नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर जम्मू कश्मीर की आवाम और भारत की जनता के बीच खाई पैदा करने का शुक्रवार को आरोप लगाया और कहा कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र बहाल रहे, यह भाजपा सरकार की ‘‘सर्वोच्च प्राथमिकता’’ है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग जब तय करेगी, सरकार वहां विधानसभा चुनाव कराने को तैयार हैं । शाह ने कहा कि सरकार वहां शांति, कानून का शासन कायम करने तथा आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने को लेकर कटिबद्ध हैं । जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने और जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 5 और 9 के तहत आरक्षण के प्रावधान में संशोधन के प्रस्ताव पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, ‘‘ देश में आतंकवाद की समस्या है वो पड़ोस के देश से आती है। कश्मीर का आतंकवाद पाक प्रेरित आतंकवाद है। ’’उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर की आवाम को हम अपना मानते हैं, उन्हें अपने गले लगाना चाहते हैं। कश्मीरियत की हमारी पहल में कोई बदलाव नहीं आया है । ’’चर्चा में कुछ विपक्षी सदस्यों ने सरकार से सवाल किया था कि जब जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण लोकसभा चुनाव करवाये जा सकते हैं तो वहां विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवाए जाते।
सदस्यों के इन सवालों का जवाब देते हुए शाह ने कहा, ‘‘ हम इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति पर चल रहे हैं । जहां तक जम्हूरियत की बात है तो जब चुनाव आयोग कहेगा तो तब शांति पूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएंगे। आज वर्षों बाद ग्राम पंचायतों का विकास चुनकर आए पंच और सरपंच कर रहे हैं...ये जम्हूरियत है ।’’ गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ कश्मीरियत खून बहाने में नहीं है। कश्मीरियत देश का विरोध करने में नहीं है। कश्मीरियत देश के साथ जुड़े रहने में है। कश्मीरियत कश्मीर की भलाई में है। कश्मीर की संस्कृति को बचाने में है । ’’ शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की जनता का कल्याण हमारी ‘‘प्राथमिकता’’ है और उन्हें ज्यादा भी देना पड़ा तो दिया जाएगा क्योंकि उन्होंने बहुत दुख सहा है। गृह मंत्री ने कश्मीर की वर्तमान स्थिति को लेकर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्होंने :पंडित नेहरू: तब के गृह मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को भी इस विषय पर विश्वास में नहीं लिया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी सहित पार्टी के अन्य सदस्यों ने इसका विरोध किया । इस पर अमित शाह ने कहा, ‘‘ उस भूल के कारण ही सजा भुगत रहे हैं । उस भूल के कारण ही हजारों लोग मारे गए । जरूर नाम लेंगे :पंडित नेहरू का: । ये इतिहास का हिस्सा है । ’’ शाह ने कहा कि तब 630 रियासतों के साथ संधि हुई थी लेकिन अनुच्छेद 370 कहीं नहीं है। एक रियासत जम्मू कश्मीर पंडित नेहरू देख रहे थे और स्थिति सबके सामने है । कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर की आवाम और भारत की आवाम के बीच ‘‘एक खाई पैदा की गई। क्योंकि पहले से ही भरोसा बनाने की कोशिश ही नहीं की गई ।’’ शाह ने कहा, ‘‘ जहां तक अनुच्छेद 370 है, ... ये अस्थायी है, स्थायी नहीं। 370 हमारे संविधान का अस्थायी मुद्दा है।’’ उन्होंने कहा कि जो देश को तोड़ना चाहते हैं उनके मन में डर होना चाहिए। जम्मू-कश्मीर की आवाम के मन डर नहीं होना चाहिए । अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद आतंकवादियों से कड़ाई से निबटा गया। उन्होंने कहा, ‘‘ (कांग्रेस नेता) मनीष तिवारी आज देश के विभाजन पर सवाल उठा रहे हैं, मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि देश का विभाजन किसने किया था? आज कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा भारत के पास नहीं है, ऐसा किसके कारण हुआ?’’
चर्चा में भाग लेते हुए तिवारी ने देश के विभाजन की स्थिति का उल्लेख किया और कहा कि हमारी सरकार ने भाजपा सरकार को शांत एवं सुरक्षित कश्मीर सौंपा था। शाह ने कहा कि हम कश्मीर की आवाम की चिंता करने वाली सरकार हैं। आज तक पंचायतों को पंच और सरपंच चुनने का अधिकार ही नहीं दिया गया था। शाह ने कहा कि’’ सिर्फ तीन ही परिवार इतने साल तक कश्मीर में शासन करते रहे।’’ ग्राम पंचायत, नगर पंचायत सब का शासन वही करें और सरकार भी वही चलाएं। ऐसा क्यों होना चाहिए? गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी सांविधिक प्रस्ताव और जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी । उन्होंने कहा, ‘‘ मैं इस सदन के माध्यम से सभी सदस्यों और देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार आतंकवाद के प्रति बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर चल रही है और उसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी । ’’ शाह ने कहा, ‘‘सदन में मनीष तिवारी जी ने कहा कि इस लड़ाई को विचार धारा से ऊपर रखकर लड़ना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि 23 जून 1953 को जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर के संविधान का, परमिट प्रथा का और देश में दो प्रधानमंत्री होने की व्यवस्था का विरोध करते हुए जम्मू कश्मीर गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वहां उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई । गृह मंत्री ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए थी क्योंकि मुखर्जी जी विपक्ष, देश और बंगाल के नेता थे। उन्होंने कहा कि आज बंगाल अगर देश का हिस्सा है तो इसमें मुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी तो विचारधारा ही भारत माता के हित में समाहित है इसलिए हमें इससे ऊपर उठने की जरूरत नही है ।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में जो आतंकवाद है वो पाक प्रेरित आतंकवाद है, उससे लड़ने के लिए सीआरपीएफ की कुछ विशिष्ट मांगें थी जिनमें अत्याधुनिक तकनीक और हथियार शामिल थे और उनकी सभी मांगों को पूरा कर दिया गया है जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में विपक्ष की आशंकाओं का दूर करते हुए शाह ने कहा कि हमने तो विशिष्ट परिस्थितियों के चलते जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया। उन्होंने कहा कि आज से पहले 132 बार धारा 356 का उपयोग किया गया है। 132 में से 93 बार कांग्रेस ने इसका उपयोग किया है और अब वो हमें सिखाएंगे कि 356 का उपयोग कैसे करना है ? उन्होंने सवाल किया,‘‘ जमायते इस्लामी पर पहले क्यों प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया? किसको खुश करना चाहते थे आप?, ये नरेन्द्र मोदी सरकार है जिसने इस पर प्रतिबंध लगाया।’’ शाह ने आरोप लगाया कि भारत विरोधी बात करने वालों को पहले सरकार द्वारा सुरक्षा दी जाती थी। उन्होंने कहा, ‘‘हमने 919 लोग, जिन्हें भारत विरोधी बयान देने के कारण सुरक्षा मिली थी, हमने उनकी सुरक्षा को हटाने का काम किया है ।
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