चुनाव आयोग ने सोमवार को अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहने के लिए 111 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को हटा दिया।
इसने कहा कि इसमें गंभीर वित्तीय अनियमितता, कर चोरी के लिए जानबूझकर प्रयास और उनके खिलाफ अन्य अवैध वित्तीय गतिविधियों के सबूत हैं जो उनके लिए उपलब्ध विशेषाधिकारों और सार्वजनिक विश्वास का धोखाधड़ी है।
आयोग ने कहा, ये 111 आरयूपीपी, जिनके संचार का पता धारा 29 ए (4) के तहत पंजीकरण आवश्यकता के रूप में वैधानिक रूप से आवश्यक था, और पते में किसी भी बदलाव को धारा 29 ए (9) के तहत ईसीआई को सूचित करना आवश्यक था, जिसका उन्होंने अनुपालन नहीं किया है।
चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि ये पार्टियां या तो सत्यापन पर मौजूद नहीं पाई गई हैं या उनके द्वारा जारी किए गए पत्र, आयोग के 25 मई के आदेश के अनुसरण में डाक विभाग द्वारा बिना सुपुर्दगी लौटा दिए गए हैं।
कहा गया है कि अगर कोई भी पार्टी इससे पीड़ित है, वह इस आदेश के जारी होने के 30 दिनों के भीतर संबंधित मुख्य चुनाव अधिकारी या चुनाव आयोग से संपर्क कर सकती है, साथ ही अस्तित्व के सभी सबूतों और अन्य कानूनी और नियामक अनुपालनों के साथ।
ऐसे आरयूपीपी की अलग-अलग सूची मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत अपेक्षित कार्रवाई के लिए संबंधित सीईओ और सीबीडीटी को भेजी जाएगी।
इससे पहले, चुनाव आयोग ने 2,174 पार्टियों के खिलाफ दानदाताओं की सूची जमा करने में विफल रहने के लिए कार्रवाई की मांग की थी। यह बताया गया है कि 199 आरयूपीपी द्वारा 2018-19 में 445 करोड़ रुपये और 219 आरयूपीपी द्वारा 2019-20 में 608 करोड़ रुपये की आयकर छूट ली गई है। इनमें से 66 आरयूपीपीएस ने अधिनियम की धारा 29सी के तहत अनिवार्य रूप से फॉर्म 24ए में योगदान रिपोर्ट जमा किए बिना आयकर छूट का दावा किया है।
चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे 66 दलों ने 2020 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वैधानिक आवश्यकताओं का पालन किए बिना आईटी छूट का दावा किया और 2,174 ने योगदान रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की।
--आईएएनएस
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