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अजय पीरामल ने क्यों खरीदी थी पीयूष गोयल की कंपनी?

पीयूष गोयल और पीरामल ग्रुप के बीच हुई इस डील से निकले तीन अनसुलझे सवाल

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भारत
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उद्योगपति अजय पीरामल ने साल 2014 में पीयूष गोयल की कंपनी फ्लैशनेट इंफो सॉल्यूशंस क्यों खरीदी थी?

पीयूष गोयल अभी रेल और कोयला मंत्री हैं.

पीरामल ग्रुप ने ब्लूमबर्ग क्विंट को बताया कि उन्होंने गोयल की कंपनी खरीदी थी. यह डील सिर्फ रियल एस्टेट एसेट्स खरीदने के लिए नहीं, बल्कि दूसरी कंपनियों में इसके निवेश के लिए की गई थी.

लेकिन अगर ऐसा है, तो फिर पीरामल ने इस सौदे के कुछ ही महीनों के अंदर कंपनी को क्यों बेच दिया?

इस सवाल का जवाब इतना सीधा नहीं है. इस डील की वैल्यू को लेकर भी पूरी तरह से साफ नहीं है. ब्लूमबर्गक्विंट ने कंपनी के एसेट्स से जुड़े कुछ दस्तावेज खंगाले हैं.

तो आइए बताते हैं क्या है पूरी डील की कहानी.

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क्या क्या हुआ था?

जुलाई 2014 में जाने-माने कॉरपोरेट अजय पीरामल के परिवार की कंपनी पीरामल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड ने फ्लैशनेट इंफो सॉल्यूशन कंपनी खरीदी. सौदा 47.8 करोड़ रुपए में हुआ. इस प्राइवेट कंपनी के मालिक पीयूष गोयल और उनकी पत्नी सीमा गोयल थीं.

पीरामल और पीयूष गोयल के बीच हुए इस लेन-देन के बारे में सबसे पहले द वायर ने एक स्टोरी की थी, जिसमें गोयल की तरफ से कथित तौर पर कंपनी और सौदे से जुड़ी पर्याप्त जानकारी नहीं दिए जाने पर सवाल उठाए गए हैं.

बीजेपी के कोषाध्यक्ष पीयूष गोयल को मई 2014 में मोदी सरकार में ऊर्जा और कोयला राज्य मंत्री मंत्री बनाया गया था. फ्लैशनेट की ये डील भी करीब करीब उसी समय हुई, जब गोयल को केंद्र सरकार में शामिल किया गया.

गोयल ने द वायर के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मंत्री के तौर पर उन्होंने अपनी संपत्ति की घोषणा में फ्लैशनेट का जिक्र इसलिए नहीं किया था, क्योंकि वह और उनकी पत्नी फ्लैशनेट से अलग हो चुके थे.

पीयूष गोयल ने सिर्फ यही सीधी सफाई दी.

लेकिन कंफ्यूजन यही है कि पीरामल ने गोयल की कंपनी क्यों खरीदी वो भी इतनी ऊंची कीमत पर

ब्लूमबर्ग क्विंट ने जब फ्लैशनेट और इसे खरीदने वाली कंपनी पीरामल एस्टेट के खाते खंगाले तो कई बातें सामने आईं. ये जानकारी कॉरपोरेट मंत्रालय की वेबसाइट से जुटाई गई हैं जो इन कंपनियों की तरफ से दी गई.

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फ्लैशनेट की शुरुआत कैसे हुई?

फ्लैशनेट इंफो सॉल्यूशंस (इंडिया) की शुरुआत 23 मार्च 2000 को 10 रुपए फेस वैल्यु के 50,070 शेयर के इक्विटी बेस के साथ हुई. तब कंपनी के प्रमुख शेयर होल्डर पीयूष गोयल और उनकी पत्नी सीमा गोयल थे. दोनों कंपनी के डायरेक्टर भी थे.

