अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों की पिटाई के विरोध में प्रदर्शन हुआ था. प्रदर्शन के वक्त पुलिस को बुलाया गया, जिसने छात्रों पर लाठीचार्ज और टियर गैस के गोले दागे. अब इस घटना को लेकर वॉइस चांसलर, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने लेटर लिखकर अपनी तरफ से बयान जारी किया है. जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पास पुलिस बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.
जब असामाजिक तत्व और पूर्व छात्रों ने यहां के छात्रों के साथ मिलकर यूनिवर्सिटी का गेट को तोड़ दिया तो यूनिवर्सिटी प्रशासन के पास पुलिस को फोन करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था.प्रो. तारीक मंसूर, वॉइस चांसलर एएमयू
छात्रों के बीच फैलाई गई अफवाह
अपने बयान में वीसी ने कहा कि, 15 दिसंबर की रात को पुलिस की गोलीबारी में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दो छात्रों की मौत के बारे में "अफवाह" फैलाई जा रही थी. इस दौरान, असामाजिक तत्वों ने यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट को तोड़ दिया और बाहर पुलिस पर पथराव भी किया गया. जो "छात्रों की जान और यूनिवर्सिटी की संपत्ति पर खतरा था", इसलिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को फोन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
हिरासत में लिए गए 27 लोगों में सिर्फ 7 छात्र
अपने इस लेटर में, कुलपति ने कहा कि हिरासत में लिए गए 27 छात्रों में से केवल 7 यूनिवर्सिटी के छात्र थे. जिससे यह साबित होता है कि असामाजिक और बाहरी तत्वों ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और छात्रों के जीवन को खतरे में डाला गया. उस वक्त यह जरूरी हो गया था कि पुलिस को बुलाने का फैसला लिया जाए.
'छात्रों की चोटों से आहत'
15-16 दिसंबर की रात की घटनाओं के दौरान गंभीर रूप से घायल एएमयू छात्रों की बात करते हुए, वीसी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती तीन छात्रों को नियमित मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस की तरफ से की गई कार्रवाई को लेकर उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई है और यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि सक्षम अधिकारियों से इसकी जांच कराई जाए.
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