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बिन ऑक्सीजन तड़पते लोग झूठे नहीं थे-सरकार भूल गई है तो हॉरर स्टोरी का रिकैप देखे

आपको सच्चा साबित करने के लिए इन तस्वीरों और मृतकों के परिवार को झूठा साबित करना पड़ेगा

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भारत
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वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह

वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

स्वास्थ्य राज्यमंत्री, भारती प्रवीण पवार ने 20 जुलाई को राज्यसभा में दिए अपने लिखित जवाब में कहा कि भारत में अब तक कोविड-19 (COVID 19) महामारी में ऑक्सीजन Oxygen की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई है.कारण बताया गया कि स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है और राज्यों या UTs ने ऑक्सीजन की कमी से किसी भी मौत की सूचना नहीं दी है.

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21 जुलाई को बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी इसका ठीकरा राज्यों के सर फोड़ते हुए कहा कि कोविड-19 मौत का डेटा बनाना राज्यों के हाथ में है, केंद्रों उसे बस जमा करता है. कुल मिलाकर ये साबित करने की कोशिश की जा रही है कि देश में ऑक्सीजन की कमी से मौतें नहीं हुईं. और ये तब हो रहा है, जब ऑक्सीजन की कमी से मरे लोगों की बीवियों, बच्चों और मांओं के आंसू सूखे तक नहीं है. क्योंकि ये हॉरर स्टोरीज अप्रैल मई की ही हैं. लेकिन शब्दों का चयन ऐसा है कि कह भी दिया और मैंने कब कहां वाली बात है.

मान भी लिया कि राज्यों ने डेटा नहीं दिया तो क्या सरकार पब्लिक की वो चीख पुकार इतनी जल्दी भूल गई? अगर हां तो हम यहां उन जख्मों को फिर से दिखाते हैं, जो अभी सूखे भी नहीं हैं. हम दिखा पा रहे हैं कि क्विंट के अर्काइव में जनता दुखों के दस्तावेज दर्ज हैं. और याद रखिएगा ये रिवाइंड सरकार के लिए है ना कि पब्लिक के लिए, क्योंकि उन्हें याद दिलाने की जरूरत नहीं, उनके तो घाव अभी भरे ही नहीं हैं.
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क्या गुरुग्राम के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरे लोगों की यह वीडियो झूठी है ?

30 अप्रैल 2021 को गुरुग्राम के कृति हॉस्पिटल में डॉक्टर और स्टाफ मरीजों और परेशान परिजनों को छोड़कर भाग खड़े हुए. परिजन बिलखते रहे और ऑक्सीजन की कमी से ICU में भर्ती 6 कोविड-19 संक्रमित लोगों की मौत हो गई.

इस वीडियो में आपको मरे लोगों की बॉडी भी दिख जाएगी. अस्पताल का कहना था कि डॉक्टर और दूसरे स्टाफ हमले के डर से कैंटीन में छिपे हुए थे.

हाई कोर्ट के सामने बत्रा हॉस्पिटल के अधिकारियों की गवाही झूठी है ?

1 मई की दोपहर दिल्ली स्थित बत्रा हॉस्पिटल में 8 कोरोना संक्रमित मरीजों ने दम तोड़ दिया. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक मरने वालों में एक डॉक्टर भी शामिल थे. हॉस्पिटल के अधिकारियों ने दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई में बताया था कि 11:45 तक हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म हो चुकी थी और उन्हें ऑक्सीजन 1:30 बजे ही मिल सका. यानी हॉस्पिटल में तकरीबन 80 मिनट तक ऑक्सीजन नहीं था.

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यूट्यूबर राहुल वोहरा मरते मरते झूठ बोल गए ?

हॉस्पिटल बेड पर लेटे और हाथ में ऑक्सीजन मास्क पकड़े राहुल वोहरा हांफते हुए बोलते हैं "इसकी बड़ी कीमत है आज के टाइम में. इसके बिना मरीज छटपटा जाता है... कुछ नहीं आता इसमें. कुछ भी नहीं आ रहा है इसमें"

और उनकी मौत 9 मई को हो गई. आखिरी फेसबुक पोस्ट पर उन्होंने लिखा "अगर मुझे भी ट्रीटमेंट मिल जाता तो मैं बच जाता, तुम्हारा राहुल वोहरा" क्या राहुल मरते मरते झूठ बोल गए ?

क्या इन अस्पतालों का ऑक्सीजन की कमी पर SOS मैसेज झूठा था ?

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दिल्ली का जयपुर गोल्डन अस्पताल भी झूठा है ?

23 अप्रैल को ही दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी. अस्पताल प्रशासन ने मौत के पीछे ऑक्सीजन प्रेशर की कमी को कारण बताया था. इसके बाद अस्पताल ने ऑक्सीजन सप्लाई में लगातार कमी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था. राज्य सभा में आप के लिखित जवाब को सच मानें तो दिल्ली का यह अस्पताल भी झूठा है.

मेरठ में रोते यह परिजन झूठे हैं ?

29 अप्रैल को मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से तड़पते मरीज के परिजनों ने क्विंट से रोते हुए बताया कि "डॉक्टर के लिखने के बावजूद मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है.ऑक्सीजन नहीं दे सकते तो हमें मार दो.आखिर हम भी टैक्स देते हैं"
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मीडिया रिपोर्टों के अनुसार 12 मई तक ही ऑक्सीजन की कमी से 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. यहां तक कि कई शवदाहगृह ने भी अपने एंट्री में यह बात दर्ज की. आखिर में इन दो तस्वीरों को देखिये.

आपको सच्चा साबित करने के लिए इन तस्वीरों और मृतकों  के परिवार को झूठा साबित करना पड़ेगा

श्रुति साहा अपनी माँ के लिए ऑक्सीजन की भीख मांगती रही लेकिन उनको बचा नहीं सकी

29 अप्रैल , नई दिल्ली

आपको सच्चा साबित करने के लिए इन तस्वीरों और मृतकों  के परिवार को झूठा साबित करना पड़ेगा

रेणु सिंघल ने अपने पति को बचाने के लिए मुँह से सांस दी लेकिन बचा न सकी

23 अप्रैल, आगरा

राज्य सभा में स्वास्थ्य मंत्रालय के दिये एक जवाब कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई, को सच साबित करने के लिए इन सबको और ऐसे तमाम लोगों के परिजनों को झूठा साबित करना पड़ेगा. क्या यह संभव है ? यकीनन नहीं.

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