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एक महीने में ऐसे बदले दिल्ली के अस्पतालों में COVID ICU के हालात

कोरोना वायरस के बुरे दौर से गुजर चुकी दिल्ली!

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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

जून में दिल्ली के अस्पतालों के ICU में बेड न मिलने, चरमराती स्वास्थ्य सुविधा की वजह से दम तोड़ते कोरोना वायरस मरीज साथ ही संक्रमण में बेतहाशा बढ़त सुर्खियों में रही. लेकिन एक महीने में हालात बिल्कुल उलट नजर आ रहे हैं. दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल के कोविड ICU का मंजर एक महीने में बिल्कुल बदल गया है.

23 जून को दिल्ली में तेज स्पाइक दर्ज किया गया था. करीब 4000 नए केस सामने आए थे. हालांकि इसके बाद 6 जुलाई को सिर्फ 1379 मामले दिखे. ये आंकड़े जुलाई के आखिर तक हजार के नीचे सिमट गए.

दिल्ली में अब संक्रमण के नए मामलों से ज्यादा रिकवरी की संख्या दिख रही है और कोरोना से होने वाली मौतों में भी गिरावट देखी जा रही है.

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द क्विंट से बात करते हुए, कई डॉक्टरों ने बताया कि जुलाई के आखिर में उनके अस्पतालों में बेड पर मरीजों की ऑक्यूपेंसी 100% से घटकर 60-70% हो गई.

दिल्ली के होली फैमिली हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डिपार्टमेंट हेड डॉ. सुमित रे ने 31 जुलाई को अस्पताल में स्थिति का जायजा लिया और बताया-

“पिछले कुछ हफ्तों में मरीजों की संख्या हमारे अस्पताल के COVID ICU में निश्चित रूप से कम हुई है. हमारे पास, COVID ICU में इस समय करीब एक तिहाई बेड खाली हैं. फ्लोर पर और वार्डों में भी करीब एक तिहाई बेड खाली हैं.”

दिल्ली के आकाश हेल्थकेयर के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अक्षय बुधराजा ने अपने अस्पताल से इसी तरह के एक अनुभव को शेयर किया, “पिछले महीने इस समय, हमारे अस्पताल में 90-100% ऑक्यूपेंसी थी. लेकिन अब, हमारे पास 30-40% से अधिक बेड खाली हैं.”

“जून की तुलना में निश्चित रूप से कम काम है. हम ओवरवर्क कर रहे थे और कर्मचारियों की भी कमी थी. शुरू में, हम सुबह 7 बजे आते थे और रात को 8 या 9 के आसपास अस्पताल छोड़ते थे. अब, हम अपने रूटीन में वापस आ गए हैं. हम सुबह 8.30 या 9 बजे के आसपास अस्पताल आते हैं और शाम 6 बजे निकलते हैं.”
डॉ. अक्षय बुधराजा

उन्होंने कहा कि इस बदलाव के लिए जागरूकता, समय पर मैनेजमेंट और होम आइसोलेशन पॉलिसी को श्रेय दिया जा सकता है.

स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन अलग-अलग विशेषज्ञ इसे लेकर अलग राय रखते हैं कि दिल्ली कोरोना वायरस के ‘पीक’(चरम) को पार कर चुकी है.

"शब्द 'पीक' विवादित है. हमें सच में नहीं पता कि हम इसे पार कर चुके हैं या नहीं. हम आने वाले 4-6 सप्ताह में फिर से मामलों में बढ़त देख सकते हैं. हमें सावधान रहने की जरूरत है.” डॉ. बुधराजा कहते हैं.

दिल्ली के निवासियों को हर सावधानियों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है ताकि केस दोबारा न बढ़ें, जैसा कि कुछ इलाकों में देखा गया है.

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