वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
प्रोड्यूसर: आस्था गुलाटी
मेरी पत्नी, नेहा, और मैं जनवरी 2018 में वुहान, चीन चले गए. सबकुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था. मैं वुहान टेक्सटाइल यूनिवर्सिटी में एक एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहा था और नेहा शैन्डॉन्ग यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में अपनी पीएचडी कर रही थी. दिसंबर 2019 तक, हमें पता चला कि कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. हमें पता नहीं था कि ये कैसा वायरस था लेकिन इससे प्रभावित लोगों की संख्या में 22 जनवरी तक 22 गुना बढ़त हुई. इसके बाद लॉकडाउन हुआ.
हम 27 फरवरी को नई दिल्ली लौट आए और हमें टेस्ट और निगरानी के लिए आईटीबीपी कैंप भेजा गया. हम 13 मार्च तक वहां थे और हमारे टेस्ट 2 बार निगेटिव आए.
14 मार्च को, हम उत्तर प्रदेश के जलेसर अपने घर वापस आ गए. अचानक, लोगों ने हमारे प्रति अपना व्यवहार बदल दिया. अब कोई हमसे मिलने नहीं आता है और वे हमें अलग तरह से देखते हैं. शायद इसलिए क्योंकि हम COVID-19 हिट-वुहान से लौटकर आए हैं.
हम पूरी तरह से ठीक हैं. लेकिन अगर किसी को कोरोना वायरस है तो भी लोगों को उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए. ये उनकी गलती नहीं है, कोई भी संक्रमित हो सकता है. कोरोना वायरस उतना घातक नहीं है जितना कि इसे बनाया जा रहा है.
हमारा विचार है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और इसे छिपाना नहीं चाहिए. अगर किसी में लक्षण है, तो उन्हें इसकी सूचना नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में देनी चाहिए.
अभी, हम चीजों के जल्द ही सामान्य होने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि जून या जुलाई तक हम वुहान लौट सकें और अपने काम और जिंदगी की पटरी पर वापस आ सकें, जैसे ये पहले हुआ करता था.
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