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असम फेक एनकाउंटर केस:दिल्ली के वकील की मांग-मानवाधिकार आयोग दखल दे

आरोप है कि असम में 1 जून से अब तक Fake Encounter की 20 से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं.

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असम पुलिस (Assam Police) पर फर्जी एनकाउंटर (Fake Encounter) के आरोप लग रहे हैं. दिल्ली के एक वकील जवादर ने एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया कि असम पुलिस "फर्जी एनकाउंटर" कर रही है और छोटे-मोटे अपराध के मामलों में आरोपियों का एनकाउंटर कर रही है. वकील ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के हस्तक्षेप की मांग की है.

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शिकायत के मुताबिक, हिमंत बिस्वा सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद से "मुठभेड़ की होड़" शुरू हुई है.

एनडीटीवी के मुताबिक, 1 जून से अब तक पुलिस गोलीबारी की 20 से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें आरोपियों को हिरासत में या छापेमारी के दौरान गोली मार दी गई है. जिसमें से कम से कम पांच मामलों में आरोपी की मौत हो चुकी है.

हाल में हुए 'फर्जी मुठभेड़'

रविवार, 11 जुलाई को, मध्य असम के नगांव में दो गोलीबारी की घटनाएं सामने आईं, जब पुलिस ने पश्चिमी असम के कोकराझार में एक कथित डकैत को गोली मार दी और एक अलग घटना में एक संदिग्ध ड्रग डीलर को घायल कर दिया.

असम पुलिस ने उसी दिन एक और कथित डकैत जैनल आबेदीन पर गोली चला दी, जिसमें उसकी मौत हो गई. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, नगांव से करीब 28 किलोमीटर दूर ढिंग में मुठभेड़ हुई थी. मीडिया से बात करते हुए, नगांव के एसपी आनंद मिश्रा ने कहा,

"हमारे पास इनपुट था कि आबेदीन अपने ग्रुप के साथ बहुत ही कम समय में नगांव इलाके में एक घर को लूटने जा रहा है. अतिरिक्त एसपी धुरबा बोरा के नेतृत्व में, पुलिस ने एक बड़े पैमाने पर उसके घर की तलाशी अभियान शुरू की और उसे अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी, लेकिन उसने पुलिसकर्मियों पर गोलियां चलाई और जवाबी कार्रवाई में पुलिस दल ने उन पर गोलियां चलाईं और वह घायल हो गया. उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया."

इस बीच, ढिंग के एक विधायक ने गोलीबारी को "अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने" के तौर पर पेश किया है. अमीनुल इस्लाम ने कहा, "असम पुलिस अल्पसंख्यक लोगों को निशाना बनाने के लिए इस तरह के फर्जी एनकाउंटर कर रही है. मैं पीड़ित के बारे में जो जानता हूं, वह डकैत नहीं बल्कि एक शराबी था."

जवादर ने क्या कहा?

वकील जवादर की शिकायत के मुताबिक, असम पुलिस इन फायरिंग के लिए अजब तर्क देती है, अकसर छोटे-मोटे ड्रग डीलर, मवेशी तस्कर, डकैत जैसे छोटे-मोटे अपराधियों को फर्जी एनकांउटर में मार रही है. पुलिस कहती है कि आरोपी पुलिस कस्‍टडी से भागने की कोशिश कर रहे थे.

एनडीटीवी के मुताबिक जवादर ने कहा,

"वकील ने यह भी कहा कि ऐसा संभव नहीं लगता कि वे पुलिस से उसकी पिस्‍टल छीनकर चला रहे होंगे. क्‍योंकि उनके सामने बड़ी संख्‍या में पुलिसकर्मी होंगे और उनके पास बड़ी मात्रा में हथियार होंगे. स बात पर भी यकीन करना मुश्किल है कि सभी आरोपी पहले से ट्रेंड पुलिस अफसर से उसकी पिस्‍टल छीन सकते हैं, क्‍योंकि वो पिस्‍टल एक रस्‍सी के जरिये उनकी कमर से बंधी होती है.

NHRC को अपनी तत्काल शिकायत में, उन्होंने आगे कहा, "पुलिस की कार्रवाई एक कथित अपराधी को कानूनी अधिकारों से वंचित कर रही है."

अभी हाल ही में हिमंत बिस्वा सरमा ने बयान दिया था कि पुलिसकर्मियों को अपराधियों के पैरों पर गोली मारने के लिए कानून के तहत अनुमति है. जवादर की शिकायत में कहा गया है कि पुलिस कर्मी "बदले की भावना से फर्जी मुठभेड़" कर रहे हैं.

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