जांच एजेंसी को मुंद्रा बंदरगाह पर सोपस्टोन/टैल्क पाउडर(stone/talc powder) कंटेनरों के अंदर छिपी 3,000 किलोग्राम की हेरोइन मिली है, इसके पीछे संदिग्ध अफगानिस्तान( Afghanistan) के दो नागरिकों की पहचान की गई है, इसकी कीमत करीब 21,000 करोड़ रुपये है. पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए चार अफगान नागरिकों में से एक ने जांच एजेंसियों को बताया कि वह दो अफगान नागरिकों के निर्देश पर काम कर रहा था, जो इस समय अफगानिस्तान में हैं.
कंपनी को अफगानिस्तान से मिली यह दूसरी खेप है. पहली खेप जून 2021 में आयात की गई थी.
अब तक की जांच से पता चलता है कि गिरफ्तार किए गए अधिकांश अफगानी कई सालों से दिल्ली में रह रहे थे. उनमें से कई खेप रखने के लिए दिल्ली में अलीपुर जैसे स्थानों को किराए पर ले रहे थे. सूत्रों ने बताया कि एजेंसियां अब दिल्ली एनसीआर में इन स्टोर हाउस की तलाश कर रही हैं. जांच से पता चला है कि गिरफ्तार किए गए कुछ अफगान नागरिक मास्टरमाइंड के संपर्क में थे, जब जून 2021 के आसपास भारत में पहली खेप का आयात किया गया था.
एजेंसी जुलाई 2021 में दिल्ली के सैनिक फॉर्म में पंजाब पुलिस द्वारा भंडाफोड़ किए गए एक अन्य ड्रग रैकेट के संबंध में भी जांच कर रही है. पंजाब पुलिस ने किराए की जगह पर चल रही हेरोइन निर्माण इकाई का पता लगाया है. चूंकि पहली खेप की अवधि सैनिक फार्म पर छापेमारी से मेल खाती है, इसलिए जांच एजेंसी जांच कर रही है कि क्या दोनों मामलों में एक ही गैंग के लोग शामिल हैं.
पंजाब के दो ड्रग पेडलर्स शामिल
गिरफ्तार किए गए चार अफगान नागरिकों में से एक ने पंजाब के दो ड्रग तस्करों की पहचान की है. उन्होंने कहा कि वे अफगानिस्तान में मास्टरमाइंड के लगातार संपर्क में थे. जांच एजेंसी ने अब तक चार अफगान नागरिकों, दो भारतीयों को गिरफ्तार किया है और एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है.
जांच में आगे पता चला है कि तस्करी की गई हेरोइन को नोएडा में एक कारखाने में रखा गया था, नोएडा की फैक्ट्री में छापेमारी के दौरान डीआरआई ने और 20 किलो हेरोइन जब्त की, यानी कुल जब्ती अब करीब 3,020 किलोग्राम है. जांच एजेंसी को दिल्ली एनसीआर में ऐसी और फैक्ट्रियों के होने का संदेह है.
खेप अफगानिस्तान से मंगवाई गई थी और भारत में गुजरात में मुंद्रा बंदरगाह में प्रवेश करने के लिए ईरान के माध्यम से भेजी गई थी. हेरोइन की तस्करी में इतने सारे अफगान नागरिकों की संलिप्तता के कारण, सुरक्षा एजेंसियां, खुफिया ब्यूरो (आईबी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) भी 'बड़ी साजिश' के डर से मामले की जांच कर रही हैं.
डीआरआई को हेरोइन ले जाने की खेप के बारे में क्या संदेह था?
जब भी कोई नई खेप बंदरगाह पर आती है तो देश भर के विभिन्न बंदरगाहों पर तैनात डीआरआई अधिकारी अक्सर कंपनी की प्रोफाइलिंग करते हैं. तथाकथित तालक पाउडर की खेप चेन्नई स्थित मचावरम सुधाकर और उनकी पत्नी गोविंदराजू पूर्ण वैशाली के स्वामित्व वाली एक फर्म के नाम पर थी.
डीआरआई के एक अधिकारी को इस खेप पर शक हुआ जब उसने देखा कि तीन महीने के भीतर यह फर्म की दूसरी खेप है. फर्म को अगस्त 2020 में पंजीकृत किया गया था और पहली खेप जून 2021 में लाई गई थी.
जांच अधिकारी ने कहा, "सोप स्टोन/टैल्क पाउडर का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है. इसलिए, डीआरआई अधिकारी बस इस बात को लेकर चिंतित हो गए कि एक नई कंपनी तालक पाउडर का इतनी बार आयात क्यों कर रही है. इसलिए उन्होंने सभी कंटेनरों को खोला और जांचा."
जांच एजेंसी ने दिल्ली, नोएडा, चेन्नई, कोयंबटूर, अहमदाबाद और विजयवाड़ा में कई जगहों पर छापेमारी की है. जांच एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि वे आने वाले दिनों में इस मामले में और भी कई लोगों को गिरफ्तार कर सकते हैं क्योंकि यह ड्रग तस्करों की बड़ी सांठगांठ लगती है.
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