तेहरान में ईरानी पुलिस और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच लड़ाई चल रही है इस कारण वहां वर्षो से अशांति है। यह बात बीबीसी की एक रिपोर्ट में कही गई है।
एक व्यक्ति ने बीबीसी फारसी को बताया कि उसका पड़ोस युद्ध के मैदान जैसा है।
कई अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन सातवें दिन भी जारी है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि रातभर में आठ प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि खबरों में कहा गया कि दो अर्धसैनिक बल के जवान मारे गए।
नैतिक पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई एक महिला की मौत से अशांति फैल गई थी।
विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से मारे गए लोगों की संख्या के बारे में परस्पर विरोधी खबरें आ रही हैं।
बीबीसी ने बताया कि सरकारी मीडिया ने सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों सहित 11 लोगों की मौत की खबर दी है, लेकिन कुर्द मानवाधिकार संगठनों ने कहा है कि अकेले पश्चिमी ईरान में 15 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है।
उत्तर-पश्चिमी शहर साकेज की 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा अमिनी की पिछले शुक्रवार को कोमा में तीन दिनों के बाद तेहरान के एक अस्पताल में मौत के बाद गुस्सा फूट पड़ा।
वह 13 सितंबर को अपने परिवार के साथ राजधानी का दौरा कर रही थी, जब उसे नैतिक पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने उस पर कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, जिसमें महिलाओं को अपने बालों को हिजाब या हेडस्कार्फ से और हाथों और पैरों को ढीले कपड़ों से ढकने की हिदायत है।
ऐसी खबरें हैं कि अधिकारियों ने अमिनी के सिर पर डंडों से प्रहार किया और एक वाहन से उसके सिर में टक्कर मारा गया।
बीबीसी के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि किसी भी दुर्व्यवहार का कोई सबूत नहीं है और उसे अचानक दिल के दौरे का सामना करना पड़ा।
बुधवार को बीबीसी फारसी के साथ एक साक्षात्कार में अमिनी के पिता अमजद ने कहा कि अधिकारियों ने उसे दफनाने से पहले उसके पूरे शरीर को देखने की अनुमति नहीं दी थी। उसने कहा कि वह केवल उसका चेहरा देख पा रहा था, लेकिन उसके सिर के पिछले हिस्से और दोनों पैरों में चोट लगी थी।
अमजद अमिनी ने कहा कि उसकी बेटी को पहले से कोई बीमारी नहीं थी, जैसा कि गृह मंत्री ने दावा किया है।
अमिनी की मौत से कई ईरानी क्रोधित थे और पहला विरोध उसके अंतिम संस्कार के बाद हुआ। महिलाओं को अपने सिर के स्कार्फ को हवा में लहराते हुए और तानाशाह की मौत हो के नारे लगाते हुए फिल्माया गया।
देशभर में विरोध तेजी से फैलने से पहले, तेहरान के कई विश्वविद्यालयों में छात्रों द्वारा इसी तरह के प्रदर्शन किए गए थे।
बीबीसी फारसी के राना रहीमपुर ने कहा, हमने बहुत से पुरुषों को इसमें शामिल होते देखा है और यह हिजाब के विरोध से आगे बढ़ गया है। यह अब इस्लामी गणराज्य के पूरे अस्तित्व के खिलाफ है।
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