8 पुलिसवालों की शहादत का गुनहगार विकास दुबे अब भी फरार है. 40 से ज्याादा थानों की पुलिस उसे पकड़ने के लिए पूरा जोर लगा रही है. इस बीच उसके रैकेट के बारे में जो जानकारी मिल रही है, वो हैरान कर देने वाली है. अब पता चला है कि विकास दुबे पूरी प्लानिंग में था कि कैसे ज्यादा से ज्यादा पुलिसवालों को नुकसान पहुंचाया जा सके.
कानपुर ग्रामीण के एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि दुबे की आपराधिक गतिविधियां नक्सलियों जैसी थीं. उसके घर में बंकर था, साथ ही साथ इतना विस्फोटक बरामद हुआ है, जिससे कि पूरा का पूरा घर उड़ सकता था. एसपी का कहना है कि भारी मात्रा में विस्फोटक मिलना गहरी साजिश की ओर इशारा करता है.
सूचना प्राप्त हुई थी कि विकास दुबे के घर पर अवैध शस्त्र और भारी मात्रा में विस्फोटक छुपा कर रखे हैं और वहां तयखाने हैं. उसका घर जो बंकर बना हुआ था और दीवारों से 6 तमंचे, 25 कारतूस, 2 किलो विस्फोटक, भारी मात्रा में कील, 15 जिंदा बम मिले हैं और इस तरह का भारी विस्फोटक वहां रखा गया था. ये प्लानिंग थी कि पुलिस बल पर विस्फोट कर जनहानि की जाए. उसका पूरा मोड नक्सलियों जैसा था. उसके घर की बनावट देखिए, वहां एंट्री मुश्किल थी. बम, विस्फोटक मिलना उसकी गहरी साजिश की ओर इशारा करता है.बृजेश कुमार श्रीवास्तव,SP, कानपुर ग्रामीण
12 लाइसेंसी हथियार
विकास दुबे के परिवार में करीब 12 लाइसेंसी हथियार की बात सामने आई है. एसपी बृजेश श्रीवास्तव का कहना है कि विकास दुबे अपने साथ रहने वाले लोगों के नाम से शस्त्र लाइसेंस जारी करवाता था और उनका अपने लिए इस्तेमाल करता था, आज पुलिस मुठभेड़ में घायल हुआ दयाशंकर भी उनमें से एक है. ये बात जानकारी में आई है कि उसका इस्तेमाल विकास दुबे ही किया करता था. आसपास के गांव में भी उसका वर्चस्व था. ऐसा भी शक जाहिर किया गया था कि आसपास के गांवों में प्रधान के चुनाव के दौरान वो हस्तक्षेप किया करता था और अपने पसंद के कैंडिडेट को दबदबे से फायदा पहुंचाया करता था.
एसओ बिठुर ने बताई आपबीती
इस बीच एनकाउंटर में जख्मी एसओ बिठुर कौशलेंद्र प्रताप ने अपनी आपबीती भी बताई. उनका कहना है कि उस रात उन्हें एसओ चौबेपुर का कॉल आया कि एक जगह दबिश देनी है. रात में करीब 1 बजे के करीब वो लोग दुबे के गांव पहुंचे. उसके घर से करीब 150-200 मीटर दूर पुलिस की टीम ने अपनी गाड़ियां रोक दीं. फिर वहां से पैदल घर की तरफ बढ़े. रास्ते में उन्हें एक जेसीबी मिला, जिसकी वजह से एक-एक करके पुलिसवाले उसे पार करते हुए घर की तरफ बढ़ ही रहे थे कि फायरिंग शुरू हो गई. पुलिस को अपनी पोजिशन लेने तक का मौका नहीं मिला, वो खुद को बचाने की जद्दोजहद में जुट गए.
हम खुद के बचाव के लिए आड़ लेने लगे. हमने क्रॉस फायरिंग की लेकिन वो टारगेट हमें नजर नहीं आ रहे थे, हम नीचे की तरफ थे वो ऊपर की तरफ थे. पहली ही राउंड की फायरिंग में ही हम लोगों के ज्यादातर लोग जख्मी हो गए थे.कौशलेंद्र प्रताप,एसओ, बिठूर
पोस्टमार्टम में सामने आई बर्बरता
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हत्याकांड की बर्बरता का अंदाजा होता है. अपराधियों ने एके-47 जैसे घातक हथियारों का तर इस्तेमाल किया. सीओ देवेंद्र मिश्रा को तो चेहरे से सटाकर गोली मारी गई. उनका सिर और गर्दन का हिस्सा तक उड़ गया. चौकी प्रभारी अनूप सिंह को सात गोलियां मारी गईं. थाना प्रभारी महेश को चेहरे पीठ और सीने पर पांच गोली, दरोगा नेबूलाल को चार गोलियां लगीं. चार सिपाही थे, जिनके शरीर से गोलियां आर-पार हो गईं.
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