ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिहार को बाढ़ की आदत-सी पड़ गई है, लोगों को प्रशासन से उम्मीद नहीं

बिहार में बाढ़ के प्रकोप और लोगों के संघर्ष की कहानी 

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

लगभग 11 दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बिहार के 12-13 जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. पिछले पांच दिनों से बिहार में बारिश के बीच करंट लगने और पानी में डूबने से अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. सबसे बुरा हाल राजधानी पटना का है, जहां अब तक 8 लोगों के मरने की खबर है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिहार में बाढ़ का आना मानो एक आम बात हो चुकी है. लेकिन पटना में 1975 की बाढ़ के बाद पहली बार ऐसी बाढ़ दि‍ख रहा है.

मैं उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के औराई-कटरा से हूं. वहां पूरा क्षेत्र गंडक, बागमती और लखनदेई नदी से घिरा हुआ है. औराई का नाम अखबारों में ज्यादातर बाढ़ के कारण ही आता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन होने से पहले तक मेरी जिंदगी अपने गांव में ही गुजरी है. मैंने बाढ़ के दौरान लोगों के संघर्ष, तकलीफ और परेशानियों को देखा और झेला है.

कई बार तो ऐसा हुआ है कि रात को सोने से पहले तक सब कुछ सही होता था, लेकिन सुबह मां ये कहकर उठाती थीं,, “अरे उठके देखहीं न, बाहर दाहर आ गेलई” रातों-रात बांध टूटने के कारण बाढ़ आ जाती थी.

जैसे-जैसे जलस्तर बढ़ता है, पानी खेतों से ऊपर आकर घरों में घुसने लगता है. सड़कें पानी के दबाव के कारण टूटने लगती हैं. बिजली के खंभों के गिरने के कारण बिजली काट दी जाती है. शहरों, बाजारों और आस-पास के गांवों से संपर्क टूट जाता है और लोग अपने परिवार और मवेशियों के साथ एक छोटी, ऊंची और सुखी जगह खोजकर वहां खुद को कैद रखने को मजबूर हो जाते हैं. वह जगह किसी का मकान या सरकारी स्कूल की छत, बांस का बना ऊंचा मचान या सड़क पर बनाया टेंट होता है. नाव और टूटी सड़कों पर लोग श्रमदान करके बांस वाला चचरी का पुल बनाकर जीवन चलाते हैं.

महीनों तक स्कूल जाना बंद हो जाता है. खेतों में बाढ़ का पानी, बाढ़ के बाद तक रहता है. सड़कें बनने और बिजली का पोल गाड़ने में महीनों लग जाते हैं और जब तक सब कुछ सही होता है कि उससे पहले फिर बाढ़ आ जाती है.

ऐसा कई सालों से चलता आ रहा है. उस दौरान परिवार को और खुद को सुरक्षित रखना ही सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है. दूसरी सभी समस्या उस समय कम ही लगती है. यह सिर्फ मेरा अनुभव नहीं है, बिहार के सभी लोग बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से आते हैं, ये उन सबकी कहानी है.

बाढ़ आने का कारण कभी नेपाल से छोड़ा गया पानी होता है, तो कभी भारी बारिश. सरकार ने इसे प्राकृतिक आपदा का नाम दे रखा है, तो वर्षों से इसे झेलते-झेलते लोगों ने सरकार और सिस्टम से उम्मीद करना ही छोड़ दिया है.

लोगों को मानो बाढ़ की आदत-सी हो गई है. वे इस समस्या के साथ जीना सीख गए हैं. हां, इस बार यह उत्तर बिहार के अलावा राजधानी पटना तक पहुंच गई है. वहां के लोगों को इसकी आदत नहीं है. नुकसान के साथ लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

पापा से आज फोन पर बात हुई है. उन्होंने कहा कि वहां सब लोग ठीक हैं, लेकिन बारिश दस दिनों से लगातार हो रही है. फसल को काफी नुकसान हुआ है. बारिश रुक गई, तो हालात ठीक हो जाने की उम्मीद है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×