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Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी के दिन कैसे करें पूजन, जानें उसका महत्व

Narak Chaturdashi 2022: इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है.

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Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी को रूप चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता हैं. जो कि इस साल दिवाली के दिन यानि 24 अक्टूबर को के दिन पड़ी हैं. इस दिन पहले नरक चौदस की पूजा की जाएगी, इसके बाद दिवाली का लक्ष्‍मी पूजन होगा. नरक चतुदर्शी के दिन घर के बाहर एक चौमुखी दीपक जलाया जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है.

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ये हैं दीपक जलाने के नियम

नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्‍य द्वार की चौखट पर जलने वाले इस दीपक को यम दीप कहा जाता है. इस दीपक में दो बत्तियां क्रॉस करके इस तरह लगाई जाएं कि उनके मुख चारों दिशाओं में रहें. दीपक को एक तरफ से जलाया जाए और इसे मुख्‍य द्वार की चौखट पर इस तरह से रखा जाए कि जलती हुई बाती दक्षिण दिशा की ओर रहे.

दक्षिण दिशा में यमराज और सभी पूर्वजों का निवास माना गया है. इसलिए दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाकर यमराज को समर्पित किया जाता है. दीपक रखने के बाद यमराज से परिवार के लोगों की दीर्घायु और उनके जीवन की समस्‍याओं का अंत करने की प्रार्थना करें. जब तक दीपक जले, इसकी निगरानी करें और दीपक के विदा होने के बाद इसे घर के अंदर किसी स्थान पर रख दें.

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नरक चतुर्दशी पूजा विधि

  • शाम के समय भगवान कृष्ण कि पूजा करें और घर के मुख्य द्वार पर तेल का दीपक जलाएं.

  • इस दिन दान करना भी शुभ होता है.

  • भगवान कृष्ण की पूजा करें.

  • यमराज के नाम से भी एक दीपक जलाएं.

  • इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर दूर हो जाता है.

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नरक चतुर्दशी की कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में नरकासुर नामक राक्षस ने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था. उसके भीतर अनगिनत अलौकिक शक्तियां थीं जिसकी वजह से उससे युद्ध करना किसी के वश में नहीं था. जब नरकासुर की यातनाएं बहुत ज्यादा बढ़ गईं तब सभी देवता भगवान कृष्ण के पास पहुंचे और उनसे बचाव की प्रार्थना की. सभी देवताओं की स्थिति देखते हुए श्रीकृष्ण उनकी मदद के लिए तैयार हो गए.

नरकासुर को अभिशाप मिला था कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों ही होगी. तब बड़ी ही चतुराई से भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी के सहयोग से कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन नरकासुर को वध कर दिया. नरकासुर की मृत्यु के बाद 16 हजार बंधकों को मुक्त किया गया. तब से इन 16 हजार बंधकों को पटरानियों के नाम से जाना जाने लगा.

नरकासुर की मृत्यु के बाद कार्तिक मास की अमावस्या के ठीक एक दिन पहले लोग नरक चतुर्दशी मनाने लगे. इस प्रकार नरक चतुर्दशी के दिन किया गया पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है और विधि- विधान से से पूजा करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है.

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