शाहजहांपुर, 22 सितम्बर (आईएएनएस)| स्टिंग-ऑपरेशन अब तक अमूमन सामने वाले को शिकार बनाने के लिए किया जाता रहा है। जो व्यक्ति स्टिंग करता था वह शिकायतकर्ता, और जिसका स्टिंग होता था वह संदिग्ध या आरोपी। लेकिन स्वामी चिन्मयानंद यौन उत्पीड़न मामले में स्टिंग ऑपरेशन की एक अलग शैली सामने आई है। इसे 'रिवर्स स्टिंग ऑपरेशन' कहें तो गलत नहीं होगा। 'रिवर्स स्टिंग ऑपरेशन' के ही कारण दोनों पक्ष आरोपी और दोनों पक्ष पीड़ित बनकर सामने आए हैं।
कथित रिवर्स-स्टिंग तकनीक के जुगाड़ ने दोनों पक्षों की पोल खोल कर रख दी है। अगर यह सिर्फ 'स्टिंग-ऑपरेशन' होता तो इस बार भी बाकी हर केस की तरह एक ही पक्ष 'संदिग्ध' होता।
स्वामी चिन्मयानंद कांड में देखा जाए तो खुद के बचाव में या फिर शिष्या को ठगने के लिए स्वामी ने कथित रूप से पहले उसका 'स्टिंग' कराया, ताकि शिकार कभी भी हाथ से दूर न जा सके। लेकिन फिलहाल जेल जा चुके आरोपी को तबतक 'रिवर्स-स्टिंग' का अंदेशा नहीं रहा होगा।
सूत्रों के अनुसार, पीड़िता को जब पता लगा कि स्वामी ने उसका 'स्टिंग' कर डाला है, तो 'मरता क्या न करता' वाली कहावत पर लड़की ने अपने चंद कथित सलाहकारों से मशविरा किया कि आखिर अब स्वामी को सबक कैसे सिखाया जाए? इसी उधेड़-बुन के दौरान जो फार्मूला निकल कर सामने आया, उसी को यहां 'रिवर्स-स्टिंग' ऑपरेशन नाम दिया गया हैं।
एसआईटी सूत्रों के अनुसार, स्वामी द्वारा रचे गए ब्लैकमेलिंग के षड्यंत्र को उन्हीं के फार्मूले से नेस्तनाबूद करने के लिए उनका 'रिवर्स स्टिंग' किया गया। लड़की ने अपने चंद चाहने वालों के जरिए एक विशेष किस्म का चश्मा मंगाया। चश्मे में ही लगा था छिपा हुआ सूक्ष्म-कैमरा। इसी चश्मे वाले कैमरे ने कथित रूप से नंग-धड़ंग स्वामी चिन्मयानंद को शिष्या से 'तेल-मसाज' कराते हुए कैद कर लिया। मतलब स्वामी के स्टिंग पर शिष्या का 'रिवर्स स्टिंग' कहीं ज्यादा भारी साबित हो गया।
एसआईटी जांच में अब तक सामने आए तथ्यों से लेकर स्वामी को जेल भिजवाने तक के पीछे की कहानी में काफी कुछ इस 'रिवर्स-स्टिंग' का भी प्रत्यक्ष-परोक्ष योगदान रहा है।
मामले में खुद को फंसता देख थाने में एफआईआर दर्ज कराने सबसे पहले 25 अगस्त को चिन्मयानंद ही पहुंचे थे। तब तक उन्हें अंदेशा भी नहीं था कि उनके द्वारा करवाए गए स्टिंग से कहीं चार कदम आगे निकल कर पीड़िता ने उनका ही 'रिवर्स-स्टिंग' कर लिया है। खुद के 'रिवर्स-स्टिंग' में फंसे होने की कोई पुख्ता सूचना न होना भी चिन्मयानंद को जेल पहुंचाने में मददगार साबित हुआ।
चिन्मयानंद ने तो पुलिस को लड़की या उसके कुछ कथित साथियों (जिनमें से तीन गिरफ्तार करके जेल में डाले जा चुके हैं) द्वारा ब्लैकमेल करके करोड़ों रुपये मांगे जाने की शिकायत की थी। तब तक चिन्मयानंद को पता नहीं था कि उनका भी 'स्टिंग' हो चुका है। इस 'रिवर्स-स्टिंग' के दौरान तैयार किए गए 40 से ज्यादा वीडियो पीड़िता ने एसआईटी को सौंपे हैं।
दुष्कर्म, ब्लैकमेलिंग, गिरोबंदी, जबरन धन वसूली से जुड़े इस वीभत्स मामले में पीड़िता के पक्ष से जिन तीन युवकों की गिरफ्तारी हुई है, वह भी इसी 'रिवर्स-स्टिंग' का परिणाम है। लड़की के साथ कार में बैठे युवकों का अगर 'रिवर्स स्टिंग' न किया गया होता, तो यह बात सामने न आ पाती कि पूरा मामला लड़की के यौन-उत्पीड़न के साथ-साथ अकूत दौलत के 'स्वामी', स्वामी चिन्मयानंद से करोड़ों रुपये वसूली की असफल कोशिश से भी जुड़ा है।
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