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केरल में NIPAH वायरस का कहर, 9 की मौत 25 अस्पताल में

पहली बार ‘निपाह’ वायरस का मामला 1998 में मलेशिया में हुआ था.

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केरल के कोझिकोड जिले में एक खतरनाक वायरस 'निपाह' से 9 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 25 की हालत गंभीर बताई जा रही है. फिलहाल मरीजों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेजे गए 3 सैंपल में वायरस की पुष्टि भी की गई है.

हालांकि ये बताया जा रहा है कि तीन लोगों की मौत ही 'निपाह' से हुई है, बाकि 6 लोगों की मौत की वजह तेज बुखार बताया जा रहा है.

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केरल स्वास्थ्य विभाग में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने डॉक्टरों की हाई लेवल टीम बनाने का निर्देश दिया है. नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की एक टीम केरल पहुंच गई है. जबकि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय केरल स्वास्थ विभाग के साथ संपर्क में हैं और इस बीमारी पर निगरानी कर रहा है.

क्या होता है 'निपाह' वायरस?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ों में होता है और वो फलों में ये वायरस फैलाते हैं. जिसे खाकर इंसानों और जानवरों में ये वायरस फैलता है.

पहली बार 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह इलाके में ये वायरस सामने आया था. तभी इसका नाम निपाह वायरस रखा गया. मलेशिया में इससे 100 लोगों की मौत हो गई थी. इसका असर पहले सुअरों में देखा गया था.

कैसे फैलता है निपाह वायरस?

इंडियन जर्नल ऑफ वायरोलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमित सुअर या अन्य किसी के साथ सीधे संपर्क या दूषित फल (चमगादड़ द्वारा खाए फल) खाने से ये वायरस फैलता है. इसके अलावा इस वायरस से बीमार हुए व्यक्ति के संपर्क में आने पर भी निपाह वायरस का खतरा होता है.

लक्षण

अगर कोई व्यक्ति निपाह वायरस से प्रभावित हो जाता है तो उसका असर 5 से 14 दिन बाद दिखाना शुरू करता है.

मरीज में ये लक्षण आने के बाद वो दो दिन में कोमा में जा सकता है.

बचाव के लिए इन बातों का ध्यान रखें

  • किसी भी प्रकार का खाना चमगादड़ का जूठा न हो
  • या खाने पर उनका मल न गिरा हो
  • खुले में रखी ताड़ी न पिएं, खासकर ताड़ के पेड़ के पास वाली
  • वायरस वाले मरीज से दूर रहें
  • अपने हाथ ठीक से धोएं
  • साफ सुथरे कपड़े पहनें
  • बर्तन, खास तौर पर बाल्टी और मग जरूर साफ रखें

इंफोक्लिनिक की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति निपाह वायरस से मरता तो उसके शरीर को गले न लगाएं न ही चूमें और पार्थिव शरीर को ले जाते वक्त अपने मुंह को कपड़े से जरूर ढंक लें.

फिलहाल इसकी कोई वैक्सीन नहीं आई है. वायरस से प्रभावित मरीज का इलाज आईसीयू में होता है.

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