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बिहार: अब पहली बार पीते हुए पकड़े गए तो जेल नहीं सिर्फ जुर्माना

बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन यानी सोमवार को शराबबंदी कानून बहुमत से पारित हो गया.

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बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन शराबबंदी कानून बहुमत से पारित हो गया. इस नए कानून में शराबबंदी के कई प्रावधानों में नरमी बरती गई है. कानून में संशोधन को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन को बताया कि निर्दोषों को बचाने के मकसद से संशोधन विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि इस कानून के गलत इस्तेमाल को रोकने पर सरकार का जोर है. निर्दोष लोगों को बचाने के लिए इसमें संशोधन किया गया है.

उन्होंने कहा, "संशोधन का मतलब ये नहीं कि पीने वाले बख्शे जाएंगे, शराब पीकर उपद्रव करने पर कड़ी कार्रवाई होगी."

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अब जेल नहीं जुर्माना

शराबबंदी के पुराने कानून में जहां पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने पर जेल होना तय था और गैरजमानती धारा लगती थी. अब नए कानून में पहली बार शराब पीते पकड़े जाने पर 50 हजार का फाइन या 3 महीने की जेल का प्रवाधान है. नए कानून में शराब बरामद होने पर घर, गाड़ी और खेत जब्त नहीं की जाएगी. साथ ही परिवार के सभी बालिगों पर ये कानून नहीं लागू होगा, शराब पीने वाले पर ही होगी कार्रवाई.

सरकार का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून को तार्किक बनाते हुए और लोगों की परेशानी को देखते हुए संशोधन का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए आम लोगों से भी राय ली गई है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनहित को देखते हुए शराबबंदी का फैसला लिया गया, जिसे सभी दलों का समर्थन हासिल हुआ है. शराबबंदी का सबसे ज्यादा लाभ दलितों, गरीबों, अनुसूचित जाति-जनजाति और हाशिए पर चले गए लोगों को हुआ है.

अमीरों को डिस्काउंट दिया है: तेजस्वी यादव

विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार ने संशोधन के नाम पर अमीरों को 'डिस्काउंट' दे दिया है. उन्होंने कहा कि अमीर लोग 50 हजार रुपये जुर्माना देने के बजाय अब 5 हजार रुपये में शराब हासिल करेंगे. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर बिहार में शराब आती कैसे है?

तेजस्वी ने कहा, "शराबबंदी के बाद राज्य के लोग शराब के साथ पकड़े गए हैं. ये बिहार सरकार की जिम्मेदारी है कि राज्य की सीमाओं पर भी सुरक्षा बढ़ाई जाए, साथ ही उन फैक्ट्रियों पर भी लगाम लगे जहां से शराब राज्य में आ रही है."

2 साल से लागू है शराबबंदी

बिहार में 2 वर्ष से शराबबंदी लागू है. विपक्ष के नेताओं का आरोप था कि शराबबंदी के नाम पर दलितों और पिछड़ों को गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. इसके बाद सरकार ने इस कानून में संशोधन के संकेत दिए थे. संशोधन के तहत इस कानून में कई कड़े प्रावधानों को कमजोर किया गया है.

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