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एडल्ट कंटेंट के लिए फ्री WiFi इस्‍तेमाल करते हैं 3 में से 1 भारतीय

करीब 24% ने लाइब्रेरी में सार्वजनिक वाई-फाई से एडल्ट कंटेंट देखने की बात स्वीकारी

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अगर यह कहा जाए कि हर 3 में से एक इंडियन फ्री वाई-फाई मिलते ही इंटरनेट पर एडल्ट कंटेंट ढूंढने लगता है, तो शायद आप यकीन न करें. लेकिन एक रिपोर्ट में कुछ ऐसे ही तथ्‍य सामने आए हैं.

दरअसल, एंटी वायरस कंपनी सिमेंटेक ने अपने 'नॉर्टन वाई-फाई रिस्क रिपोर्ट 2017' में फ्री वाई-फाई इस्तेमाल करने वालों को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है.

सिमेंटेक के मुताबिक, तीन में से एक भारतीय ने एडल्ट कंटेंट देखने के लिए होटलों, हवाई अड्डों, लाइब्रेरी और यहां तक कि वर्क स्पेस, मतलब ऑफिस जैसी जगहों पर फ्री वाई-फाई के इस्तेमाल की बात स्वीकारी है.

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इस ग्लोबल स्टडीज में 1000 से ज्यादा भारतीयों को शामिल किया गया था. इसमें पाया गया कि तीन में से एक से ज्यादा भारतीयों ने एडल्ट कंटेंट देखने के लिए सार्वजनिक वाई-फाई के इस्तेमाल की बात स्वीकार की.

पूरी दुनिया वाई-फाई से देख रही है एडल्ट कंटेंट

लेकिन भारतीय इस तरह के काम में अकेले नहीं हैं. ग्लोबल लेवल पर 6 में से एक इंसान ने एडल्ट कंटेंट देखने के लिए सार्वजनिक वाई-फाई के इस्तेमाल की बात स्‍वीकारी.

इस रिसर्च में जापान, मेक्सिको, हॉलैंड, ब्राजील, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के लोगों को भी शामिल किया गया.

कहां देखते हैं एडल्ट कंटेंट

रिपोर्ट के मुताबिक,

इंडियन दोस्त के घर, ऑफिस, कैफे, रेस्‍टोरेंट में फ्री वाई-फाई सबसे ज्यादा इस्‍तेमाल करते हैं. फ्री वाई-फाई से करीब 31% लोग अश्लील कंटेंट देखते हैं. इनमें से 44% लोग ऑफिस में अश्लील कंटेंट देखते हैं. वहीं 49% लोग होटल में अश्लील कंटेंट देखते हैं. दोस्त का घर पर करीब 46 % लोग वैसा ही कंटेंट देखते हैं.

सिमेंटेक में कंट्री मैनेजर रितेश चोपड़ा ने कहा कि सार्वजनिक वाई-फाई के प्रयोग के दौरान सेफ्टी को लेकर लोगों के विचारों में अंतर है.

खास बात यह है कि रिपोर्ट में शामिल 31% लोगों ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक वाई-फाई के इस्तेमाल से सड़कों पर एडल्ट कंटेंट देखा, जबकि 34% ने यह काम बस, ट्रेन या स्टेशन पर किया.

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