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यूपी में पढ़ रहे अफगानी छात्र परिवार को लेकर परेशान, नहीं हो पा रहा संपर्क

Afghanistani Students| भारत में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं अफगानिस्तानी छात्र

Published
भारत
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अफगानिस्तान में तालिबान का एक बार फिर कब्जा हो गया है. जिसके बाद वहां अफरा-तफरी का माहौल है, जो लोग वहां फंसे हुए हैं वो किसी भी तरह देश छोड़कर वापस आना चाहते हैं, वहीं अफगानिस्तान के कुछ छात्र जो भारत में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें अपने परिवारों की सुरक्षा की चिंता सता रही है. कुछ छात्र तो ऐसे हैं, जिनका अपने परिवार से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है.

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क्विंट ने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ रहे ऐसे ही कुछ छात्रों से बात की, जिनके अपने अफगानिस्तान में हैं.

प्रयागराज में 9 अफगानी छात्र

प्रयागराज में शुआट्स डीम्ड यूनिवर्सिटी में रह रहे अफगानिस्तान के छात्र काफी परेशान हैं. वो अपने परिवारों की सुरक्षा के लिए अब भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं. इस यूनिवर्सिटी में अफगानिस्तान के 9 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. अफगानी छात्र अपने परिवार वालों के साथ ही अफगानिस्तान के हालात को लेकर भी काफी चिंतित हैं. छात्रों का यह भी मानना है कि अफगान की मीडिया तालिबान के दबाव में है और सही जानकारियां सामने नहीं ला रहा है. वहां के राष्ट्रपति के साथ इन छात्रों को जबरदस्त हमदर्दी है. अफगानी छात्र सेंट्रल यूनिवर्सिटी और दूसरे संस्थानों में पढ़ाई के लिए रह रहे हैं.

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परिवारों से नहीं संपर्क नहीं कर पा रहे अफगानी छात्र

शुआट्स डीम्ड यूनिवर्सिटी में शफी उल्ला स्टेनिकजई एमटेक की पढ़ाई कर रहे हैं. नवाजिश रिजाई एग्रोनामी में एमएससी कर रहे हैं, जबकि जाकिर उल्ला फजली इन्वायरमेंटल साइंस में पीएचडी कर रहे हैं. यह तीनों स्टूडेंट 2019 से यहां रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से ये छात्र बेहद परेशान हैं और लगातार अपने परिवार वालों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी का भी कोई संपर्क नहीं हो पाया है. परिवार वालों से संपर्क ना हो पाने की वजह से छात्र मानसिक तनाव में हैं और भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

संस्थान के इंटरनेशनल एजुकेशन सेंटर के डायरेक्टर प्रोफेसर मोहम्मद इम्तियाज और इंटरनेशनल हॉस्टल के वार्डन मोहम्मद माजिद के ने बताया,

'अफगानी छात्रों की लगातार काउंसलिंग की जा रही है. उनका डिप्रेशन दूर करने की कोशिश की जा रही है. उन्हें हर तरीके की मदद मुहैया कराने का भरोसा दिलाया जा रहा है. अफगानी छात्रों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी और उनकी हर मुमकिन मदद की जाएगी. संस्थान खुद भी अफगानी एंबेसी के संपर्क में हैं.'
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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में भी कई छात्र

इस मामले को लेकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पीआरओ डॉ. जया कपूर ने बताया कि, 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वर्तमान में 31 विदेशी छात्र हैं जिसमे से 26 अफगानिस्तान से हैं. इनमें वो भी हैं जिनका एग्जाम हो चुका है अभी जा नहीं सके हैं. अभी तक जिन छात्रों का एडमिशन होता है उन्हें इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस से स्कॉलरशिप मिलती है और फीस भी मिलती है. भारत सरकार की जो भी नीति होगी और इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस से जो भी निर्देश आएगा उनका अनुपालन करते हुए निर्णय लिए जाएंगे. अभी हमारे विश्वविद्यालय के international students advisor इन छात्रों के संपर्क में हैं और इनकी कॉउंसलिंग कर रहे हैं. इस संदर्भ में देश में 50 सेंट्रल विश्वविद्यालय हैं और लगभग 1000 अन्य विश्वविद्यालय हैं, जहां अफगानी छात्र पढ़ते हैं.

