भारत में 36 फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमान की डील का मामला राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बीच बुधवार को फ्रांस से तीन राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंचे हैं. ये विमान एयरो इंडिया शो 2019 में हिस्सा लेने के लिए बेंगलुरु के येलाहंका एयरफोर्स स्टेशन में लैंड हुए हैं.
इसके साथ ही विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन की टीम भी बेंगलुरु पहुंची है.
एयरो इंडिया शो बेंगलुरु में 20 से 24 फरवरी के बीच आयोजित किया जा रहा है. इस शो में कुल 57 एयरक्राफ्ट हिस्सा लेंगे. येलाहंका एयरफोर्स स्टेशन के अधिकारियों के मुताबिक, 14 फरवरी को ये राफेल विमान रिहर्सल के लिए उड़ान भरेंगे. भारतीय वायुसेना के कई आला अधिकारी इन राफेल विमानों को उड़ा सकते हैं.
विवाद के चलते एयरो इंडिया शो में इस साल राफेल मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा. राफेल ने साल 2011 में एयरो इंडिया शो में डेब्यू किया था. तब से राफेल इस शो का हिस्सा रहा है.
राफेल पर चौंकाने वाले खुलासे
राफेल डील को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 'द हिंदू' अखबार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि राफेल विमानों के लिए पीएमओ ने डिफेंस मिनिस्ट्री की आपत्तियों को दरकिनार कर पैरेलल सौदेबाजी की थी. इसके बाद राफेल डील पर एक और खुलासा करते हुए 'द हिंदू' ने कहा कि फ्रांस के साथ हुई इस डील के समझौते पर दस्तखत करने से चंद दिन पहले ही सरकार ने इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ पेनाल्टी से जुड़े अहम प्रावधानों को हटा दिया था.
‘द हिंदू’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के दखल के बाद अनुचित ढंग से सौदे को प्रभावित करने, एजेंट और एजेंसी के कमीशन और दसॉ और एमबीडीए फ्रांस के अकाउंट के खातों तक पहुंच पर जुर्माने से संबंधित स्टैडर्ड डिफेंस प्रॉक्यूरमेंट प्रोसिजर यानी DPP के प्रावधानों से सौदे को छूट दे दी गई थी.
इस कदम से मोदी सरकार के कथित भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों को एक और झटका लगा है. 2014 में मोदी सरकार यूपीए सरकार के कथित भ्रष्टाचारों को निशाना बना कर सत्ता में आई थी. वहीं संसद में पेश हुई CAG की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मोदी सरकार ने यूपीए के मुकाबले इस डील को 2.86% सस्ते में की है.
इन खुलासों के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी नेता भी राफेल डील को लेकर मोदी सरकार को लगातार घेर रही है.
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