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पौधों को पानी देना हमेशा अच्छा होता है. कभी कभी मुश्किल वक्त में ये थैरेपी की तरह काम करते हैं. और वैसे भी उन्हें जिंदा रखने के लिये सिचाई की जरूरत तो होती ही है.

हमने भी कुछ चीजों को शुरू की थी मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.
पौधों को पानी देना हमेशा अच्छा होता है.
(फोटो : इरम गौर / द क्विंट)

आपको पने आप से पूछना होगा कि, 40 दिनों के फिटनेस चैलेंज के दौरान आखिर आपने कब सोच की ये आपके लिए नहीं है. हमारे लिए ये दूसरा दिन था.

हमने भी कुछ चीजों को शुरू की थी मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.
40 दिनों के फिटनेस चैलेन्ज के दौरान आखिर आपने कब सोच की ये आपके लिए नहीं है
(फोटो : इरम गौर / द क्विंट)

और जो मूवीज की लिस्ट आपने बनाई थी, वो कहां तक पहुंची...हमने तो शुरुआत नेटफ्लिक्स से की थी अब हम दूरदर्शन देख रहे हैं.

हमने भी कुछ चीजों को शुरू की थी मगर हम आपको बताएंगे कि, अब हम कैसा महसूस कर रहे हैं.
नेटफ्लिक्स से दूरदर्शन तक  
(फोटो : इरम गौर / द क्विंट)

आखिर में हम बस ये कहना चाहेंगे, अगर आपने जो करने का सोचा था वो अगर नहीं कर पाए हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है. ये मुश्किल समय है और हम सब इससे उबरने का सोच रहे है. इसलिए खुश रहिये, ये महामारी है सेल्फ इम्प्रूवमेंट बूट कैंप नहीं.

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