केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को डेनमार्क में क्लाइमेट चेंज की बैठक में शामिल होने की इजाजत नहीं दी. केजरीवाल सम्मेलन में भारत की आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले थे. केजरीवाल को ये इजाजत क्यों नहीं मिली, इस पर सरकार की अपनी दलीलें हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि उन्हें विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई साफ जवाब नहीं मिला है.
22 सितंबर को दिल्ली सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा था कि मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के AAP सरकार के प्रयासों और अनुभव को शिखर सम्मेलन में शेयर करने की उम्मीद थी. आप सरकार के मुताबिक, सरकार की कोशिशों के कारण दिल्ली के वायु प्रदूषण में 25 फीसदी तक की कमी आयी है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर की सफाई
जब आम आदमी पार्टी की तरफ से परमिशन न मिलने को लेकर सवाल उठाए गए तो केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा-
आम आदमी पार्टी ने की नाइंसाफी की शिकायत
आम आदमी पार्टी ने परमिशन न मिलने को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. पार्टी के मीडिया को-ऑर्डिनेटर अक्षय मराठे ने द क्विंट से बातचीत में कहा कि इस बारे में विदेश मंत्रालय ने कुछ भी आधिकारिक रूप से नहीं बताया है.
विदेश मंत्रालय ने साफ नहीं किया है कि उन्होंने किस आधार पर अरविंद केजरीवाल को डेनमार्क जाने की इजाजत नहीं दी है. इस बारे में विदेश मंत्रालय ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.अक्षय मराठे, मीडिया कोऑर्डिनेटर, आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने ये भी बताया है कि वो इस मुद्दे को लेकर अदालत के दरवाजे नहीं जाने वाली, क्योंकि डेनमार्क का कार्यक्रम 9 अक्टूबर को ही हो जाना है.
उधर, आम आदमी पार्टी के बड़े नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस मामले पर कहा-
ये दुर्भाग्यपूर्ण और मेरी समझ से परे है कि मोदी सरकार को हमसे (आम आदमी पार्टी) ऐसी क्या दिक्कत है.
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि-
“मैं राजनीतिक मंजूरी के लिए सवालों का जवाब नहीं देना चाहता. अगर आप समझदार हैं तो आपको इसकी प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी होगी. हमें हर महीने मंत्रालयों, सचिवों, नौकरशाहों से राजनीतिक मंजूरी के लिए सैकड़ों अनुरोध मिलते हैं. एक निर्णय कई सूचनाओं पर आधारित होता है.”
एक तरफ आम आदमी पार्टी इस मामले में नाइंसाफी की शिकायत कर रही है तो वहीं, केंद्र सरकार की अपनी दलीलें हैं. लेकिन इतना तो साफ है कि अगर परमिशन न देने को लेकर कोई आधिकारिक बयान आ जाता तो असमंजस की स्थिति पैदा न होती.
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