मीडिया रिपोटरें में कहा गया है कि काबुल में हजारों लोग तालिबान के हमले का विरोध करने और अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों (एएनडीएसएफ) का समर्थन करने के लिए अल्लाहु अकबर का नारा लगाते हुए सड़कों पर उतर आए।
तालिबान के विरोध में नारे लगाने वालों में उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह भी शामिल थे।
जब हजारों लोग काबुल की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, महिलाओं और बच्चों सहित अन्य लोग अपनी छतों से नारे लगा रहे थे और शेष मस्जिदों के लाउडस्पीकर का उपयोग कर नारे लगा रहे थे।
पूर्वी अफगानिस्तान में कुनार और नंगरहार प्रांतों और दक्षिणपूर्वी अफगानिस्तान में खोस्त में भी रैलियों में एएनडीएसएफ के समर्थन में और तालिबान के विरोध में अल्लाहु अकबर के नारे लगाए गए।
खोस्त प्रांत में सड़कों पर जमा सैकड़ों लोगों के अलावा मुल्ला (धार्मिक प्रचारक) मस्जिदों के लाउडस्पीकर से नारे लगा रहे थे।
मीडिया रिपोटरें में कहा गया है कि राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मंगलवार को कहा था कि इन नारों का अर्थ है कि कौन पवित्र आह्वान का सम्मान कर रहा है और कौन अल्लाह की आज्ञाओं को पूरा कर रहा है। उन्होंने तालिबान पर निर्दोष अफगानों को मारने का भी आरोप लगाया।
पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह को काबुल में अल्लाहु अकबर के नारे लगाते हुए भीड़ के बीच देखा गया।
काबुल के एक निवासी ने कहा, यह नारा अफगान राष्ट्र की आवाज को दशार्ता है, इस नारे को देश में शांति के समर्थन में उठाने की जरूरत है, नरसंहार और अराजकता पैदा करने के लिए नहीं।
नंगरहार, बदख्शां और तखर प्रांतों सहित अफगानिस्तान के अन्य क्षेत्रों में भी लोगों ने सुरक्षा बलों के समर्थन की घोषणा करने के लिए नारे लगाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जलालाबाद शहर के निवासी रज मोहम्मद इमरानजई ने कहा, हमने जलालाबाद में अल्लाहु अकबर का नारा लगाया और यह नारा पूरे अफगानिस्तान में लगाया जाएगा। हम अपने सुरक्षा बलों का समर्थन करेंगे और जरूरत पड़ने पर उनके साथ मिलकर लड़ेंगे।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)