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फीस बढ़ोतरी: छात्र संघ की याचिका पर HC का JNU को नोटिस

जेएनयू छात्रसंघ की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट का यूनिवर्सिटी को नोटिस 

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दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 जनवरी को कहा है कि जिन जेएनयू छात्रों ने नए अकैडमिक सत्र के लिए अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं किया है, वे पुराने हॉस्टल मैनुअल के तहत ही अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कोर्ट ने निर्देश दिया है कि छात्रों को पुराने मैनुअल के तहत एक हफ्ते में रजिस्ट्रेशन करना होगा, उनसे कोई भी लेट फीस नहीं ली जाएगी.

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इसके साथ ही कोर्ट ने हॉस्टल मैनुअल संशोधित करने के फैसले को चुनौती देने वाली जेएनयू छात्र संघ की याचिका पर यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा है.

जस्टिस राजीव शकढेर की बेंच ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग को भी इस मामले में नोटिस भेजे हैं.

इससे पहले जेएनयू छात्रसंघ के वकील अमित सिब्बल ने कोर्ट में कहा, "छात्रों के एक समूह ने डर की वजह से ज्यादा भुगतान किया कि अगर वे भुगतान नहीं करते हैं, तो उनसे सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी."

सिब्बल ने कोर्ट में आगे कहा कि ड्राफ्ट मैनुअल पर रोक लगाई जाए और जिन्होंने ज्यादा भुगतान किया है, उन्हें या तो वापस कर दिया जाए या राशि को समायोजित किया जाए.

ये दलील तब दी गईं जब जस्टिस राजीव शकढेर की अगुवाई वाली हाई कोर्ट की एक एकल बेंच जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

20 जनवरी को यूनिवर्सिटी में विंटर सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन की समयसीमा खत्म होने के 3 दिन बाद, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दावा किया कि कुल 8,500 पंजीकृत छात्रों में से 82 फीसदी ने अपने हॉस्टल की बकाया राशि को क्लियर कर दिया है.

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि संख्या आगे बढ़ेगी क्योंकि पंजीकरण अभी भी चल रहा है लेकिन लेट फीस के साथ.

बता दें कि 16 जनवरी को, जेएनयू ने विंटर सेमेस्टर के लिए रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख 17 जनवरी तक बढ़ा दी थी. इस तरह 5 जनवरी की मूल समयसीमा के बाद तीसरी बार विस्तार की घोषणा की गई थी.

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