‘अस्त्र’ में है कितना दम
- डीआरडीओ लैब से निकली सबसे छोटी मिसाइल.
- 10 साल में तैयार हुई अस्त्र मिसाइल.
- 20-80 किलोमीटर की मारक क्षमता.
- इंटेलिजेंट सेंसर से हमला करने की क्षमता.
- अगर लक्ष्य बदल भी गया तो पीछा कर मार गिराने की क्षमता.
- मिसाइल की लंबाई 3.57 मीटर.
- 15 किलो विस्फोटल ले जाने की क्षमता.
- समुद्र स्तर से दागने पर 20 किलोमीटर तक मारक क्षमता.
भारतीय वायुसेना (IAF) को उम्मीद है कि अगले साल तक वह अपने हथियारों के जखीरे में ‘अस्त्र’ मिसाइल को शामिल कर लेगी. हवा से हवा में सटीक निशाना साधने वाली इस उच्च तकनीक वाली इस मिसाइल को सार्वजनिक तौर पर पहली बार दागने की तैयारी हो चुकी है.
वायुसेना के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया,
इस मिसाइल को बनाने में एक दशक से अधिक समय लग गया. इसका परीक्षण चल रहा है और यह परीक्षण इस साल के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
अस्त्र के जरिये वायुसेना को इसी 18 मार्च को अपनी शक्ति दिखाने का मौका मिलेगा. राजस्थान के पोखरण में इसे लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई के जरिये छोड़ा जाएगा. प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी भी पहली बार सार्वजनिक तौर पर इस मिसाइल की अद्भुत क्षमता के गवाह बनेंगे.
इस मिसाइल की प्रौद्योगिकी बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि’ से बहुत अधिक उन्नत है. इसमें ऐसे यंत्र लगे हैं जिनसे मिसाइल को लक्ष्य को उस जगह से हटा देने पर भी उसे ढूंढने में मदद मिलती है.
क्यों लगा 10 साल का वक्त?
यह मिसाइल दृष्टि सीमा से परे जाकर भी लक्ष्य पर सटीक निशाना लगा सकती है. इसमें लगे अत्याधुनिक यंत्र इसे तेजी से लक्ष्य का पीछा करके उसे समाप्त करने की क्षमता देते हैं. इस मिसाइल ने पैंतरे बदलने वाले लक्ष्यों को भी परीक्षण के दौरान बहुत सटीक ढंग से भेदा है.
इसी एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की वजह से इसे बनाने में रक्षा शोध एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) को इतनी देर हुई. बताया जा रहा है कि परीक्षण सही ढंग से चल रहा है और परीक्षण में इस मिसाइल ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है.
अब जो असली परीक्षण होना है उसमें दुश्मन के विमानों की तरह पैंतरे बदलने वाले लक्ष्यों को भेदना है. दुश्मन के विमानों द्वारा इलेक्ट्रो मैग्नेटिक क्षेत्र बना कर मिसाइलों को लक्ष्य से भटकाने की कोशिश करने की स्थिति में उससे निकल कर इसमें सटीक निशाना साधने की क्षमता है.
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