रजिस्ट्रेशन के वक्त कंपनी का मुख्य काम इंटरनेट सॉल्यूशन, सर्विस प्रोवाइडर और कंसल्टेंसी सर्विसेस बताया गया. 2012-13 के वित्तीय वर्ष में कंपनी की कमाई सिर्फ कंसल्टिंग बिजनेस से ही आती थी जो सालाना करीब 4 करोड़ रुपए थी.

इसके अलावा कंपनी ने इंटरनेट और डिविडेंड इनकम से 4.53 करोड़ रुपये और जुटाए. उस साल फ्लैशनेट को 5.47 करोड़ का मुनाफा हुआ. कंपनी के पास रिजर्व और सरप्लस के तौर पर 13.62 करोड़ रुपए थे.

लेकिन साल 2013-14 में पीरामल के साथ डील होने से ठीक पहले फ्लैशनेट के कंसल्टिंग बिजनेस की इनकम जीरो हो गई थी. डिविडेंड आधा हो गया और निवेश बेचने से करीब एक करोड़ रुपए की आय हुई.

ब्लूमबर्ग क्विंट के सवाल के जवाब में पीरामल ग्रुप ने कहा फ्लैशनेट ने 1 अप्रैल 2013 के बाद कंसल्टेंसी बिजनेस बंद कर दिया था. जो शायद लोकसभा चुनाव में गोयल की व्यस्तता की वजह से हुआ होगा. हालांकि, ब्लूमबर्ग क्विंट की ओर से उठाए गए सवालों पर गोयल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

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पीरामल एस्टेट ने क्यों खरीदी फ्लैशनेट?

मई 2014 में गोयल फ्लैशनेट के डायरेक्टर पद से अलग हो गए. अगले ही महीने पीरामल एस्टेट के बोर्ड ने गोयल की कंपनी की खरीद को मंजूरी दे दी. ट्रांजैक्शन 24 जुलाई को हुआ और इसी साल सितंबर में फ्लैशनेट के शेयर पीरामल ग्रुप को ट्रांसफर कर दिए गए.

अब सवाल ये है कि जब फ्लैशनेट न कंसल्टिंग फर्म थी, न इंटरनेट सॉल्यूशन और ना ही सर्विस के बिजनेस में थी, साथ ही कंपनी की कोई कमाई नहीं हो रही थी तो फिर पीरामल एस्टेट ने इस कंपनी को क्यों खरीदा?

पीरामल ग्रुप ने ब्लूमबर्ग क्विंट को बताया-

पीरामल ग्रुप का कंपनियों को खरीदने और उनमें निवेश का पुराना रिकॉर्ड रहा है.  पीरामल एस्टेट निवेश के नए मौके तलाशता रहता है. फ्लैशनेट को सिर्फ इसके असेट्स के लिए नहीं खरीदा था, यह पीरामल के लिए इन्वेस्टमेंट था. पीरामल दूसरी कंपनियों में भी इन्वेस्टमेंट करती है. 
पीरामल ग्रुप का बयान
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डील के वक्त फ्लैशनेट के पास थे ये असेट्स

  • दिल्ली में फ्लैट और इसके साथ जमीन
  • लिस्टेड कंपनियों में इन्वेस्टमेंट
  • अनलिस्टेड कंपनियों में इन्वेस्टमेंट
  • म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट
  • कैश इन हैंड
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फ्लैशनेट- रियल एस्टेट


वित्तीय साल 2011 और 2013 के बीच फ्लैशनेट ने दिल्ली में अंडर कस्ट्रक्शन फ्लैट के लिए 4 करोड़ रुपए का एडवांस पेमेंट किया.

पीरामल ने इस बात की पुष्टि की कि जुलाई 2014 में फ्लैशनेट की खरीद के वक्त कंपनी के पास दिल्ली के शांति निकेतन में 535 स्क्वैयर मीटर का फ्लैट और उससे लगी हुई 141 स्क्वैयर मीटर जमीन भी थी. शांति निकेतन दिल्ली का बहुत पॉश इलाका माना जाता है. पीरामल के मुताबिक 24 जुलाई 2014 को इस प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यु 10.10 करोड़ रुपए थी.

