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जब गिरफ्तारी से बचने के लिए दोस्त के घर छिपे थे अरुण जेटली

वो ABVP के छात्र नेता रहे और 1970 के दशक में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष भी बने थे

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भारत
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देश में आपातकाल घोषित होने के बाद 26 जून, 1975 की सुबह अरुण जेटली ने लोगों के एक समूह को इकट्ठा किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुतला जलाया. उनके शब्दों में आपातकाल के खिलाफ वो ‘‘पहले सत्याग्रही’’ थे. इसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया और वो 1975 से 1977 तक 19 महीने की अवधि के लिए जेल में रहे

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25 जून 1975...

पत्रकार-लेखिका सोनिया सिंह की पुस्तक ‘‘डिफाइनिंग इंडिया : थ्रू देयर आईज’’में जेटली के हवाले से कहा गया है, ‘‘जब 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल घोषित किया गया, तो वो मुझे गिरफ्तार करने आए. मैं पास ही स्थित एक दोस्त के घर जाकर बच गया ... अगली सुबह ... मैंने कई लोगों को इकट्ठा किया और श्रीमती (इंदिरा) गांधी का पुतला जलाया और मुझे गिरफ्तार कर लिया गया. मैंने गिरफ्तारी दी.’’

‘मैं आपातकाल के खिलाफ पहला सत्याग्रही’

उन्होंने कहा था, ‘‘मैं आपातकाल के खिलाफ तकनीकी रूप से पहला ‘सत्याग्रही’’ बना क्योंकि 26 जून को यह देश में हुआ केवल एक विरोध था. तीन महीनों के लिए, मैं अंबाला की जेल में रहा.’’

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया. उन्हें दो हफ्ते पहले सांस लेने में दिक्कत के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था. वो 66 साल के थे.

ABVP के छात्र नेता से केंद्रीय मंत्री तक का सफर

वो ABVP के छात्र नेता रहे और 1970 के दशक में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष भी बने थे. एक जाने-माने वकील रहे जेटली ने कहा था, ‘‘जेल में उन्हें पढ़ने और लिखने का जुनून था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘दोस्त और परिवार मुझे किताबें भेजते थे या मैं उन्हें जेल के पुस्तकालय से लेता था ... मैंने जेल में संविधान सभा की पूरी बहस पढ़ी. मैं बहुत कुछ पढ़ता हूं, कभी-कभार लिखता हूं, और यह एक जुनून है जो जारी है.’’

पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और आरएसएस के विचारक दिवंगत. नानाजी देशमुख के साथ जेल में रहे जेटली ने कहा था, ‘‘वहीं दूसरी तरफ हम सुबह और शाम को बैडमिंटन और वॉलीबाल भी खेलते थे.’’

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