एचआईवी के उपचार में यूं तो मील का पत्थर जैसा विकास हुआ है और अब तक तीन लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं, मगर दुनिया अभी भी वायरस के खिलाफ एक व्यवहार्य इलाज से 10 से 20 साल दूर है. एक वैज्ञानिक ने यह चेतावनी दी है.
पिछले हफ्ते, एक तीसरे व्यक्ति और पहली महिला को ल्यूकेमिया से उबारने के लिए एक दाता से मिला गर्भनाल रक्त का प्रत्यारोपण किया गया, जिसके बाद बीमारी ठीक हो गई.
न्यूयॉर्क में स्थित महिला को केवल इसलिए ठीक किया जा सका, क्योंकि दाता के रक्त में दुर्लभ आनुवंशिक उत्परिवर्तन क्षमता थी और इसी ने एचआईवी की कोशिकाओं पर हमला करने की प्रक्रिया को अवरुद्ध किया.
द टेलीग्राफ ने बताया कि इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी के निर्वाचित अध्यक्ष शेरोन लेविन के अनुसार, हालांकि यह खबर एक रोमांचक खोज है, मगर दुनिया अभी भी व्यापक इलाज से कम से कम एक दशक दूर है.
उन्होंने कहा, हम अभी भी उच्च आय वाले देशों में व्यापक पैमाने पर आपके द्वारा उपयोग किए जा सकने वाले इलाज से कई साल दूर हैं.
हालांकि, लेविन ने कहा कि एचआईवी इलाज के लिए व्यवहार्य रणनीति के रूप में जीन थेरेपी का उपयोग करके न्यूयॉर्क इस मामले में आगे है.
उन्होंने कहा, एचआईवी प्रतिरोधी कोशिकाओं का प्रत्यारोपण इलाज के लिए महत्वपूर्ण है.
इससे पहले, दो पुरुष इस वायरस से ठीक हो चुके हैं : टिमोथी रे ब्राउन, जिसे 2008 में बर्लिन रोगी के रूप में भी जाना जाता है और एडम कैस्टिलेजो लंदन का रोगी, जो 2020 में स्टेम सेल प्रत्यारोपण के माध्यम से ठीक हुआ.
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राकृतिक प्रतिरक्षा के माध्यम से दो महिलाओं को भी ठीक किया गया है.
--आईएएनएस
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