जैश ए मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर को यूएन सिक्यूरिटी काउंसिल से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने की कोशिश फिर तेज हो गई है. चीन ने इसमें तकनीकी अड़ंगा लगा रखा है लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस इस बात पर फिर जोर लगा रहे हैं कि मसूद ग्लोबल आतंकी साबित हो जाए. मीडिया खबरों के मुताबिक इन देशों ने कहा है कि चीन 23 अप्रैल तक यह तकनीकी अड़ंगा हटा ले. चीन अगर यह अड़ंगा नहीं हटाता है तो ये देश नए सिरे से प्रस्ताव ला सकते हैं.
अप्रैल के आखिर तक चीन का रुख नहीं बदला होगा तो नए सिरे से होगी कोशिश
मीडिया खबरों के मुताबिक चीन से कहा गया है कि वह 23 अप्रैल तक सिक्यूरिटी काउंसिल से ही मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव पास करा ले ताकि 1267 कमेटी के जरिये प्रस्ताव लाने की जरूरत न पड़े. सिक्यूरिटी काउंसिल का स्थायी सदस्य होने के नाते चीन मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने की मांग के प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल करता रहा है.
चीन ने भरोसा दिया है लेकिन जमीन पर ठोस कदम नहीं
काउंसिल में इस प्रस्ताव को अनौपचारिक तौर पर 15 सदस्य देशों को भेज दिया गया है. हालांकि इस पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं शुरू हुई है. लेकिन नजरें चीन पर टिकी है कि वह मसूद अजहर के रुख में कोई बदलाव लाता है या नहीं. अभी तक चीन ने मसूद अजहर पर बैन के अपने स्टैंड में बदलाव के कोई संकेत नहीं दिए हैं. हालांकि उसने इसका भरोसा दिया था. देखना होगा कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के दबाव में वह अपना रुख बदलता या नहीं.
चीन ने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के भारत के प्रयासों के सकारात्मक संकेत तो दिए हैं लेकिन हकीकत में वह इसकी तरफ कोई ठोस कदम उठाने की ओर नहीं बढ़ा है. इस बीच, चीन ने इस मामले में अमेरिका पर भी निशाना साधा है. चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया था कि उसने इस मामले को सीधे सुरक्षा परिषद में ले जाकर गलत उदाहरण पेश किया है. इसी वजह से मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाया गया प्रस्ताव विफल हो गया.
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