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Exclusive: Covaxin को बैकअप के तौर पर मंजूरी - AIIMS डायरेक्टर

Covaxin के तीसरे फेज के ट्रायल्स अभी चल रहे हैं

Published
भारत
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भारत बायोटेक की Covaxin को देश के ड्रग्स रेगुलेटर DCGI ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. DCGI के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि Covaxin के तीसरे फेज के ट्रायल्स अभी चल रहे हैं. इस वैक्सीन के सिर्फ प्रिलिमिनरी एनिमल ट्रायल और फेज 1 ट्रायल्स का डेटा ही सार्वजानिक रूप से मौजूद है. इस डेटा का पीयर रिव्यू भी नहीं हुआ है.

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हालांकि, ये मंजूरी शर्तों पर दी गई लेकिन फिर भी कई सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. क्विंट ने ये सब सवाल AIIMS के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया से पूछे.

Covaxin को मंजूरी प्रिलिमिनरी एनिमल ट्रायल, फेज 1 और फेज 2 ट्रायल डेटा के आधार पर दी गई लगती है. ये डेटा सुरक्षा और प्रभावकारिता का संकेत नहीं दे सकता और इसके लिए फेज 3 का डेटा चाहिए. तो किस आधार पर सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने वैक्सीन की सिफारिश की है?

जो साझा किया गया है उसे पढ़कर समझ आता है कि वैक्सीन को मंजूरी 'इमरजेंसी हालात के लिए काफी एहतियात' के साथ दी गई है. मझे लगता है जो US, UK और यूरोप में हो रहा है, अगर वैसे ही भारत में मामले बढ़ते हैं और इमरजेंसी हालत होती है तो हमें और डोज चाहिए होंगी और कोई ड्रग उपलब्ध नहीं है, तब ये वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी. वरना Covishield का ही इस्तेमाल होगा.

जहां तक सेफ्टी का सवाल है, तो जितना डेटा साझा किया गया था वो विश्वास दिलाता है. सेफ्टी डेटा ठोस था और प्रभावकारिता डेटा का अभी साबित होना बाकी है लेकिन कमेटी को लगा कि 'इमरजेंसी हालात' के लिए Covishield के विकल्प के तौर पर क्लीनिकल ट्रायल मोड में उपलब्ध कराया जा सकता है.

इसके पीछे की सोच वैक्सीन को जमा करने का ग्रीन सिग्नल देने की लगती है. उम्मीद है कि अगले 4-6 हफ्तों में और डेटा आएगा जो प्रभावकारिता साबित करेगा.

मैं Covaxin को बैकअप के तौर पर देखता हूं, न कि फ्रंट-एंड वैक्सीन. मुझे नहीं लगता कि इसे और डेटा आने तक इस्तेमाल किया जाएगा.

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सवाल ये उठ रहा है कि जल्दी क्या थी? क्यों नहीं एक-दो महीने रुका गया और डेटा का इंतजार किया गया?

ये महीने भर में होगा, लेकिन अगर कुछ ही हफ्तों में नए मामले 1 लाख तक पहुंच गए, तो आप इस स्थिति में होंगे कि आप ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करना चाहेंगे. और ये सिर्फ Covishield से मुमकिन नहीं हो पाएगा. Covaxin तब के लिए बैकअप रहेगी.

यही UK में हुआ है, जहां नए म्युटेंट स्ट्रेन की वजह से मामले 70 फीसदी से बढ़ गए हैं और एक पैनिक की स्थिति बन गई है. अब UK में इस शेड्यूल पर विचार चल रहा है जहां दूसरी डोज में देरी की जा सकती है. सीरम इंस्टीट्यूट जैसी मंजूरी भारत बायोटेक को 4-6 हफ्ते बाद ही मिलेगी.

Covaxin एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है और ये सामान्य रूप से सुरक्षित समझी जाती हैं लेकिन बिना किसी ठोस डेटा के क्या हम लोगों की जिंदगियों को खतरे में डाल रहे हैं?

ये एक एडिनोवायरस इनएक्टिवेटेड वैक्सीन है. थ्योरी ये है कि इस वैक्सीन के म्युटेंट वैरिएंट के खिलाफ काम करने की संभावनाएं वायरल वेक्टर वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा हैं. इसलिए ये जरूरी है कि बैकअप के तौर पर इसे जमा किया जाए.

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Covaxin को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ बनाया गया है. क्या इनकी जिम्मेदारी नहीं थी कि डेटा सार्वजानिक किया जाए?

ये डेटा पब्लिश होना चाहिए और सार्वजानिक भी होना चाहिए. जो भी डेटा आपके पास है, उसे अच्छे पीयर-रिव्यूड जर्नल्स में पब्लिश करना चाहिए क्योंकि इससे सभी को विश्वास और मजबूती मिलती है. मुझे लगता है कि ये जल्दी ही पब्लिश होगा.

Covishield के लिए क्या डोसेज और शेड्यूल मंजूर हुआ है? DCGI ने बयान में 70.4 फीसदी प्रभावकारिता की बात की थी, लेकिन ये नतीजा दो अलग ट्रायल डेटा ब्राजील और UK को मिलाकर मिली थी.

अभी भारत दो पूरी डोज के साथ जाएगा. एक डोज और फिर आधी डोज वाले शेड्यूल का डेटा अभी ठोस नहीं है. हमारे ट्रायल्स भी दो डोज के आधार पर थे. क्योंकि हम UK जैसी स्थिति में नहीं हैं, तो हम दो डोज के बीच 28 दिनों के अंतर वाला शेड्यूल फॉलो करेंगे. मुझे नहीं लगता सरकार या रेगुलेटर्स UK वाले शेड्यूल पर विचार कर रही है.

UK में एक सुझाव दिया गया था कि अगर एक डोज ऑक्सफोर्ड की दी गई है तो दूसरी डोज फाइजर की दी जाए. क्या ये सही है?

मुझे अभी नहीं लगता कि दो वैक्सीनों को मिलाना सुरक्षित है क्योंकि बूस्टर इफेक्ट उसी से आता है, जिस मैकेनिज्म से पहली डोज ने काम किया है. इसके लिए हमें और डेटा चाहिए.

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