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कोई महिला अकेले फॉरेन टूर पर क्यों नहीं जा सकती?

एक तरफ महिला सशक्तिकरण के इतने दावे दूसरी तरफ किसी महिला के अकेले सफर करने पर इतने सवाल क्यों?

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पिछले महीने मैं अकेले बैंकॉक जा रही थी. लेकिन इस सफर की शुरुआत में एयरपोर्ट पर जो मेरा अनुभव रहा, उसे मैं चाहकर भी नहीं भूला सकती. ऐसे में मैंने सोचा कि क्यों न इस अनुभव को आप सबके साथ शेयर करूं.

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बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट के इमिग्रेशन काउंटर पर जब मैं गई, तो वहां मौजूद अधिकारी ने कुछ सामान्य सवाल पूछे- कितने समय के लिए आप जा रही हैं? आपकी रिटर्निंग फ्लाइट कब की है? बैंकॉक जाने का मकसद क्या है? वहां रुकने के लिए क्या आपके पास पर्याप्त पैसे है? क्या आपने वीजा ऑन एराइवल ले रखा है?

लेकिन उसके बाद उस अधिकारी ने ऐसे-ऐसे सवाल किए, जो पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता का सटीक उदाहरण है. उस अधिकारी की वजह से मेरी फ्लाइट छूट जाती, लेकिन किसी तरह मैंने अपनी फ्लाइट पकड़ी. मैंने हर सवाल का जवाब दिया और उन्हें सभी दस्तावेज भी दिखाए. उनके साथ जो कुछ बातचीत हुई, वो पढ़िए यहां:

आपके किसके साथ यात्रा कर रही हैं?

मैं अकेले ट्रैवेल कर रही हूं.

क्या आपके साथ कोई दोस्त है?

नहीं, मैं अकेले जा रही हूं.

कभी आपने अकेले सफर किया है?

हां

आपकी लास्ट ट्रिप कब की थी?

जुलाई में

और क्या आप अकेले गई थीं तब?

मैं अपने दोस्त के साथ गई थी. लेकिन हमारा टिकट अलग-अलग था. ऐसे में मैं कह सकती हूं कि मैं उस सफर पर अकेले ही थी.

क्या आप पुरुष दोस्त के साथ गई थीं?

मुझे नहीं पता, इस सवाल का क्या औचित्य है, लेकिन नहीं. मैं अपनी एक महिला मित्र के साथ गई थी.

क्या आपके साथ कोई पुरुष गार्जियन नहीं था?

हम दोनों बालिग हैं, हमें गार्जियन की क्यों जरूरत होगी?

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वह अधिकारी अचानक से कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ देखने लगा, करीब 10 मिनट तक वह स्क्रीन को ही देखता रहा, जबकि आमतौर पर ये सभी जानकारी भरने में 5 मिनट का समय लगता है.

मैंने पूछा, क्या कोई परेशानी है? उसके बाद उस अधिकारी ने जो कहा, उस तरह की अपमानजनक बातों का सामना मैंने पहले कभी नहीं किया था.

उसने कहा, दरअसल 18 से 35 साल की महिलाएं अगर अकेले यात्रा करना चाहती हैं, तो हम उन्हें इसकी अनुमति नहीं देते.

क्या?

हां, कई तरह की परेशानियां आती हैं?

माफ कीजिएगा, क्या? किस तरह की परेशानियां?

देखिए अगर आप किसी पुरुष गार्जियन जैसे कि पिता, भाई, या पति यहां तक कि दोस्त के साथ भी सफर पर जाती हैं, तो कोई प्रॉब्लम नहीं है. लेकिन अकेले परेशानी होती है.

ये बातें कैसे मायने रखती है? मेरे पास विदेश में रुकने के लिए पर्याप्त पैसे हैं और इसका सबूत मैंने दे दिया है.

हां, लेकिन अकेली महिला का विदेश जाना काफी परेशानियों से भरा होता है.

गुस्से में मैंने पूछा, किस तरह की परेशानी? क्या कभी आपने यही सवाल किसी अकेले विदेश जाने वाले पुरुष से पूछा है?

नहीं, क्योंकि वो पुरुष हैं, महिलाओं का अकेले सफर करना घातक साबित हो सकता है.

.....

मेरे साथ अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था, मैं गुस्से में थी और मुझे ये काफी अजीब लग रहा था. फ्लाइट के लिए बोर्डिंग करने में महज 40 मिनट का समय बचा हुआ था. मैं अपना आपा खो रही थी.

मैंने कहा- ओके, अगर कोई परेशानी है और आप मेरे पासपोर्ट पर स्टांप नहीं लगाएंगे, तो अभी आप बताएं, मैं आपके सीनियर अधिकारी से बात करूंगी, क्योंकि मैं ये फ्लाइट किसी भी कीमत पर मिस नहीं कर सकती.

हम दोनों के बीच की बहस देखकर एक अन्य इमिग्रेशन ऑफिसर वहां आया और उसने मेरे पासपोर्ट पर स्टांप लगा दिया. मैं काफी गुस्से में थी, काफी कुछ कहना चाहती थी. लेकिन मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं था. मुझे सिक्योरिटी चेक इन करना था और जल्दी से फ्लाइट पकड़नी थी.

इससे पहले कभी भी मेरे साथ इमिग्रेशन को लेकर इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा था.

देश में महिला सशक्ति‍करण के तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन मैं चकित हूं कि इमिग्रेशन ऑफिसर इस तरह की हरकतें क्यों कर रहे हैं. 
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इसी साल अप्रैल में सिंगापुर के वीजा के लिए जब मैं अप्लाई कर रही थी, मेरा पिता, पति या भाई (भले ही छोटा क्यों न हो) या किसी पुरुष गार्जियन की सहमति मांगी गई थी. मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया, क्योंकि सिंगापुर के वीजा के लिए यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है.

अक्सर ये देखने में आता है कि अगर कोई महिला विदेश जा रही है, तो उसे लेकर ट्रैवल एजेंसी और बाकी लोग इतनी सारी परेशानियां शुरू कर देते हैं कि उनके लिए बाहर जाना मुश्किल हो जाता है. अक्सर परेशानियों से बचने के लिए समय बचाने के लिए आमतौर पर महिलाएं जरूरी नहीं होते भी घर के किसी पुरुष सदस्य को साथ ले आती है, लेकिन आखिर ऐसा क्यों?

महिलाओं को 'नहीं' कहने की आदत डालनी चाहिए

जो भी भारतीय महिलाएं अकेले फॉरेन टूर पर जाना चाहती हैं, मैं उन सबको सलाह देती हूं कि पहले से आप सभी जरूरी जानकारियां इकट्ठा कर लें. अगर इमिग्रेशन ऑफिसर आपके सामने परेशानी पैदा करता है, तो आप खुलकर उसका विरोध करें और मामले को अदालत में ले जाने से भी न हिचकिचाएं.

अगर आप वीजा के लिए आवेदन करने के लिए ट्रैवल एजेंसी का इस्तेमाल कर रही हैं और कोई बेवजह की परेशानी पैदा करता है, तो उसके खिलाफ आवाज उठाएं. मौन रहने से कुछ बदलाव नहीं होगा. हमें अपने अधिकारों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.

(क्‍विंट के लिए ये रिपोर्ट हमें आईश्री शंकर ने भेजी है.)

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