नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने बुधवार को केंद्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी बनाए जाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। केंद्रीय कैंबिनेट की बैठक के उपरांत सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी।
जावड़ेकर ने कहा, "हमारी 3 संस्कृत डीम्ड यूनिवर्सिटी हैं, इन 3 संस्कृत डीम्ड यूनिवर्सिटी की एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी होगी।" उन्होंन इसे एक अच्छी और महत्वपूर्ण पहल बताया और कहा कि यह संस्कृत की पहली केंद्रीय यूनिवर्सिटी होगी।
इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल से स्वीकृति मिलने के बाद सरकार अब जल्दी ही इसे मंजूरी के लिए लोकसभा व राज्यसभा के पटल पर रखेगी। माना जा रहा है कि दोनों ही सदनों में यह विधेयक बिना किसी विरोध के पास करा लिया जाएगा।
संस्कृत से जुड़े शिक्षाविदों का मानना है कि केंद्रीय यूनिवर्सिटी बनने के बाद संस्कृत के उत्थान के लिए आवश्यक कदम उठाने की प्रक्रिया में और तेजी आएगी। केंद्रीय यूनिवर्सिटी बन जाने से यहां फैसले लेने की क्षमता भी बढ़ेगी। साथ ही आर्थिक अनुदान से जुड़े विषयों पर भी क्रियान्वयन शीघ्र हो सकेगा। फिलहाल संस्कृत कॉलेजों में शिक्षकों की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक, देशभर के विभिन्न संस्कृत महाविद्यालयों में इस समय लेक्चरार के करीब 709 पद रिक्त हैं। संस्कृत के छात्रों के लिए राहत की बात यह है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इन सभी विश्वविद्यालयों को छह महीने की अवधि के भीतर रिक्त पदों को भरने का आदेश दिया है।
मंत्रालय की ओर से यह जानकारी पिछले दिनों लोकसभा को दी। मंत्रालय के मुताबिक, देशभर में कुल 760 संस्कृत कॉलेज चल रहे हैं। इनमें से अकेले 468 संस्कृत कॉलेज उत्तर प्रदेश में हैं। संस्कृत कॉलेजों की संख्या के मामले में ओडिशा 59 कॉलेजों के साथ दूसरे नंबर पर है। वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात की जाए तो यहां केवल एक संस्कृत कॉलेज है।
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