भारत की ओर से राफेल की सौदेबाजी करने वाली टीम के अगुवा एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने कहा है कि इस डील में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से कोई दखलअंदाजी नहीं की गई थी. उन्होंने कहा, "मेरे लिए बहुत हैरानी की बात थी, जब एक आर्टिकल में आज रक्षा मंत्रालय के अंदरूनी नोट को सच्चाई छिपाते हुए, रक्षा मंत्री की टिप्पणी को न छापते हुए इस सौदे को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया गया."
एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने कहा, "भारतीय टीम की ओर राफेल को लेकर की जा रही सौदेबाजी से उस नोट का कोई लेना-देना नहीं था. यह नोट भारतीय टीम ने शुरू नहीं किया था. इसकी शुरुआत एसके शर्मा ने की थी, जो भारतीय नेगोसिएशन टीम का हिस्सा नहीं थे. किसके कहने पर उन्होंने इस नोट की शुरुआत की थी...?"
रविवार को कपिल सिब्बल ने की राफेल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस:
राहुल का दावाः डिफेंस मिनिस्ट्री को दरकिनार, मोदी खुद बने खरीदार
राफेल मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को लगातार घेरने में लगे हैं. इसी क्रम में राहुल ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक रिपोर्ट दिखाते हुए कहा, ''अब एक रिपोर्ट आई है, जिसके मुताबिक रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री फ्रांस सरकार के साथ समानांतर सौदेबाजी कर रहे थे.''
‘PMO के दखल पर रक्षा मंत्रालय ने जताई थी आपत्ति’
राहुल गांधी ने अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, ''राफेल डील पर फ्रांस सरकार के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की समानांतर सौदेबाजी का रक्षा मंत्रालय ने कड़ा विरोध किया था. रक्षा मंत्रालय का 24 नवंबर, 2015 एक नोट तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के संज्ञान में लाया गया था. इस नोट में साफ कहा गया था कि PMO के समानांतर दखल से रक्षा मंत्रालय और समझौता करने वाली टीम की सौदेबाजी की स्थिति कमजोर हो गई थी.’’
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