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केंद्रीय विद्यालय में साइंस टीचर बनने आए लोगों के साथ धोखा?

TGT Science के छात्र KVS के किन नियमों से परेशान हैं? जानिए पूरा मामला

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केंद्रीय विद्यालय (KVS) में साइंस टीचर (TGT) बनने आए कैंडिडेट ने दावा किया है कि उनके साथ धोखा हुआ और नियमों के बहाने से उन्हें इंटरव्यू नहीं देने दिया गया.

टीजीटी का एग्जाम पास कर चुके कई कैंडिटेट का आरोप है कि उन्हें दिल्ली के जेएनयू कैंपस स्थित केंद्रीय विद्यालय में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया. लेकिन कुछ नियमों का हवाला देकर इंटरव्यू में शामिल करने के बजाए वापस घर भेज दिया गया.

केंद्रीय विद्यालय में 14 से 18 फरवरी के बीच यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड से आए करीब 80 कैंडिडेट को इंटरव्यू नहीं देने दिया गया. वजह बताई गई कि उन्होंने ग्रेजुएशन (B.Sc) थर्ड ईयर में बॉटनी, जूलॉजी और कैमिस्ट्री तीनों सब्जेक्ट की एकसाथ पढ़ाई नहीं की.

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कैसे हुए धोखा?

कैंडिटेट के मुताबिक केंद्रीय विद्यालय ने ऐसे नियम बता दिए जिसके लिए वो कुछ नहीं कर सकते. उन्हें ग्रेजुएशन में तीनों साल बॉटनी, जूलॉजी और कैमिस्ट्री के कम से कम 50 परसेंट नंबर दिखाने को कहा गया. लेकिन ऐसा होना मुमकिन ही नहीं है, क्योंकि दिल्ली, इलाहाबाद , लखनऊ, गोरखपुर और रूहेलखंड समेत बहुत सी ऐसी युूनिवर्सिटी हैं जहां बीएससी थर्ड ईयर में छात्रों को इन तीन में से कोई दो सब्जेक्ट ही लेने का विकल्प होता है. ऐसे में तीनों सब्जेक्ट की एकसाथ पढ़ाई मुमकिन ही नहीं है.

केंद्रीय विद्यालय की गाइडलाइंस क्या कहती है?

साल 2018 अगस्त में केवीएस ने एडवर्टाइजमेंट नंबर-14 के तहत प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, पीजीटी, टीजीटी, लाइब्रेरियन की वैकेंसी निकाली थी. टीजीटी में अंग्रेजी, हिंदी, सांइस, सोशल साइंस, संस्कृत, मैथ्स के टीचर लिए करीब 1900 पदों की नौकरी निकाली गई. एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को 14 से 18 फरवरी के बीच दिल्ली के जेएनयू कैंपस में स्थित केवीएस कार्यालय बुलाया गया.

केवीएस के एडवर्टाइजमेंट नोटिफिकेशन के मुताबिक, टीजीटी साइंस के लिए अप्लाई करने वाले छात्रों को बोटनी, जूलॉजी और केमिस्ट्री के साथ ग्रेजुएशन में कम से कम 50% मार्क्स होना अनिवार्य चाहिए.

एडवर्टाइजमेंट को थोड़ा डिटेल में पढ़ने पर आगे पता चलता है कि कैंडिडेट को ग्रेजुएशन के दौरान हर साल बॉटनी, जूलॉजी और केमिस्ट्री तीनों सब्जेक्ट पढ़ना अनिवार्य है. और हर साल हर सब्जेक्ट में कम से कम 50 फीसदी मार्क्स लाना भी जरूरी है.

यहीं पर छात्र केवीएस की पॉलिसी को लेकर सवाल उठा रहे हैं. केवीएस ने एडवर्टाइजमेंट में टीजीटी साइंस के लिए ऊपर ग्रेजुएशन में एग्रीगेट मार्क्स की बात कही है. फिर आगे एडवर्टाइजमेंट में हर साल तीनों सब्जेक्ट की पढ़ाई करना अनिवार्य बताया गया है. साथ ही हर साल हर सब्जेक्ट में कम से कम 50 फीसदी मार्क्स भी होने चाहिए.

छात्रों का KVS पर क्या है आरोप?

छात्रों ने केवीएस पर भेदभाव करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि पहले उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, फिर वहां योग्य न होने की बात कहकर वापस भेज दिया गया. केवीएस प्रशासन ने छात्रों से कहा कि उन्होंने ग्रेजुएशन (B.Sc) के दौरान तीसरे साल में तीनों सब्जेक्ट (बोटनी, जूलॉजी और केमिस्ट्री) की पढ़ाई नहीं की. इसलिए वो इंटरव्यू के लिए इलिजिबल नहीं है. जबकि छात्रों का कहना है कि उन्होंने जिस यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है वहां पहले दो साल तीनों सब्जेक्ट (बोटनी, जूलॉजी और केमिस्ट्री) की पढ़ाई कराई जाती है.

