इलाहाबाद का नाम अब आधिकारिक रूप से प्रयागराज हो गया है. सीएम योगी की कैबिनेट ने नए नाम को मंजूरी दे दी है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को ही स्थानीय लोगों और संतों की मांग पर इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की घोषणा की थी. जिसके बाद कैबिनेट ने प्रयागराज नाम पर मुहर लगा दी है. इसको लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियायें सामने आ रही हैं. क्विंट ने शहर के कई लोगों से इस बारे में उनकी राय पूछी.
कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि, 'इलाहबाद आज से प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा.
इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किये जाने की मांग अरसे से चल रही है. वैसे वेद-पुराणों में इसका बखान प्रयागराज के रूप में ही किया गया है. कई सालों से शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मांग उठ रही थी. अंग्रेजों के शासनकाल में मदनमोहन मालवीय इलाहाबाद नाम बदलने के लिए अवाज उठाने वाले सबसे पहले व्यक्ति थे. 1939 में उन्होंने इलाहाबाद का नाम बदलने की मुहिम छेड़ी थी. पिछले साल योगी सरकार के आने के बाद वादा किया गया कि था इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया जाएगा.
कई पार्टियां कर रहीं थीं विरोध
आपको बता दें कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद का नाम बदलने का काफी विरोध किया था. एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लिखा था कि इलाहाबाद का नाम बदलना परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ होगा. उन्होंने लिखा कि प्रयाग कुंभ का नाम केवल प्रयागराज किया जाना और अर्द्धकुंभ का नाम बदलकर 'कुंभ' किया जाना परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.
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