बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्रा से हुई छेड़छाड़ के बाद मचे बवाल के बाद अब क्राइम ब्रांच ने अपनी जांच तेज कर दी है. क्राइम ब्रांच ने 10 से ज्यादा स्टूडेंट समेत और सिक्योरिटी गार्ड को नोटिस भेजा है. इन सभी से पूछताछ की जाएगी.
इन सभी को क्राइम ब्रांच के सामने पेश होकर घटना के बारे में लिखित या मौखिक बयान दर्ज कराने होंगे. वाराणसी पुलिस ने इन सभी लोगों से 3 दिनों के अंदर घटना के बारे में जानकारी देने को कहा गया है.
बता दें कि पूर्व चीफ प्रॉक्टर ओंकारनाथ सिंह ने पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद डॉ. रायना सिंह को यूनिवर्सिटी का नया चीफ प्रॉक्टर बनाया गया है. वहीं छात्रा से हुई छेड़छाड़ के बाद छात्रों ने प्रदर्शन के बाद करीब 1000 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी.
पुलिस ने धारा 147 (दंगा), 307 (हत्या कोशिश), 332 (सरकारी कर्मचारी को उसके काम से रोकने के लिए चोट पहुचना), 336 (दूसरों की जिंदगी या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना), 436 (आग से नुकसान पहुंचने की कोशिश) और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति कानून को नुकसान पहुंचाने पर भी नोटिस जारी किया है.
अभी तक का पूरा मामला
21 सितंबर को एक छात्रा से सरेआम छेड़छाड़ के बाद छात्राओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था. अगले दिन रात को प्रदर्शन के बीच पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. इससे कई छात्राएं घायल हो गईं. लाठीचार्ज में कई पत्रकारों को भी मारा गया. देशभर में इस लाठीचार्ज की निंदा हुई थी.
कमिश्नर की रिपोर्ट में BHU प्रशासन को दोषी ठहराया
बीएचयू में हंगामे के बाद राज्य सरकार ने वाराणसी के कमिश्नर से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी थी. इसके बाद वाराणसी के कमिश्नर ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. चीफ सेकेट्ररी को सौंपी गई इस रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी प्रशासन को बवाल बढ़ने के लिए जिम्मेदार बताया गया था.
कमिश्नर नितिन गोकर्ण की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संवेदनशील मुद्दे पर बीएचयू प्रशासन ने न तो पीड़ित की शिकायत पर सही कार्रवाई की, न ही हालात को सही से संभाला.
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