लेकिन तीसरे साल में छात्रों को अपनी इच्छा से तीन में से किसी दो सब्जेक्ट को चुनना होता है. छात्रों का कहना है वो चाहकर भी तीसरे साल में तीनों सब्जेक्ट की पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. यूपी-दिल्ली की तमाम बड़ी यूनिवर्सिटी का यही नियम है.

छात्रों का ये भी आरोप है कि केवीएस ने पिछले सालों में इन यूनिवर्सिटी से इसी नियम से पास हुए छात्रों का इंटरव्यू लिया है. और उन्हें जॉब भी ऑफर किया गया. इस साल भी इसी क्वालीफिकेशन से पास आउट कुछ छात्रों ने इंटरव्यू दिया, लेकिन ज्यादातर लोगों को इंटरव्यू नहीं देने दिया गया.

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पहले इंटरव्यू के लिए क्यों बुलाया गया?

केंद्रीय विद्यालय ने टीजीटी और पीजीटी के लिए इससे पहले साल 2016 में वैकेंसी निकाली थी. 7-8 जनवरी 2017 में छात्रों ने एग्जाम दिया और उसके बाद मई में इंटरव्यू के लिए कॉल किया गया. तब ज्यादातर कैंडिडेट को चेन्नई बुलाया गया था. उन्होंने क्विंट से बातचीत में कहा, तब इंटरव्यू के दौरान इस तरह की किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा था. जिन कैंडिटेड के पास ग्रेजुएशन में सिर्फ दो सब्जेक्ट थे, उन सभी को इंटरव्यू देने दिए गया था.

यूपी के लखीमपुर खीरी से अश्विनी पांडे ने क्विंट को बताया कि उन्होंने 2017 में चेन्नई में टीजीटी साइंस के लिए इंटरव्यू दिया था. तब किसी ने कोई रोक टोक नहीं की. हालांकि इंटरव्यू में उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया. तो 2018 में निकली केवीएस की वैकेंसी के लिए फिर अप्लाई किया. एग्जाम पास करने के बाद फरवरी, 2019 में इंटरव्यू के लिए दिल्ली आए. लेकिन यहां उन्हें इंटरव्यू नहीं देने दिए गया. अश्विनी को इस पद के लिए अयोग्य बता दिया. जबकि दोनों ही वैकेंसी के नोटिफिकेशन में क्वालीफिकेशन के लिए नियम एक जैसे हैं.

अश्विनी पांडे ने कानपुर की छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी से B.Sc किया है. यूनिवर्सिटी के नियम के मुताबिक, थर्ड ईयर में उन्हें एक सब्जेक्ट को छोड़ना पड़ता है.

क्या कहना है छात्रों का..?

इलाहाबाद की एक कैंडिडेट प्रगति मिश्रा ने क्विंट से बातचीत में कहा-

हमने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से बीएससी किया है. यहां नियम है कि थर्ड ईयर में एक सब्जेक्ट छोड़ना ही होता है. हम अपनी मर्जी से तीसरा सब्जेक्ट नहीं ले सकते हैं. जबकि केवीएस ने साल 2016, 2017 में इसी तरह के कई छात्रों को सेलेक्ट किया. लेकिन अब अचानक उन्होंने नोटिफिकेशन का हवाला देकर हम लोगों को इंटरव्यू नहीं देने दिया.

गोरखपुर के कैंडिडेट मनीष ने क्विंट से बातचीत में कहा-

केवीएस ने अपने नोटिफिकेशन में लिखा है कि ग्रेजुएशन में हर साल तीनों सब्जेक्ट होने चाहिए, लेकिन बहुत-सी यूनिवर्सिटी तीसरे साल में किसी एक सब्जेक्ट छोड़ने को कहती है. तो इस तरह हमारे डिग्री लेने का मतलब क्या हुआ.
हमने फॉर्म भरते वक्त अपनी यूनिवर्सिटी का नाम भी लिखा था. क्या उन्हें यूनिवर्सिटीज के नियम नहीं पता है. अगर हम इलिजिबल नहीं थे, तो उन्होंने हमें एग्जाम देने की अनुमति क्यों दी. हमारा एग्जाम भी हुआ. इंटरव्यू के लिए भी बुलाया गया. इंटरव्यू देने गए, तो वैरिफिकेशन में इनइलिजिबल बता दिया.

टीजीटी साइंस के करीब 80 छात्र ऐसे हैं, जिन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, लेकिन वैरिफिकेशन के दौरान रिजेक्ट कर दिया गया. अब ये सभी छात्र मिलकर दिल्ली हाईकोर्ट में केस फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं.

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क्विंट ने इस मामले में केंद्रीय विद्यालय का पक्ष जानने के लिए ज्वाइंट कमिश्नर (एकेडमिक) और ज्वाइंट कमिश्नर (प्रशासन) दोनों को मेल और फोन के जरिए संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. जैसे ही केंद्रीय विद्यालय की तरफ से हमें जवाब मिलेगा उसे स्टोरी में शामिल किया जाएगा.

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