साल 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले को अब 13 साल पूरे हो चुके हैं. समझौता एक्सप्रेस भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन है. 18 फरवरी 2007 को इस ट्रेन में एक ब्लास्ट हुआ. जिसमें कुल 68 लोगों की मौत हो गई. वहीं कई लोग घायल हुए. ट्रेन उस दिन दिल्ली से लाहौर के लिए रवाना हुई थी. इस बम धमाके में जो लोग मारे गए, उनमें ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे. इस केस की जांच में एनआईए ने अहम भूमिका निभाई. जानिए इस केस से जुड़ी हर बड़ी बात.
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- 18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रेस के 2 कोच में ब्लास्ट हुए. दिल्ली से अटारी (पंजाब) जा रही इस ट्रेन में हरियाणा के पानीपत जिले के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास ब्लास्ट हुए
- इस घटना में 68 लोगों की मौत हुई थी. बताया जाता है कि इनमें से ज्यादातर लोग पाकिस्तान के नागरिक थे
- इस मामले की जांच करने के लिए हरियाणा पुलिस ने 20 फरवरी 2007 को एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया था
- 29 जुलाई 2010 को यह मामला NIA के हवाले कर दिया गया
- NIA ने 20 जून 2011 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की
- NIA की चार्जशीट में असीमानंद, लोकेश शर्मा, सुनील जोशी, संदीप दांगे और रामचंद्र कालसांगरा को आरोपी बनाया गया. इन इन लोगों पर हत्या और आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगे
- NIA के मुताबिक, आरोपियों ने कुछ मंदिरों पर हुए हमलों का बदला लेने के मकसद से समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट को अंजाम दिया था. इस बात की जानकारी द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सामने आई थी
- सुनील जोशी की साल 2007 में हत्या हो गई, जबकि संदीप दांगे और रामचंद्र कालसांगरा के बारे में कोई जानकारी नहीं है
- इस मामले की सुनवाई में 290 से ज्यादा लोगों को गवाह बनाया गया. इनमें से कुछ पाकिस्तानी नागरिक सामने नहीं आए, जबकि करीब 30 लोगों ने बयान बदल लिए.
- पिछले साल मार्च में NIA की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद और तीन अन्य आरोपियों को मामले से बरी कर दिया था.
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टॉपिक: समझौता एक्सप्रेस
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