बिहार के मुजफ्फरपुर और कुछ अन्य जिलों में 'चमकी' बुखार से मौत का सिलसिला जारी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बुखार से पिछले एक महीने में कम से कम 36 बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें से 12 बच्चों की मौत पिछले 24 घंटों में हुई है. मृतकों की तादाद में अंतर देखा जा रहा है.
इस बीमारी को लेकर केंद्र सरकार ने एक हाई लेवल टीम बनाई है, जो बुधवार को बिहार के प्रभावित इलाकों का दौरा करने वाली है.
कहां-कहां बीमारी का ज्यादा असर
बता दें कि इस मौसम में मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में हर साल ये बीमारी फैलती है. उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली जिले में इस बीमारी का ज्यादा असर दिख रहा है.
इस साल अब तक मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेमोरियल कॉलेज अस्पताल (SKMCH) में जो मरीज आ रहे हैं, वे मुजफ्फरपुर और आसपास के हैं.
भीषण गर्मी में 'चमकी' बुखार का कहर
बिहार में उमस भरी गर्मी के बीच मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के इलाकों में ये बुखार बच्चों पर कहर बनकर टूटा है. मौसम की तल्खी और हवा में नमी की अधिकता के कारण संदिग्ध एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) और जापानी इंसेफलाइटिस (JE) नाम की बीमारी पिछले करीब से कहर बरपा रही है.
डॉक्टरों के मुताबिक, इनमें से अधिकांश बच्चों में हाइपोग्लाइसीमिया यानी अचानक शुगर की कमी और कुछ बच्चों के शरीर में सोडियम (नमक) की मात्रा भी कम पाई जा रही है. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के संदिग्ध मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर ब्लड शुगर, सोडियम, पोटाशियम की जांच के बाद ही उसका इलाज शुरू किया जाता है.
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?
एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) और जापानी इंसेफलाइटिस (JE) को बिहार में 'चमकी' बुखार के नाम से जाना जाता है. इससे पीड़ित बच्चों को अचानक तेज बुखार आता है और बच्चे बेहोश हो जाते हैं. शरीर में ऐंठन महसूस होना, उल्टी आना, चिड़चिड़ापन होना इस बीमारी के सामान्य लक्षण हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)