रोचक बात ये है कि फ्लैशनेट को बेचने के एक साल बाद ही पीय़ूष गोयल ने पीरामल एस्टेट से फ्लैट दोबारा खरीद लिया. गोयल ने टाइम्स ऑफ इंडिया को इस बात की पुष्टि की और पीरामल ने भी ब्लूमबर्ग क्विंट को दिए जवाब में ये बात मानी. जुलाई 2012 में इसकी कीमत 10.10 करोड़ रुपए थी और 2015 में इसे 12.02 करोड़ में बेच दिया गया. 
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फ्लैशनेट की वैल्यू क्या थी?

वित्तीय वर्ष 2014 के आखिर में फ्लैशनेट के पास ये असेट्स थे-

  • रियल एस्टेटः 5.47 करोड़ की बुक वैल्यू
  • लिस्टेड कंपनियों में 1.81 करोड़ की इन्वेस्टमेंट
  • अनलिस्टेड कंपनियों में 2 करोड़ की इन्वेस्टमेंट
  • म्यूचुअल फंड में 65,524 की इन्वेस्टमेंट
  • कैश - 1.68 करोड़

इन असेट्स के साथ पीरामल ने फ्लैशनेट को 47.8 करोड़ में खरीदा था.

लेकिन म्यूचुअल फंड निवेश, कमाई और कैश मिलाकर फ्लैशनेट के पास हुए 4.42 करोड़ और इसके अलावा फ्लैशनेट ने लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में जो रकम लगाई थी, 24 जुलाई 2014 को उसके दाम थे 4.47 करोड़ रुपए. पीरामल के बयान के मुताबिक रियल एस्टेट की वैल्यू थी 10.10 करोड़ रुपए. मतलब (4.42 करोड़ + 4.47 करोड़ + 10.10 करोड़) = 18.99 करोड़ रुपए.

कंपनी 47.8 करोड़ रुपए में बिकी, जबकि उसके पास 18.99 करोड़ रुपए के एसेट थे यानी बाकी पीरामल एस्टेट ने फ्लैशनेट की छह अनलिस्टेड कंपनियों में इनवेस्टमेंट के लिए भी 28.81 करोड़ रुपए दिए . 

हैरानी की बात है कि फ्लैशनेट खरीदने के कुछ महीनों के अंदर ही पीरामल ने फ्लैशनेट ने लिस्टेड कंपनियों के शेयर बेच दिए. हालांकि पीरामल ने ब्लूमबर्ग क्विंट को जो बयान दिया है उसके मुताबिक फ्लैशनेट को सिर्फ एसेट के लिए नहीं बल्कि इसके दूसरी कंपनियों में निवेश के लिए भी खरीदा है.

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फ्लैशनेट ने लिस्टेड कंपनियों में निवेश और 6 अनलिस्टेड कंपनियों में से 4 कंपनियों के शेयर 7.95 करोड़ रुपए में बेच दिए.

ये हैं अनसुलझे सवाल

साल 2014 में पीरामल और गोयल के बीच हुई इस डील ने तीन अनसुलझे सवाल छोड़ दिए.

  1. पीरामल ने फ्लैशनेट क्यों खरीदी, कुछ ही महीनों बाद कंपनी की प्रमुख प्रॉपर्टी रियल एस्टेट को वापस गोयल को क्यों बेच दी?
  2. क्या फ्लैशनेट की अनलिस्टेड कंपनियों में किए गए इन्वेस्टमेंट के शेयर की कीमत 28.86 करोड़ थी?
  3. अगर पीरामल की दिलचस्पी फ्लैशनेट के इक्विटी इनवेस्टमेंट में थी, तो उन्होंने इसे कुछ ही महीनों बाद बेचा क्यों?

स्रोतः BloombergQuint

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