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नाइट शिफ्ट बिगाड़ न दे सेहत, ऐसे रखें अपना ख्याल

जानिए नाइट शिफ्ट का आपकी सेहत पर क्या दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं और इसके दुष्प्रभावों से आप कैसे बच सकते हैं 

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क्या आपको अक्सर दोस्तों के जन्मदिन की पार्टियां और पारिवारिक उत्सवों को छोड़ना पड़ता है क्योंकि आप काम में व्यस्त रहते हैं जबकि आपके दोस्त मस्ती कर रहे होते हैं? क्या आपकी आंखें रकून जैसी हो गई हैं, पेट फूलने लगा है और ये महसूस होता है कि दुनिया चल रही है और आप सो रहे हैं? सच यही है कि नाइट शिफ्ट आपकी जिंदादिली छीन लेती है... सिर्फ शब्दों में नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी!

आपके शरीर में कॉफी ज्यादा और खून कम हो जाता है. आप हमेशा खाते रहते हैं और आपकी शख्सियत में एक चिड़चिड़ापन आने लगता है.

हाल ही में ओबेसिटी रिव्यूज जर्नल में छपी एक स्टडी में दावा किया गया है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में मोटापे का खतरा नॉर्मल शिफ्ट में काम करने वालों के मुकाबले 29 फीसदी ज्यादा होता है. जो लोग हमेशा नाइट शिफ्ट में ही काम करते हैं, उनके लिए ये खतरा और बढ़ जाता है.

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सेहत के लिए डरावना सपना है नाइट शिफ्ट

बायो क्लॉक या बॉडी क्लॉक में बदलाव और नतीजतन जीवनशैली में परिवर्तन सेहत को असंतुलित कर देता है. नाइट शिफ्ट में काम करने से शरीर में स्ट्रेस-हॉर्मोन बनने लगते हैं, जिससे सेहत से जुड़ी कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं.

रात में काम करने से आपकी खाने की आदतें बदलती हैं. इस समय आम तौर पर आपकी पाचन क्रिया धीमी होती है और जो कैलोरी आप लेते हैं वो मोटापे की परतों के रूप में जमा होती जाती है.

ऑक्युपेशनल एंड इन्वायरन्मेंटल मेडिसिन में छपी एक स्टडी के मुताबिक:

नाइट शिफ्ट में काम करने से कोशिकीय “कचरा” साफ करने और क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत करने की शरीर की क्षमता पर असर पड़ता है.

यही नहीं, कई अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग लंबे समय तक नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, वो नींद की कमी से जूझते रहते हैं. और इससे सेहत पर बेहद गंभीर असर पड़ता है.

नींद की कमी से शरीर में घ्रेलिन हॉर्मोन का उत्पादन बढ़ता है, जो भूख को जगाता है. साथ ही, इससे लेप्टिन हॉर्मोन कम बनता है, जो आपके दिमाग को बताता है कि कब आपके शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत नहीं है. सोने के तौर-तरीकों में बदलाव से शरीर को ज्यादा कैलोरी, फैट और कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ की जरूरत महसूस होने लगती है, जिसका नतीजा हो सकता है मोटापा, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, ब्लड शुगर लेवल में असंतुलन, मूड में उतार-चढ़ाव या दूसरी दिक्कतें.
अंकिता गुप्ता, फाउंडर, न्यूट्रिशन मैटर्स, दिल्ली
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बायो क्लॉक का बरकरार रहना क्यों है जरूरी?

ये जानते हुए भी कि नाइट शिफ्ट में सेहत को किस तरह के नुकसान पहुंचते हैं, आपके पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं होते. मीडिया जैसे कुछ पेशों में ये काम से जुड़ी मजबूरी है. कुछ लोग ये दलील भी दे सकते हैं कि नाइट शिफ्ट में काम करते हुए उनका शरीर धीरे-धीरे इसके अनुकूल हो जाएगा. तो फिर आखिर क्यों ये नुकसानदेह है?

हमारी बायो क्लॉक सूर्य के उगने और डूबने के मुताबिक चलती है, हमारे काम के शेड्यूल से नहीं. चौंकिए नहीं!

शरीर की इंटरनल बायो क्लॉक आपकी नींद और खाने-पीने के समय को निर्धारित करती है. और ये बायो क्लॉक 24 घंटे में उजाले-अंधेरे के हिसाब से चलती है, जिसके साथ छेड़छाड़ के गंभीर नतीजे हो सकते हैं.

2007 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि “बॉडी की बायो क्लॉक में व्यवधान” संभवतः कैंसर की वजह बन सकता है.

दरअसल, सिर्फ नाइट शिफ्ट ही नहीं, थोड़ी देर की रुकावट, जैसे जेट-लैग या टाइम-जोन में बदलाव से भी शरीर को नुकसान पहुंचता है.

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नहीं है कोई ऑप्शन...तो इस तरह करें नाइट शिफ्ट की दिक्कतों को कम

न्यूट्रिशन मैटर्स की फाउंडर अंकिता गुप्ता ने हमें कुछ नुस्खे दिए हैं. उन्होंने बताया कि:

काम पर जाने के पहले रात का खाना खा लें. इससे आपको भूख नहीं लगेगी और कॉफी पीने, सैंडविच या नूडल्स खाने का लालच नहीं आएगा. जब आपको नींद आए, एक सेब खा लें. जी हां! सेब नींद भगाने के लिए कॉफी से बेहतर है! कैफीन कम लें. 

अंकिता टहलने पर भी जोर देती हैं. नाइट शिफ्ट में भी. एक ब्रेक लीजिए, मेवे खाइए या फल या बस जाकर पानी की बोतल भर लीजिए, लेकिन चलिए जरूर!

अंकिता कहती हैं, “अगर आप स्नैक्स खाना ही चाहते हैं तो सेहतमंद चीजें लें. फल और सब्जियां, मेवे या घर पर बने एनर्जी बार खाएं. अपनी आदत बना लें कि नाइट शिफ्ट में आप घर का बना खाना जरूर ले जाएं. इससे आपके शरीर में कम कैलोरी जाएगी.”

मीठा खाना-पीना नाइट शिफ्ट में बिलकुल बंद कर दें. वो थोड़ी देर के लिए तो मूड अच्छा करेंगे. लेकिन बहुत जल्दी आपकी एनर्जी कम होने लगेगी. यही बात बर्गर, फ्राइड चिकेन और शेजवान नूडल्स या मैगी जैसी चीजों पर लागू होती है.

सबसे जरूरी बात कि आपको नाइट शिफ्ट में काम करने के बावजूद अच्छी नींद लेनी चाहिए.

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ये पक्का करें कि आप रोजाना 8 घंटे की नींद पूरी करते हों. जब हम नींद की अहमियत को कम करते हैं तो हम भूल जाते हैं कि नींद विलासिता नहीं है, ये शरीर की जरूरत है. 
अंकिता गुप्ता, फाउंडर, न्यूट्रिशन मैटर्स, दिल्ली

तो अगर आप नाइट शिफ्ट से बाहर नहीं आ सकते, तो कम से कम उसे अपने शरीर के लिए कम तकलीफदेह जरूर बना सकते हैं. याद रखिए कि जीवन में मुश्किलें आएं तो उनका भी फायदा उठाना चाहिए!

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