राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 29 महिलाओं को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया. इनमें 2020 के लिए 14 पुरस्कार और 2021 के लिए 14 पुरस्कार दिए गए. नारी शक्ति पुरस्कार व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए जाने वाले उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किए जाते हैं.
चलिए हम आपको मिलवाते हैं कुछ ऐसी महिलाओं से जिन्होंने अपने काम से समाज में मिसाल कायम की है. इन महिलाओं ने हर तरह की परिस्थितियों से मुकाबला कर अपना नाम बनाया है. तभी तो इन्हें महिला सशक्तिकरण की असली नायिका कहा जा रहा है.
राधिका मेनन
राधिका मेनन (Radhika Menon) मर्चेंट नेवी की पहली भारतीय महिला कैप्टन हैं. 2015 में उन्होंने नाव में एक सप्ताह से फंसे 7 मछुआरों की जान बचाई थी. राधिका मेनन समुंद्र में वीरता के लिए पुरस्कार जीतने वाली दुनिया की पहली महिला हैं.
निवृति राय
निवृति राय (Nivruti Rai) इंटेल इंडिया (Intel India) की कंट्री हेड हैं. निवृति ने सेमीकंडक्टर चिप तैयार की है, जो काफी कम ऊर्जा खर्च करती है. साथ ही उन्होंने न्यू रूरल कनेक्टिविटी सॉल्यूशन भी विकसित किया है. जिसके जरिए गांवों में बिजली के तारों के माध्यम से इंटरनेट पहुंचाया जा सकता है.
उषाबेन दिनेशभाई बसावा
जैविक खेती में उत्कृष्य योगदान और बुनियादी स्तर पर महिला किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए उषाबेन दिनेशभाई बसावा (Ushaben Dineshbhai Vasava) को नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया है. उषाबेन ने अब तक 500 से अधिक महिलाओं को जमीन का अधिकार दिलवाया है. इसके साथ ही वो 2700 से अधिक महिलाओं को जैविक खेती की ट्रेनिंग देती हैं.
वनिता जगदेव बोराडे
वनिता जगदेव बोराडे (Vanita Jagdeo Borade) सांपों को नई जिंदगी देने वाली देश की पहली महिला रेस्क्यूअर हैं. इन्होंने अब तक 50 हजार से ज्यादा सांपों को बचाया है. वनिता को वन्यजीव संरक्षण के लिए उनके विशेष प्रयासों के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया है. वह सांपों को बचाने के साथ ही उनके संरक्षण के लिए जागरुकता अभियान भी चलाती हैं. उन्हें ‘सर्प मित्र’ के नाम से जाना जाता है.
जया मुथु और तेजम्मा
नीलगिरी की सदियों पुरानी बारीक टोडा कढ़ाई को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए जया मुथु और तेजम्मा (Jaya Muthu and Tejamma) को नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया गया है. इनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की देश-विदेश में बहुत मांग है. पिछले कई सालों से ये इस काम में जुटी हैं.
जोधैया बाई बैगा
बैगा पेंटिग्स के लिए मशहूर 80 साल की जोधैया बाई बैगा (Jodhaiya Bai Baiga) को भी इस साल नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. जोधैया बाई जनजातीय संस्कृति और जीवन शैली और कैनवास पर उकेरती हैं. उनकी पेंटिंग्स इटली में भी शोकेस हो चुकी है.
बतूल बेगम
जयपुर की रहने वाली बतूल बेगम (Batool Begam) ने भारतीय लोक संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया है. मांड और भजन लोक गीत उनकी खासियत है. राजस्थानी लोक संगीत में उन्हें महारथ हासिल है. केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उनके प्रोग्राम आयोजित होते हैं.
सायली नंदकिशोर अगवाने
डाउन सिंड्रोम से पीड़ित सायली नंदकिशोर अगवाने (Saylee Nandkishor Agavane) कथक डांसर हैं. सायली ने 100 से अधिक आयोजनों में अपना नृत्य प्रस्तुत किया है. ग्लोबल ओलम्पियाड डांस कम्पीटिशन में उन्होंने कांस्य पदक जीता था.
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