वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
वीडियो प्रोड्यूसर: आस्था गुलाटी
लखनऊ के इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेज यूनिवर्सिटी (EFUL) के छात्र कैंपस में बेहतर सुविधाओं को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. हैदराबाद और शिलॉन्ग में EFUL के कैंपस हैं लेकिन लखनऊ में किराए की जगह पर कैंपस बहुत कम सुविधाओं के साथ चल रहा है.
पहले क्लासरूम में 20 कुर्सियां हैं. ऐसे में इसकी स्ट्रेंथ का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस रूम में भी पढ़ाई होती है. इस कमरे को बीमारों की देखभाल के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
क्लासरूम को कभी-कभी सेमिनार और बाकी कार्यक्रमों के लिए भी उपयोग में लाया जाता है, जैसे यहां हिंदी दिवस मनाया जाता है, 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रम भी इसी कमरे में होते हैं.
लखनऊ कैंपस में कदम रखने के साथ ही ये खत्म हो जाता है क्योंकि ये एक किराए की जगह पर चल रहा है. यहां क्लासरूम के नाम पर सिर्फ 5 कमरे हैं.
'कैंपस में लैंगिक असमानता , लड़कियां देती हैं ज्यादा फीस'
लड़कों और लड़कियों के हॉस्टल फी में असमानता है, प्रॉपर कैंपस नहीं है जो किसी भी यूनिवर्सिटी की पहली प्राथमिकता होती है, कई बार प्रदर्शन करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ.
मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं, यहां एम्बुलेंस भी नहीं है, लड़कियों के लिए सिक-रूम की व्यवस्था नहीं है, फ्री सेनिट्री नैपकिन की सुविधा भी नहीं दी जाती है.
EFLU के प्रशासन ने क्विंट को नाम गुप्त रखने पर बताया कि कैंपस नई जगह शिफ्ट किया जाएगा. प्रशासन ने प्रदर्शन पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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