Byline: प्रमिता वैश्य और यथार्थ राजपूत (to be added)
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वीडियो प्रोडूसर: वर्षा रानी
वीडियो एडिटर: दीप्ती रामदास
एक जमाने में 73 मीटर ऊंची कुतुब मीनार दिल्ली की सबसे ऊंची इमारत हुआ करती थी, लेकिन अब इस क्षेत्र में कई वाणिज्यिक और आवासीय इमारतें बन चुकी हैं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित स्मारक को छोटा बना दिया. जल्द ही गाजीपुर का लैंडफिल भी इससे ऊंचा हो जाएगा. गाजीपुर लैंडफिल, 70 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ 65 मीटर ऊंचा गंदगी का नया शिखर है.
लेकिन गाजीपुर ही दिल्ली की एकमात्र डंपसाइट नहीं है. पूर्व में गाजीपुर है, तो उत्तर पश्चिमी दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल. हम दोनों लैंडफिल के पास रहने वाले लोगों से मिलने गए, ताकि कचरे के ढेर के कारण उन्हें होने वाली समस्याओं को समझ सके.
गाजीपुर लैंडफिल के पास रहने वाली एक महिला कहती है, "यह पानी दूषित है. हमें यहां पाइपलाइन से पानी नहीं मिलता है. अगर हम पाइपलाइन से पानी लाते भी हैं, तो वह भी दूषित हो जाता है."
"हमें यहां 30 साल हो गए हैं. जब हम पहली बार यहां आए थे, तो ये सभी जगहें ऐसी ही थीं जिस पर हम रह रहे हैं, या वहां गड्ढे थे. यह लैंडफिल शहर भर में फैल गई है. आग लगने पर यह ढेर बहुत खतरनाक हो जाता है. इन लैंडफिल में मौजूद मीथेन गैस के कारण ये टूट जाता है. इन विशाल लैंडफिल से कचरा गिरना शुरू हो जाता है. यह अपने आप आग पकड़ लेता है, फिर आग बुझाने में लगभग 10-15 दिन लगते हैं."-सुनीता (निवासी, गाजीपुर)
भलस्वा लैंडफिल की स्थिति भी यहां से अलग नहीं है. निवासियों को वायु, जल और भूमि प्रदूषण की समान समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
"मेरी सांस की समस्या को लेकर तीन सर्जरी हो चुकी है और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं. यहां रहने वाले अधिकांश लोगों को सांस लेने में समस्या होती है और त्वचा की समस्याएं भी हैं. मैं भी उनमें से एक हूं. हमें यहां जो पानी मिलता है वह दूषित है और हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. अगर हम कभी उस पानी को पीते हैं या इस्तेमाल करते हैं, तो इससे पेट की समस्या या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं. इसलिए हम अपने लिए बाहर से पानी लाने पर मजबूर हैं"-सरफ़राज़ (निवासी, भलस्वा)
कचरे के ढेर के पास रहने वाले निवासियों का कहना है कि सरकार ने उनका जीवन बेहतर बनाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए.
दिसंबर 2020 में, पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने दावा किया था कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर पूरे कचरा डंप को दिसंबर 2024 तक रसायनों के प्रयोग से संसाधित किया जाएगा।
(प्रमिता वैश्य और यथार्थ राजपूत दोनों जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली में मास्टर्स के छात्र हैं.)
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