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'अग्निपथ' पर क्यों चल पड़े सेना की तैयारी कर रहे छात्र, किन बातों से हैं खफा?

Agnipath: Rajnath Singh ने 14 जून को ‘अग्निपथ’ स्कीम का ऐलान किया जिसमें युवाओं को चार की नौकरी दी जाएगी

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भारत
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'अग्निपथ पर बिहार'. ये किसी फिल्म का टाइटल नहीं है, बल्कि सच में बिहार के कई जिले जल रहे हैं. एक तरफ केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं में सैनिकों की भर्ती के लिए नई अग्निपथ योजना का ऐलान किया दूसरी तरफ अग्निकांड शुरू हो गया. कहीं ट्रेन जल रही है तो कहीं गाड़ियों फूंकी जा रही हैं.

दरअसल, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में अग्निपथ स्कीम के तहत 'अग्निवीरों' की भर्ती का ऐलान हुआ था, लेकिन इस ऐलान से हजारों छात्र जो आर्मी में जाने का सपना लिए बैठें हैं वो नाराज हो गए और योजना के खिलाफ सड़कों पर उतर आए. यूं कहें तो 'अग्निपथ योजना' (Agnipath Yojna) विवादों में घिर गई है.

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बिहार के कई जिलों में छात्रों का उग्र प्रदर्शन हो रहा है. कहीं पुलिस आंसू गैस के गोले दाग रही है तो कहीं छात्रों ने ट्रेन रोक दी है.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को ‘अग्निपथ’ नाम की योजना शुरू करने की घोषणा की. जिसके तहत चार साल के लिए सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती होगी. और इन लोगों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. इसमें साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच के युवा ही अग्निपथ में अप्लाई कर सकते हैं. वहीं 4 साल के बाद 75 फीसदी अग्निवीरों को घर भेज दिया जाएगा, बाकी बचे 25 फीसदी को स्थायी जवान नियुक्त किया जाएगा. हालांकि इसके लिए भी अलग से नियम होंगे.

क्यों कर रहे हैं छात्र विरोध

दरअसल, पिछले दो साल से कोविड की वजह से आर्मी भर्ती रुकी हुई थी, ऐसे में आर्मी में जाने का सपना लिए लाखों छात्र उम्मीद लगाए बैठे थे कि सरकार जल्द से जल्द दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. और उसकी जगह सरकार ने अग्रनिपथ योजना का ऐलान कर दिया. आईए आपको बताते हैं कि छात्रों में किस बात की नाराजगी है.

1. चार साल की कैसी नौकरी?

विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि सेना में जाने के लिए कई सालों तक जीतोड़ मेहनत करते हैं, फिर किसी तरह नौकरी लगती भी है और उसके बाद भी सिर्फ चार साल की नौकरी का क्या मतलब है.

छात्रों की मानें तो सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी कम से कम 10 से 12 साल की सर्विस होती है, जिसमें आगे चलकर आंतरिक भर्तियों में शर्ट टर्म कमीशन वाले सैनिकों को मौका भी मिल जाता है. लेकिन यहां सिर्फ 25 फीसदी को ही मौके की बात कही जा रही है.

2. पेंशन भी नहीं

छात्रों में इस बात की भी आशंकाएं हैं कि चार साल की सर्विस पूरी होने के बाद वो क्या करेंगे. बिहार के बक्सर में विरोध प्रदर्शन में शामिल छात्र ने क्विंट को बताया कि इस योजना में पेंशन और ग्रेच्युटी भी नहीं मिलेगी.

छात्रों का मानना है कि साढ़े 17 साल में 'अग्निवीर' बन जाएंगे लेकिन ऐसे छात्रों के पास कोई भी प्रोफेशनल डिग्री नहीं होगी और न ही कोई विशेष योग्यता, ऐसे में वह मजबूरन थर्ड और फोर्थ ग्रेड जॉब के लिए मजबूर होंगे.

3. दो साल से बंद भर्ती, जिनकी उम्र निकल गई उनका क्या?

