पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के चार आरोपियों में से एक की पत्नी ने शनिवार को अपने पति की मौत पर दुख और नाराजगी जाहिर की है हालांकि शहर में पुलिस कार्रवाई को लेकर अब भी लोग अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं।
चेन्नकेशावुलू की पत्नी रेणुका ने कहा, “...गलती करने पर कितने लोग जेल में हैं...उन्हें भी उसी तरह गोली मार दी जाना चाहिए जैसे इन्हें (महिला पशुचिकित्सक मामले के आरोपी) मारी गई...हम तब तक शवों को नहीं दफनाएंगे...हम तब दफनाएंगे (शवों को) जब उन्हें भी गोली मारी जाएगी।”
रेणुका गर्भवती है और उसने आरोप लगाया कि उसके साथ अन्याय हुआ है। वह नारायणपेट जिले में अपने गांव में कुछ अन्य ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गयी।
उसने शुक्रवार को कहा कि पुलिस को उसे भी मार देना चाहिए क्योंकि वह अब अकेली है।
उसने शुक्रवार को कहा था, “मुझे बताया गया था कि मेरे पति को कुछ नहीं होगा और वह जल्द ही वापस लौट आएगा। अब मुझे नहीं पता कि क्या करूं। कृपया मुझे भी उस जगह ले चलों जहां मेरे पति को मारा गया और मुझे भी मार दो।”
स्थानीय लोगों ने बताया कि चारों आरोपी आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते थे जहां साक्षरता कम थी लेकिन कमाई अच्छी और वे विलासितापूर्ण जीवनशैली के साथ रहते थे। शराब और अन्य चीजों पर खर्चा करते थे।
इस बीच कथित पुलिस मुठभेड़ में चारों आरोपियों के मारे जाने को लेकर यहां लोगों में खुशी का माहौल बरकरार है।
महिलाओं के एक समूह ने यहां मुठभेड़ में आरोपियों के मारे जाने पर खुशी जताई तथा पुलिस और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की प्रशंसा में नारेबाजी की।
पीड़िता के पिता ने शनिवार को कहा कि जिन आरोपियों ने उनकी बेटी के साथ राक्षसों से भी बदतर सलूक किया वे ऐसी ही सजा के हकदार थे जैसी पुलिस ने कार्रवाई की।
उन्होंने एक बार फिर पुलिस और मुख्यमंत्री को पुलिस की कार्रवाई के लिये शुक्रिया कहा।
इस बीच कांग्रेस विधायक दल के नेता एम भट्टी विक्रमार्क के नेतृत्व में पार्टी नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां राज्यपाल तमिलसाई सुंदराराजन से शनिवार को यहां मुलाकात की और इस बात के लिए पुलिस की शिकायत की कि उसने अधिकार क्षेत्र का हवाला देकर पीड़िता के परिवार की शिकायत दर्ज नहीं की थी।
विक्रमार्क ने संवाददाताओं से कहा कि प्रदेश में हालात ऐसे हैं कि पुलिस तब तक शिकायत दर्ज नहीं करती जब तक वे (सत्ताधारी) टीआरएस या उसके पदाधिकारियों से जुड़े न हों या उनकी तरफ से फोन करके उन्हें ऐसा करने के लिये कहा जाए। इसकी वजह से तेलंगाना का बड़ा नुकसान हो रहा है। हम यह उनके (राज्यपाल के) संज्ञान में लाये।
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