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बीएचयू प्रोफेसर फिरोज खान के खिलाफ अब एकजुट हुए पूर्व शिक्षक

पूर्व प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को पत्र भेज कर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.

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बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय (एसवीडीवी) के साहित्य विभाग में मुस्लिम शिक्षक फिरोज खान की नियुक्ति का मामला ठंडा पड़ता दिख नहीं रहा है. अब प्रोफेसर फिरोज के विरोध में वहां के पूर्व शिक्षक भी एकजुट हो रहे हैं.

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राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग

पूर्व प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति को पत्र भेज कर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. दो पूर्व प्रोफेसरों- प्रो. रेवा प्रसाद द्विवेदी व प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी ने राष्ट्रपति को भेजे तीन पन्‍ने की चिट्ठी में कहा है:

एसवीडीवी की स्थापना विश्वविद्यालय के स्थापना काल 1915 से संसद द्वारा पारित अधिनियम के तहत हुई है. इसके धार्मिक अध्ययन का प्रावधान बीएचयू अधिनियम 1915 और संसद द्वारा संशोधित अधिनियम 1951 द्वारा आज तक संरक्षित और मूल भावना के अनुरूप चला आ रहा है. ऐसे में बीएचयू के सभी अधिनियमों के साथ ही संसद द्वारा मान्य मौलिक स्वरूप सहित एसवीडीवी की परंपरा के साथ किसी भी स्तर पर छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए.
पूर्व प्रो. कमलेश दत्त त्रिपाठी, बीएचयू

संघ के कुछ लोग हैं नाखुश

एसवीडीवी में डॉ. फिरोज की नियुक्ति के विरोध में छात्रों ने 16 दिनों (सात से 22 नवंबर) तक धरना दिया था. आरएसएस के दखल के बाद छात्रों ने भले ही धरना समाप्त कर दिया है, पर इसे लेकर संघ में भी कई लोग सहमत नहीं हैं.

संघ का एक धड़ा धरना समाप्त करने को लेकर नाराज दिखा, तो वहीं विद्यार्थी परिषद भी दबे स्वर में कह रहा है कि परिसर के मामले में संघ को थोड़ा दूर रहकर परिषद को ही सामने रहने देते तो बेहतर होता. हालांकि इस मुद्दे पर संघ की आगे की कार्रवाई पर कोई बोलने को तैयार नहीं है. परिषद के कुछ पदाधिकारी मुस्लिम शिक्षक प्रकरण को लेकर काफी आहत हैं.
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क्या है मामला

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (एसवीडीवी) फैकल्टी के साहित्य विभाग में एक मुस्लिम सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के खिलाफ विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. डिपार्टमेंट के छात्रों और दूसरे छात्रों ने बीते गुरुवार को विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति के घर के पास होलकर भवन में धरना देना शुरू कर दिया.

विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्र ‘गैर-हिंदू’ की नियुक्ति को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.

(इनपुट: IANS)

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