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'हिंदू राष्ट्र की मांग करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं?'- अकाल तख्त

अकाल तख्त के जत्थेदार ने सरकार को 'निर्दोष सिख युवकों' को रिहा करने के लिए 24 घंटे का समय दिया है.

Published
भारत
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पंजाब (Punjab) में चल रही कार्रवाई पर 27 मार्च को अकाल तख्त (Akal Takht) ने एक कड़ा संदेश जारी किया है. अकाल तख्त - सिख समुदाय की सर्वोच्च अस्थायी निकाय है. अकाल तख्त ने पंजाब सरकार से उन सभी 'निर्दोष' लोगों को रिहा करने के लिए कहा है, जिन्हें वारिस पंजाब दे (Waris Punjab De) और उसके नेता अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई के तहत गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है.

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा बुलाई गई सिख संगठनों, बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की एक उच्च स्तरीय बैठक में अकाल तख्त ने यह घोषणा की है.

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अकाल तख्त ने यह भी घोषणा की कि वह ड्रग्स और सिख विरोधी जीवन शैली और प्रथाओं के खिलाफ खालसा वाहीर की शुरुआत करेगा. खालसा वाहीर सिख धर्म के प्रचार की एक पुरानी प्रथा है, लेकिन हाल ही में इस अभियान की अगुवाई अमृतपाल सिंह ने की थी.

जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सवाल किया और उन्होंने केंद्र के दोहरे मानकों को पॉइंट आउट किया कि एक तरफ सिख कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करना और हिंदुत्व नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना जो अल्पसंख्यकों को धमकाते हैं और हिंदू राष्ट्र का आह्वान करते हैं.

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अकाल तख्त और एसजीपीसी की प्रमुख मांगें क्या हैं?

  • हाल ही में की गई कार्रवाई और उन पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को हटाने के मामले में गिरफ्तार 'निर्दोष युवकों' को रिहा करने के लिए सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम.

  • हरिके पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे सिखों के जब्त वाहनों को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.

  • रोके गए/प्रतिबंधित वेब चैनल और सोशल मीडिया एकाउंट्स को तुरंत सक्रिय किया जाना चाहिए.

  • गलत तरीके से खालसा सिंबल और झंडे को खालिस्तान बताकर पेश करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई.

  • 'सिख झंडों और प्रतीकों के खिलाफ झूठे प्रचार' के विरोध में, जत्थेदार अकाल तख्त ने सिखों से कहा कि वे अपने वाहनों और घरों पर खालसा राज्य के झंडे लगाए.

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अकाल तख्त के जत्थेदार ने क्या कहा?

  • "सिखों के खिलाफ सरकार द्वारा बहुत ही चालाकी से घेराबंदी की जा रही है, जिसका जवाब बिना हिंसक हुए कूटनीतिक रूप से दिया जाना चाहिए."

  • “एक तरफ इस लोकतांत्रिक और साम्प्रदायिक रूप से विविधतापूर्ण भारत में अल्पसंख्यकों का दमन कर हिंदू राष्ट्र बनाने की सार्वजनिक रूप से घोषणा की जाती है, लेकिन इस तरह के भड़काऊ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. दूसरी ओर लोकतांत्रिक ढांचे के अंदर अपने विचार रखने वाले सिखों पर सरकारें काला कानून थोपने से नहीं हिचकिचाती हैं.

  • अगर सरकार 24 घंटे के अंदर सभी युवाओं को रिहा कर आतंक का माहौल खत्म नहीं करती है तो भारत और विदेशों में कूटनीतिक रूप से अभियान चलाया जाएगा.

अकाल तख्त के जत्थेदार ने सरकार को 'निर्दोष सिख युवकों' को रिहा करने के लिए 24 घंटे का समय दिया है.

27 मार्च को उच्च स्तरीय बैठक में अकाल तख्त जत्थेदार.

(द क्विंट द्वारा सोर्स किया गया.)

  • राष्ट्रीय मीडिया के माध्यम से सरकार द्वारा सिखों के चरित्र हनन के खिलाफ सिख संगठनों द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

  • एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत बुक किए गए सिख युवकों की मदद करने और अन्य कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए वकीलों के एक पैनल की स्थापना की घोषणा की.

  • बैठक में अकाल तख्त जत्थेदार और एसजीपीसी अध्यक्ष के अलावा, बैठक में शामिल होने वाले प्रमुख लोगों में सचखंड श्री हरमंदर साहिब ज्ञानी जगतार सिंह, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी, अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार भाई जसवीर सिंह रोडे, मंजीत सिंह जीके और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के भूपिंदर सिंह, दमदमी टकसाल बाबा सुखदेव सिंह के मुख्य प्रवक्ता और विभिन्न क्षेत्रों के सिख पर्सनालिटीज शामिल रहीं.

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