ADVERTISEMENTREMOVE AD

'फिटनेस की डोज आधा घंटा रोज' - कंक्रीट युग में अब सेहत को साइकिल का ही सहारा

World Bicycle Day 2022: कोरोना काल के बाद से वर्क फ्रॉम होम और मोबाइल ने लोगों को घर के अंदर ही कैद कर लिया है.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

3 जून 2018 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने साइकिल उपयोग को बढ़ावा देने के लिये पहली बार विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) मनाने की शुरुआत की थी. आज यह चौथी बार मनाया जा रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस बार विश्व साइकिल दिवस ऐसे समय में आया है, जब हम बॉलीवुड के मशहूर गायक कृष्णकुमार कुनाथ की असमय मृत्यु के दुख में डूबे हुए हैं.

हम सबको पता है कि लोगों का खानपान और रहनसहन अब पहले जैसा नहीं रहा, खाने का सामान मिलावट भरा है, तो युवाओं की शारीरिक गतिविधियां शून्य हो चुकी हैं. कोरोना काल के बाद से वर्क फ्रॉम होम और मोबाइल पर पढ़ाई ने लोगों को घर के अंदर ही कैद कर लिया है.

0
मोबाइल से लगाव और खेलने के लिए जगह की कमी की वजह से बच्चे अब गलियों में खेलते नहीं दिखते. युवाओं में लिपिड लेवल बढ़ रहा है, शरीर बाहर से दिखता तो ठीक है पर हृदय बीमार हो जाता है.

28 मई को किए टेस्ट में मेरा लिपिड लेवल भी 500 से ऊपर है, जबकि सामान्यतः यह 150 पर ही होना चाहिए.

टेस्ट नहीं होता तो मैं इस बात से अनजान रहता और मुझे कभी भी हृदय संबंधी समस्या सामने आ सकती थी. अब लिपिड लेवल को सामान्य लाने में मुझे एक-दो महीने तक शारीरिक गतिविधियों के साथ दवाइयों पर निर्भर रहना होगा.

मैंने तो टेस्ट करा लिया पर शायद बहुत से लोग ये नहीं कराते और अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लिपिड का अर्थ फैट होता है. हमारे शरीर के बाहर के पार्ट में फैट मौजूद होने के साथ खून की नली में भी फैट मौजूद होती है.

लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के जरिए खून में मौजूद फैट की मदद से कोलेस्ट्रोल, वीएलडीएल, एलडीएल, एचडीएल, ट्राईग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रोल का पता लगाया जाता है. इस टेस्ट को खाली पेट करवाने की सलाह दी जाती है, ताकि रिपोर्ट में फैट की वैल्यू सही-सही मिल सके.

यदि इसकी मात्रा बढ़ जाए तो खून की नली में फैट जमा होने की संभावना होती है, जिस वजह से हार्ट की नलियों में फैट जमा होने के कारण हार्ट डिजीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक हार्ट जैसी बीमारी होने की संभावना रहती है. इसे कंट्रोल में रखने के लिए चाहिए कि हम एक्सरसाइज करते रहें और तला-भुना खाने से दूर रहें.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

खेल के मैदान गायब, इसलिए साइक्लिंग हो गई है जरूरी

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज, खेलकूद जरूरी है, पर नगरीकरण के इस दौर में शहरों, गांवों में कंक्रीट का जाल बिछाने पर ही जोर दिया जा रहा है. मोबाइल में कैद बच्चे, युवा या वृद्ध जन अगर कोई शारीरिक गतिविधि करना भी चाहते हैं, तो इसके लिए जगह की कमी है.

अगर आप खेल के मैदान बढ़ने की उम्मीद में हैं, तो ये जान लेना जरूरी है कि साल 2021 में केंद्र सरकार ने खेल बजट में 8.16% की कटौती की थी. खेलों के लिए बजटीय आवंटन 2,596.14 करोड़ रुपये था, जो पूर्व के मुकाबले 230.78 करोड़ रुपये कम है.

सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में भी खेलने की जगह नहीं है. अखिल भारतीय स्कूल शिक्षा सर्वेक्षण के द्वारा 2016 में किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, देश के 62% सरकारी स्कूलों में प्लेग्राउंड नहीं है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

इन सब कमियों के बाद भी आपको अपने स्वास्थ्य से समझौता नहीं करना चाहिए. देश में सड़कों की कमी नहीं है और अपना स्वास्थ्य सही रखने के लिए आप उसमें साइक्लिंग का आनंद उठा सकते हैं.

यूरोपीय देशों में 18वीं शताब्दी के दौरान जन्म ले चुकी साइकिल का रखरखाव बहुत ही आसान है. साइकिल की चेन में समय-समय पर तेल डालते रहने, पहियों में समय से हवा भरते रहने, समय-समय पर साइकिल के नट बोल्टों को कस कर, उसके ब्रेकों का ध्यान रख, समय से साइकिल की सफाई कर उसे जंग मुक्त रख कर और पहिये का पंक्चर बनाने का ज्ञान रख साइकिल को लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जा सकता है.

वर्ल्ड बैंक वेबसाइट के मुताबिक, इस समय दुनिया भर में 1 बिलियन से अधिक साइकिलें हैं और वैश्विक आबादी का 50% से अधिक हिस्सा साइकिल चलाना जानता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वेबसाइट के मुताबिक, दुनिया भर में हर सेकंड चार बाइकों का उत्पादन होता है और इन्हें हर दो सेकेंड में कोई न कोई खरीद ही लेता है. कोरोना के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने की खूब बात हुई है, सार्वजनिक वाहनों में बेतहाशा भीड़ के इस दौर साइकिल सामाजिक दूरी बनाए रखने का सस्ता एवं सुलभ जरिया भी है.

साइकिल सवारों की सुरक्षा के लिये मुख्य सड़क से अलग लेन का निर्माण ज्यादा संख्या में सुनिश्चित किया जाए तो खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के 'फिटनेस की डोज आधा घंटा' मंत्र को जमीनी स्तर पर पूरा किया जा सकता है.

(हिमांशु जोशी पत्रकारिता शोध छात्र हैं. इस लेख में दिए गए विचार उनके अपने हैं, क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें