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बेंगलुरु हिंसा आपबीती:एक पिता ने खोया बेटा दूसरे ने जीवनभर की कमाई

किसी को क्या हासिल हुआ?

Published
भारत
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पुलिस स्टेशन पर अराजकता ने अंसार पाशा को डरा दिया था. वो डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन में एक कोने में हाथ बांधे खड़े थे और इंतजार कर रहे थे कि पुलिस उनको मोर्चरी में ले जाएगी. जब उनसे 11 अगस्त को उनके पड़ोस में हुई हिंसा के बारे में पूछा गया, तो 65 वर्षीय पाशा के रुंधे हुए गले से कोई जवाब ही नहीं निकल पाया.

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उसी दिन कुछ किलोमीटर दूर कवल बिरासांद्रा में अपने घर में बैठे पवन कुमार दंगाई भीड़ के किए हुए नुकसान का हिसाब लगा रहे थे. भीड़ के हमले में उनके दाए घुटने पर लगा एक कट उन्हें परेशान कर रहा था और वो एक पड़ोसी को नुकसान के बारे में बता रहे थे.

पाशा ने अपने 19 साल के बेटे यासीन को डीजे हल्ली में पुलिस फायरिंग खो दिया. जबकि नवीन के पिता पवन कुमार ने हिंसा में अपनी जिंदगी की कमाई गंवा दी है. नवीन ने पैगंबर मोहम्मद पर एक ‘’आपत्तिजनक’' पोस्ट शेयर किया था.  

दोनों की कहानियां और नुकसान अलग हैं लेकिन दोनों एक बात पर हामी भरते हैं- 11 अगस्त की हिंसा नहीं होनी चाहिए थी.

‘मुझे बताया गया कि मेरे बेटे का सड़क पर खून बह रहा है'

किसी को क्या हासिल हुआ?
अपने घर के बाहर अंसार पाशा
(फोटो: Quint)

अंसार पाशा बताते हैं, "उस रात किसी ने मुझे फोन किया, मुझे नहीं पता वो कौन था. उस शख्स ने मुझसे कहा कि आपका बेटा घायल और सड़क पर उसका खून बह रहा है. मेरे बेटे उस जगह पर गए."

अंसार के बड़े बेटे ने बाद में उन्हें बुरी खबर दी. पाशा की हेब्बल में मटन की दुकान है और वो डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के पास में रहते हैं. यासीन उनके चार बच्चों में तीसरे नंबर का था. पाशा बताते हैं कि यासीन उस दिन दुकान बंद करके घर आ गया था.

पाशा ने कहा, "रात करीब 9:30 पर यासीन ने कहा कि वो अपने बड़े भाई के घर खाना खाने जा रहा है, जो कि मेरे घर से दो गली दूर रहता है."

जबकि बड़े बेटे ने यासीन को हिंसा के बारे में बताया था, यासीन ने कहा था कि वो किसी तरह पहुंच जाएगा. उसने कहा था कि क्योंकि पुलिस आसपास है, वो सुरक्षित रहेगा. लेकिन आधी रात के आसपास यासीन को पुलिस की गोली लगी और उसकी मौके पर मौत हो गई. 
किसी को क्या हासिल हुआ?
हिंसा में मारा गया यासीन पाशा
(फोटो: Quint)

अंसार पाशा कहते हैं, "मैं नहीं मानता कि मेरा बेटा हिंसा में शामिल था. वो कभी किसी नेता की पार्टी से नहीं जुड़ा था. वो अपना ज्यादातर समय मटन की दुकान पर बिताता था और वो पूरे हफ्ते काम करता था. वो सिर्फ खड़ा था. मैंने पुलिस को यही बताया."

जबकि यासीन की मौत 11 और 12 अगस्त की रात में हुई थी, अंसार पाशा को उसका शव देखना 24 घंटे से भी ज्यादा समय बाद नसीब हुआ. पाशा ने कहा, “अंतिम संस्कार हो गया. मुझे नहीं पता मैं अब क्या करूंगा. मेरा बेटा चला गया.”
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एक फेसबुक पोस्ट की कीमत

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अपने घर के बाहर पवन कुमार
(फोटो: Quint)

एक रिटायर्ड सरकार अधिकारी पवन कुमार कहते हैं, "हम इस इलाके में सालों से रह रहे हैं और हमारे पड़ोसी मुस्लिम हैं. हमें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई."

कुमार के 34 वर्षीय बेटे नवीन की पोस्ट ने 11 अगस्त की हिंसा की शुरुआत की थी. इस हिंसा में 3 लोग मारे गए. कुमार याद करते हैं कि उन्होंने अपने बेटे को सावधानी बरतनी को कहा था, जब 5 अगस्त को राम मंदिर भूमि पूजन के बाद उसके पटाखे जलाने पर कुछ लोगों को आपत्ति हुई थी.

मैं छुपाऊंगा नहीं. मुझे भी खुशी हुई थी कि मेरे धर्म से संबंधित कुछ ऐतिहासिक हुआ है. लेकिन मैंने बेटे से कहा था कि पटाखे न जलाए क्योंकि पड़ोसियों के लिए वो एक मुश्किल याद है.  
पवन कुमार

11 अगस्त को नवीन के फेसबुक पोस्ट से हिंसा शुरू हो गई थी. पवन की अपने बेटे से एक बार बात हुई थी. उन्होंने बताया, "पोस्ट के बारे में सुनने के बाद मेरी उससे एक बार बात हुई, उसने कहा था कि पोस्ट उसने नहीं की. किसी ने उसके फेसबुक अकाउंट का इस्तेमाल किया है. मुझे नहीं पता फेसबुक कैसे काम करता है, लेकिन मुझे पता था कि कुछ बुरा होने वाला है."

रात तक नवीन पुलिस की कस्टडी में था और उसके पिता घर में छह और सदस्यों के साथ थे. कुमार ने बताया, “500 से 800 लोगों की एक भीड़ मेरे घर के सामने से गुजरी. मुझे लग गया कि कुछ बुरा होने वाला है. मुझे लगा वो नारे लगाएंगे, लेकिन उन्होंने पत्थर बरसाए.” 

पवन और उनके परिवार के सदस्यों ने खुद को घर के पहले फ्लोर पर बंद कर लिया था और बाद में पड़ोसी के घर में कूदकर भाग गए थे. नीचे भीड़ उनके घर को लूटती रही.

किसी को क्या हासिल हुआ?

भीड़ ने पवन कुमार की गाड़ी में आग लगा दी. उनके घर में रखा सोना और कैश लूट लिया. पवन कहते हैं, "मेरी जिंदगी भर की कमाई लुट गई है."

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किसी को क्या हासिल हुआ?

दोनों पिताओं ने एक बात मानी- अगर वो होते तो हिंसा नहीं करते.

पाशा ने कहा कि अगर लोग ये समझ पाएं कि उन पर क्या गुजर रही है, तो वो हिंसा नहीं करते. उन्होंने कहा, "मेरा बेटा सिर्फ 19 साल का था. शादी, बच्चे... उसके सामने लंबी जिंदगी पड़ी थी."

पवन कुमार कहते हैं कि अगर उनके बेटे ने कुछ किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए. कुमार ने कहा, "पुलिस इस काम के लिए है और वो जांच कर रही है. लेकिन मेरे परिवार को इस दर्द से गुजरने के लिए मजबूर करना और मेरी जिंदगी भर की कमाई लूट लेना, इससे क्या हासिल होगा?"

यासीन की हिंसा में भूमिका और नवीन के आपत्तिजनक पोस्ट के मामलों में जांच चल रही है और पुलिस जल्द ही चार्जशीट दाखिल करेगी. लेकिन परिवारों को इन सदमों और नुकसान से उबरने में लंबा वक्त लगेगा.

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