कानपुर में रह रहे अफगानी छात्र ने कहा- भारत में हूं महफूज

उधर यूपी के कानपुर में रहने वाले अफगानी छात्र ने हमने बातचीत में बताया कि वो भारत में खुद को महफूज समझ रहा है. कानपुर के सीएसए में पढ़ाई कर रहे अफगानिस्तानी छात्र फज्लुल्लाह सलीम को भी चिंता सता रही है. हालांकि अभी उसका परिवार वहां पर सुरक्षित है और वो भारत में महफूज महसूस कर रहा है.

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चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) कानपुर में अफगानिस्तान के तीन छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते एमएससी वेजिटेबल के छात्र शम्स रहमान और बीएससी एग्रीकल्चर के छात्र हमदर्द अफगानिस्तान चले गए थे और तब से वह वापस नहीं आए. इन दिनों सीएसए के इंटरनेशनल हॉस्टल में एमएससी एग्रोनॉमी के छात्र फज्लुल्लाह सलीम ही रह रहे हैं. फज्लुल्लाह भी वर्तमान में अफगानिस्तान के हालात को लेकर चिंतित हैं.

भारत में तलाशेंगे रोजगार

अफगानिस्तानी छात्र से जब पूछा गया कि भारत से शिक्षा ग्रहण करने के बाद अब क्या वो अफगानिस्तान वापस जाएंगे. इस पर उसने कहा कि अभी तो मैं शिक्षा ग्रहण कर रहा हूं. शिक्षा ग्रहण करने के बाद इस पर विचार किया जाएगा, लेकिन अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए भारत में ही रोजगार की तलाश करना प्राथमिकता होगी. हालांकि अफगानिस्तान के बहुत से लोग यहां पर रहकर रोजगार कर रहे हैं.

सलीम से जब पूछा गया कि परिजनों से बातचीत हुई है तो उसने कहा कि हां माता-पिता से बातचीत हुई है. पिता ने कहा है कि, हम लोग यहां सुरक्षित हैं और आप भारत में ही रहना. यहां के हालात ठीक नहीं हैं वहीं पर रहना बेहतर होगा.
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दहशत में अफगानिस्तान गए मुकेश का परिवार

यूपी के बुलंदशहर के गांव गंगागढ का रहने वाला मुकेश बघेल 6 महीने पहले अच्छी कमाई की उम्मीद लेकर अफगानिस्तान गया था, बिगड़ते हालत के चलते अब वो वहीं फंस गया गया है. मुकेश बघेल का परिवार इस समय काफी सहमा हुआ है. 3-4 दिन से अफगानिस्तान की बिगड़ती हालात के कारण वहां की राजधानी काबुल में फंसे मुकेश ने वीडियो भेजकर प्रधानमंत्री मोदी से सुरक्षित भारत वापस लाने की गुहार लगाई है.

अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद सभी विदेशी नागरिक जहां अपने वतन पहुंचने की जुगत और इंतजार में बैठे हैं, वहीं उन्हें अपनी जान का डर भी सता रहा है. बुलंदशहर के गंगागढ निवासी मुकेश 6 महीने पहले अच्छी कमाई की उम्मीद लेकर अफगानिस्तान गया था, लेकिन सरकार के तख्ता पलट के कारण वहां के हालात बद से बदतर हो गए. अफगानिस्तान में फंसे युवक के घर दहशत का माहौल है. पत्नी शीला और चार मासूम बच्चे मुकेश की सलामती को लेकर खासी गफलत में हैं. पत्नी का कहना है कि उन्हें पैसा नहीं चाहिए, केवल पति की सही सलामत वापसी चाहिए. शीला और मासूम बच्चों ने प्रधानमंत्री से मुकेश की सकुशल वापसी की अपील की है.

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