अग्निपथ के खिलाफ बिहार के आरा में विरोध प्रदर्शन में शामिल छात्र अमन पांडे क्विंट कहते हैं कि सरकार को उम्र में छूट दी जानी चाहिए क्योंकि दो साल से भर्ती नहीं हुई है. अमन कहते हैं,

"दो साल से भर्ती बंद थी और अब सरकार कह रही है कि टूर ऑफ ड्यूटी के तहत ज्वाइनिंग होगी, लेकिन मेरे जैसे छात्रों का क्या होगा, मेरा एयरफोर्स का ज्वाइनिंग रुका हुआ है, फरवरी में मेरा मेडिकल टेस्ट हुआ था, मेरिट लिस्ट आना था जुलाई 2021 में, लेकिन अभी तक नहीं आया. अब एक साल से इंतजार क्यों कराया हमें? अब हम क्या करेंगे? सरकार को जवाब देना चाहिए कि मेरा क्या होगा? हम TOD में जाएंगे या जो एग्जाम हुआ वो कैंसिल माना जाए?"

बता दें कि सरकार भी कह चुकी है कि कोविड की वजह से भर्ती नहीं की गई है. लेकिन अग्निपथ स्कीम के तहत भर्ती में उम्र में किसी भी तरह की छूट का ऐलान नहीं किया गया है.

यूवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम कहते हैं,

"नियमित भर्ती शुरू करिए और 'मॉडल एग्जाम कोड' लागू करके सेना के सभी रिक्त पदों को 9 महीने में भरिए. 3 साल भर्ती न आने के कारण जिन युवाओं की उम्र निकल गयी, उनको अवसर दीजिए."
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4. छात्र बनेंगे प्राइवेट सिक्युरिटी गार्ड?

वहीं अग्निपथ योजना को लेकर छात्रों में इस बात की भी आशंका है कि इस स्कीम के जरिए देश के प्राइवेट सिक्युरिटी इंडस्ट्री को फायदा पहुंचाया जा सकता है. विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि आर्मी की ट्रेनिंग तो मिल जाएगी लेकिन चार साल बाद जब वो सेना से बाहर आएंगे तो उनकी स्किल और ट्रेनिंग कहां काम आएंगी? ऐसे में कहीं प्राइवेट सिक्युरिटी इंडस्ट्री में काम करना ही उनके पास रास्ता न बच जाए.

5. सेना में एक लाख से ज्यादा पद खाली फिर ये स्कीम क्यों

छात्रों के मन में ये भी सवाल है कि सेना में करीब सवा लाख पद रिक्त हैं, फिर भी 3 साल से सरकार ने भर्ती नहीं निकाली थी, और अब अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल किया जाना है.

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6. सरकार सरकारी नौकरी को कर रही है खत्म?

सरकारी नौकरी के इंतजार में मेहनत कर रहे छात्रों को इस बात का भी शक है कि सरकार इस तरह की स्थाई नौकरी देकर सरकारी नौकरी खत्म कर रही है. राज्यसभा सांसद मनोज झा कहते हैं, "युवा प्रतिरोध पूरे बिहार के पश्चात अब उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड तक पहुच चुका है. रोजगार और नौकरी की आस लगाये युवावर्ग को 'चार साल संविदा काल' के खोखले नारों से बरगला नही सकते और मीडिया प्रबंधन का कौशल भी काम नहीं आएगा."

क्या है 'टूर ऑफ ड्यूटी' (Tour of Duty)?

केंद्र सरकार सेनाओं में भर्ती के लिए जो नई प्रक्रिया का ऐलान किया है उसका नाम भले ही अग्नीपथ रखा हो लेकिन इस कॉनसेप्ट को टूर ऑफ ड्यूटी कहा जाता है. जिसमें एक अवधि के लिए लोगों को सेना में शामिल किया जाता है. यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, दूसरे विश्व युद्ध के समय जब ब्रिटिश वायुसेना के पायलट तनाव में आ गए थे, तब वायुसेना में टूर ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट लाया गया था.

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